चीनी मिसाइल नाकाम करने में लगे सिर्फ 23 मिनट, पाक ने किया था इस्तेमाल
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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान द्वारा दागी गई चीन निर्मित मिसाइलों के अवशेष भारत में पाए गए हैं, लेकिन इनसे अपने लक्ष्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। फाइल फोटो

चीनी मिसाइल नाकाम करने में लगे सिर्फ 23 मिनट, पाक ने किया था इस्तेमाल

पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीनी वायु रक्षा प्रणालियों, जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया, में एचक्यू-9, एचक्यू-12 और एचक्यू-16 मिसाइलें शामिल हैं।


Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रणनीतिक कुशलता और सैन्य पराक्रम की एक और उल्लेखनीय जानकारी सामने आई है। भारत ने इस सैन्य अभियान में पाकिस्तान के चीन निर्मित अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया, जिससे भारतीय ड्रोन और मिसाइल हमले पूर्णतः सफल हुए और आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया जा सका।

23 मिनट में पूरे हुए हमले

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने अपने ड्रोन और मिसाइल हमलों को इतनी कुशलता से अंजाम दिया कि पूरा ऑपरेशन मात्र 23 मिनट में पूरा हो गया। पाकिस्तान की ओर से सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) पर तैनात चीन निर्मित HQ-9, HQ-12 और HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम को पहले ही जाम कर दिया गया था, जिससे भारतीय हमलों का कोई मुकाबला नहीं हो पाया।

चीन के सिस्टम हुए नाकाम

पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे जिन एयर डिफेंस सिस्टम्स को निष्क्रिय किया गया उनमें HQ-9 प्रमुख है यह चीन का लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है, जिसकी रेंज 120 किमी से 300 किमी तक है। यह विमानों, क्रूज़ मिसाइलों और यूएवी को मार गिराने में सक्षम होता है, लेकिन इसकी तैनाती अपेक्षाकृत धीमी मानी जाती है। इसके अतिरिक्त HQ-16 जो 2017 में पाकिस्तान की सेना में शामिल हुआ था, 40 किमी की रेंज और 10,000 मीटर ऊंचाई तक लक्ष्य भेदने की क्षमता रखता है। लेकिन यह भी भारतीय साइबर युद्ध प्रणाली के आगे टिक न सका।

भारत को क्षति नहीं

सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि इन हमलों में भारतीय पक्ष को कोई क्षति नहीं हुई। “हमारे सर्विलांस, योजना और लक्ष्योन्मुख प्रणाली की दक्षता ने यह सुनिश्चित किया कि सभी हमले बिना भारतीय नुकसान के सफलतापूर्वक पूर्ण किए जाएँ। घरेलू तकनीक आधारित ड्रोन और गाइडेड म्यूनिशन ने इन हमलों को बेहद प्रभावशाली और रणनीतिक रूप से संतुलित बनाया,” रिपोर्ट में कहा गया।

‘सटीक और सीमित प्रतिक्रिया’

सरकार ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के जवाब में भारत की प्रतिक्रिया “सटीक, सोची-समझी और रणनीतिक” थी। खास बात यह रही कि भारत ने पूरे अभियान को बिना नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए अंजाम दिया, जिससे पाकिस्तान को इसे “पूर्ण युद्ध” का रूप देने का मौका नहीं मिला।

पाकिस्तानी जवाब विफल

भारत के इस सफल अभियान के जवाब में पाकिस्तान ने 7 और 8 मई की रात को अवंतिपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना, अडम्पुर, भटिंडा, चंडीगढ़, भुज सहित कई भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली जिसमें Pechora, OSA-AK, LLAD गन और स्वदेशी आकाश प्रणाली शामिल थीं । इनके जरिए इन हमलों को सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया।

चीनी मिसाइल के टुकड़े मिले

12 मई को एयर मार्शल एके भारती ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि भारतीय बलों ने चीनी PL-15 मिसाइल के अवशेष बरामद किए हैं। यह मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में विफल रही और इसके टुकड़े हमारे पास मौजूद हैं,” उन्होंने कहा। PL-15 एक अत्याधुनिक चीन निर्मित बियॉन्ड-विज़ुअल-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल है, जो 200 किमी से अधिक दूरी तक उच्च गति से लक्ष्य भेद सकती है।

चीन-पाक सैन्य गठजोड़ निष्फल

पाकिस्तान ने इस संघर्ष में चीन निर्मित PL-15 मिसाइल, HQ-9P मिसाइल सिस्टम, JF-17 और J-10 फाइटर जेट तैनात किए थे, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन सभी को निष्क्रिय कर दिया। अमृतसर के पास तुर्की निर्मित बाइकर YIHA III कामिकाजे ड्रोन को भी भारतीय सेना ने मार गिराया।

स्वदेशी सिस्टम की शानदार भूमिका

सरकारी बयान में भारत की वायु रक्षा प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा गया कि स्वदेशी ‘आकाश’ और ‘आकाश-तीर’ सिस्टम ने 8 मई को भारतीय शहरों पर हुए पाकिस्तानी हमलों को नाकाम करने में निर्णायक भूमिका निभाई। यह सिस्टम भारतीय वायु सेना के इंटीग्रेटेड काउंटर-UAS ग्रिड का हिस्सा है, जो ड्रोन और मिसाइल हमलों के विरुद्ध प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है।

ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की रणनीतिक परिपक्वता, तकनीकी आत्मनिर्भरता और तेज निर्णय क्षमता का जीता-जागता प्रमाण बनकर उभरा है। चीन-पाक मिलकर भी भारत के हाईटेक और स्वदेशी सैन्य ढांचे का सामना नहीं कर सके। यह अभियान न केवल आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की सैन्य श्रेष्ठता और वैश्विक रणनीतिक स्थिति को भी मजबूती देता है।

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