
भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों के लिए अगला एक हफ्ता बेहद खास, क्या ट्रंप करेंगे ट्रेड डील?
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था उसपर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी गई थी जिसका मियाद 8 जुलाई को खत्म हो रही है. ऐसे में क्या भारत-अमेरिका के बीच 8 जुलाई से पहले ट्रेड डील होगा या नहीं?
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड रिश्तों को लेकर अगला एक हफ्ता बेहद खास रहने वाला है. रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर रोक की मियाद को 8 जुलाई तक के लिए जो एक्सटेंड किया गया था वो खत्म होने वाला है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 9 जुलाई से पहले भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील होगा या नहीं. अमेरिकी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयानों से मिल रहे संकेतों को माने तो उन्होंने भारत के साथ व्यापार को लेकर चल रही बातचीत में एक बड़ी प्रगति की संभावना जताई है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हम भारत के साथ एक ऐसा समझौता की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे हमें वहां जाकर व्यापार करने का अधिकार मिलेगा. अभी तो हालात ये हैं कि आप आप कुछ भी करने की सोच नहीं सकते. उन्होंने कहा, भारत में बहुत ज्यागा पांबदियां है. ट्रंप ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत अपने व्यापार के रास्ते को पूरी तरह खोले. ये अभी तक तो नामुमकिन लगता था. लेकिन हमारी बातचीत इस दिशा जारी है कि अमेरिका भारत में जाकर व्यापार कर सके. ट्रंप के मुताबिक, अमेरिका चीन के साथ डील कर चुका है और अब करीब 200 देशों के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा,
“हम अगले हफ्ते या दस दिनों में बहुत सारे देशों को पत्र भेजेंगे. इसमें हम उन्हें बताएंगे कि अगर वे अमेरिकी बाज़ार में व्यापार करना चाहते हैं, तो उन्हें क्या चुकाना होगा.”
राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से साफ है कि वे भारत के साथ डील करना चाहते हैं. भारत के मुख्य व्यापार अधिकारी इस समय अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में हैं, और अब अगले 7 दिन तय करेंगे कि भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता होता है या नहीं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की जो घोषणा की थी. बाद में उसे 90 दिन के लिए टाल दिया गया था. अब 8 जुलाई को 90 दिन का टाइमलाइन खत्म हो रहा है. अगर भारत - अमेरिका के बीच समझौता नहीं हुआ, तो भारत को फिर से भारी टैरिफ झेलना पड़ सकता है. हालांकि इसके आसार बेहद कम नजर आ रहे.
भारत-अमेरिका के बीच होगा ट्रेड डील
जीटीआरआई के अजय श्रीवास्तव के मुताबिक भारत अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर दो रास्ते हैं. पहला रास्ता भारत अमेरिका के बीच मिनी-डील हो जाए जिसकी संभावना ज्यादा है. अमेरिका और ब्रिटेन के बीच मई में ऐसा ही डील हुआ था. इस मिनी डील में भारत कुछ औद्योगिक सामानों जैसे कारों पर टैक्स कम कर सकता है, जो अमेरिका की पुरानी मांग रही है. खेती-बाड़ी से जुड़े कुछ अमेरिकी सामानों जैसे एथनॉल, बादाम, अखरोट, सेब, किशमिश, एवोकाडो, जैतून का तेल, शराब वगैरह पर भारत टैक्स कम कर सकता है या तय मात्रा में उन्हें आने की इजाज़त दे सकता है.
लेकिन, दूध और अनाज (जैसे चावल और गेहूं) पर भारत कोई रियायत नहीं देगा, क्योंकि ये किसानों की रोजी-रोटी से जुड़ा सवाल है. अमेरिका चाहता है कि भारत उसके तेल, गैस, हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर और परमाणु रिएक्टर भी बड़ी मात्रा में खरीदे. वो ये भी चाहता है कि भारत अमेजन और वॉलमार्ट जैसे बड़े विदेशी कंपनियों के लिए खुदरा बाज़ार खोले, और पुराने सामान (remanufactured goods) पर सख्त नियमों में ढील दे.
अगर भारत ऐसा करता है तो अमेरिका भारत पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ दोबारा नहीं लगाएगा, लेकिन फिर भी भारत से आने वाले सामानों पर 10% बेसिक टैक्स जरूर लगेगा. दूसरी तरफ, अमेरिका से आने वाले सामानों पर भारत टैक्स कम करेगा.
दूसरा रास्ता ये है कि भारत और अमेरिका के बीच कोई समझौता ना हो. अगर अमेरिका भारत से उसकी मुख्य खेती वाली चीजों पर बाजार खोलने या जीएम (genetically modified) फसलें मंज़ूर करने की ज्यादा जिद करेगा, तो बातचीत टूट भी सकती है. भारत पहले ही साफ कर चुका है कि वो दूध और अनाज जैसे जरूरी खाद्य पदार्थों पर कोई समझौता नहीं करेगा क्योंकि ये करोड़ों किसानों और देश की खाद्य सुरक्षा से जुड़ा मामला है. अमेरिकी एग्री गुड्स का भारत में निर्यात उसके कुल निर्यात का 5% से भी कम हैं, लेकिन फिर भी अमेरिका इसे खोलने के लिए दबाव बना रहा है.
अमेरिका इस बहाने से भारत पर MSP और सरकारी खरीद जैसे सिस्टम को कमजोर करने का दबाव बना सकता है जो 60 फीसदी से ज्यादा कृषि पर निर्भर लोगों के लिए बहुत जरूरी है.
क्या ट्रंप भारत पर फिर से 26% टैरिफ लगा देंगे?
इसकी संभावना फिलहाल कम दिख रही है. अमेरिका ने ये टैरिफ कुल 57 देशों पर लगाए थे और अब तक सिर्फ ब्रिटेन से डील हुई है. ऐसे में केवल भारत को निशाना बनाना सही नहीं लगेगा. लेकिन ट्रंप कुछ भी कर सकते हैं — इसलिए साफ तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. भारत को अपनी बात पर कायम रहना चाहिए और अमेरिका से बराबरी और पारदर्शी समझौता करना चाहिए. GTRI का कहना है कि "अमेरिका से कोई भी व्यापार समझौता एकतरफा नहीं होना चाहिए. वो हमारे किसानों, डिजिटल दुनिया और देश के नियम-कानून के स्वतंत्रता की रक्षा करे जो बेहद जरूरी है.