
पुतिन की यात्रा से पहले भारत-रूस समझौतों को अंतिम रूप देने की तैयारी, विदेश मंत्री जयशंकर का बयान
जयशंकर ने कहा कि सर्गेई लावरोव के साथ यह बैठक “और भी महत्वपूर्ण” है क्योंकि दोनों पक्ष भारत में होने वाले 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत और रूस अगले महीने होने वाले भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन से पहले कई द्विपक्षीय समझौतों, पहलों और परियोजनाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह यात्रा भारत में आयोजित होने वाले 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए होगी।
मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत में जयशंकर ने यह टिप्पणी की। उम्मीद है कि पुतिन दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर वार्ता के लिए भारत पहुंचेंगे।
जयशंकर ने कहा कि लावरोव के साथ यह बैठक इसलिए “और भी महत्वपूर्ण” है क्योंकि दोनों देश पुतिन की आगामी भारत यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं। “विभिन्न क्षेत्रों में कई द्विपक्षीय समझौते, पहलें और परियोजनाएं चर्चा के चरण में हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनका अंतिम रूप तय हो जाएगा,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार, ये पहलें भारत-रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी में “और अधिक गहराई और मजबूती” जोड़ेंगी।
जयशंकर SCO के सरकार प्रमुखों की परिषद की बैठक में ऐसे समय शामिल हो रहे हैं जब भारत पर अमेरिका की ओर से रूसी ऊर्जा और सैन्य उपकरणों की खरीद कम करने का फिर दबाव बढ़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के प्रयासों के तहत यह दबाव बना रहे हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, हाल के हफ्तों में भारत की रूसी कच्चे तेल की खरीद में कमी आई है, और सोमवार को भारत ने घोषणा की कि उसकी सरकारी कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 एमटीपीए LPG आयात के लिए एक साल का संरचित अनुबंध किया है।
इसके बावजूद, जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध “अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लंबे समय से स्थिरता का कारक रहे हैं” और इन संबंधों की वृद्धि व विकास “सिर्फ हमारे परस्पर हित में ही नहीं, बल्कि दुनिया के हित में भी है।”
जयशंकर और लावरोव ने “जटिल वैश्विक स्थिति पर उसी खुलेपन के साथ चर्चा की, जो हमेशा भारत-रूस संबंधों की विशेषता रहा है।” इसमें यूक्रेन संघर्ष, मध्य-पूर्व की स्थिति और अफ़ग़ानिस्तान भी शामिल थे।
यूक्रेन युद्ध को लेकर जयशंकर ने कहा, “भारत शांति स्थापित करने के हालिया प्रयासों का समर्थन करता है। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष इस लक्ष्य की ओर रचनात्मक ढंग से आगे बढ़ेंगे।” उन्होंने कहा कि “संघर्ष का शीघ्र अंत और टिकाऊ शांति सुनिश्चित करना पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में है।”
लावरोव ने भारत के साथ साझेदारी को रूस की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक बताया और कहा कि मॉस्को, नई दिल्ली के साथ आर्थिक सहयोग के लिए नए उपाय लागू कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश ऐसे तंत्र विकसित कर रहे हैं जिससे व्यापार पश्चिमी प्रतिबंधों जैसी “अवैध कार्रवाइयों” से प्रभावित न हो।

