सीमा पर दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखेंगे ये जासूसी सैटेलाइट, स्पेस में भी होगा अब भारत का दबदबा
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सीमा पर दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखेंगे ये जासूसी सैटेलाइट, स्पेस में भी होगा अब भारत का दबदबा

अंतरिक्ष से भारत की निगरानी प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने एसबीएस-III को मंजूरी दे दी है.


India spy satellites: भारत एक तरफ पाकिस्तान से घिरा हुआ है तो दूसरी तरफ चीन से. दोनों की निगाहें हमेशा भारतीय सीमाओं पर लगे रहती है. हल्की सी चुक इन दोनों देशों को भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ की इजाजत दे देंगे. ऐसे में हर समय सीमाओं पर जवान मुस्तैद रहते हैं. हालांकि, भारतीय सीमा इतनी बड़ी है कि हर बॉर्डर पर निगरानी रख पाना काफी मुश्किल हो जाता है. इसका फायदा कभी-कभार उठाकर आंतकी सीमा पार से घुसपैठ करते हैं. हालांकि, अब भारत इस मुसीबत का तोड़ निकालने जा रहा है. भारत जल्द अंतरिक्ष में जासूसी सैटेलाइट तैनात करने जा रहा है. ये सैटेलाइट एआई बेस्ड होंगे, जिनसे हर सीमा पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी.

अंतरिक्ष से भारत की निगरानी प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी (एसबीएस-III) के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है. इस कार्यक्रम से जासूसी सैटेलाइट को लॉन्च करने में मदद मिलेगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीसीएस ने सोमवार को एसबीएस-III परियोजना के तहत 52 उपग्रहों (सैटेलाइट) को लॉन्च करने की मंजूरी दे दी, जिसकी लागत करीब 27,000 करोड़ रुपये होगी. भारत ने पहले ही एसबीएस कार्यक्रम के तहत कई जासूसी या पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को लॉन्च किया है. जैसे कि रिसैट, कार्टोसैट और जीसैट-7 सीरीज के उपग्रह. एसबीएस-1 को पहली बार 2001 में वाजपेयी सरकार के दौरान मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत चार निगरानी उपग्रह लॉन्च किए गए थे.

इसके बाद, 2013 में दूसरे चरण के तहत छह ऐसे उपग्रह प्रक्षेपित किए गए. 50 से अधिक उपग्रह, जो पांच वर्षों में प्रक्षेपित होने की संभावना है, इससे स्पेस में भारतीय निगरानी को मजबूती मिलेगी और भारत की भूमि और समुद्री सीमाओं की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी प्रणाली से नजर रखी जा सकेगी. ऐसे समय में जब देश पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर, चीन के साथ उत्तरी सीमा पर सुरक्षा चिंताओं का सामना कर रहा है और हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जासूसी जहाजों और पनडुब्बियों द्वारा समुद्री निगरानी बढ़ा दी गई है. उपग्रहों का नया बेड़ा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित होगा, जो पृथ्वी पर भू-खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए अंतरिक्ष में एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, इन उपग्रहों के बीच संचार होगा, ताकि अगर कोई उपग्रह कुछ पता लगाता है, जो कि 36,000 किमी की ऊंचाई पर GEO (जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट) में है. यह क्षमता बहुत संभावनाएं प्रदान करेगी. नई तकनीक "उपग्रहों की परिवर्तनों का पता लगाने की क्षमता में सुधार करने, डेटा का विश्लेषण करने के लिए अधिक AI-संबंधित और डेटा-संचालित दृष्टिकोण लाने, डेटा डाउनलोड को कम करने और केवल आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होगी.

अगर भारत इस पैमाने पर उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है तो देश के लिए खतरों को बेहतर ढंग से कम किया जा सकता है. हाल ही में कैबिनेट ने अमेरिका स्थित जनरल एटॉमिक्स से 31 हथियारबंद प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की मंजूरी दी है, जो SBS-3 मिशन की निगरानी क्षमता को और मजबूत करेगा. सशस्त्र बलों के लिए Gsat-7B (भारतीय सेना), GSAT-7 (नौसेना के लिए रुक्मिणी) और GSAT-7A (IAF के लिए एंग्री बर्ड) जैसे पहले के समर्पित उपग्रहों की तरह, तीनों विंग के पास अपने विशेष अभियानों और मिशनों के लिए ऐसे और भी समर्पित उपग्रह होंगे. SBS दिन में 24 घंटे, सप्ताह में 7 दिन काम करता है और मौसम, दिन के समय की बाधा के बिना मानव निर्मित परिक्रमा करने वाली वस्तुओं के लिए मीट्रिक और अंतरिक्ष वस्तु पहचान डेटा एकत्र करता है.

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