
अब एक बूंद पानी भी नहीं जाएगा पाकिस्तान, भारत कर रहा बड़े पैमाने पर तैयारी
India Pakistan Water Dispute: यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की जान गई थी.
Indus Water Treaty: भारत सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को रोकने का बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि भारत अब यह सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान नहीं जाए. यह फैसला गृहमंत्री अमित शाह के घर पर हुई एक अहम बैठक के बाद लिया गया, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. पाटिल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मोदी सरकार का यह ऐतिहासिक फैसला पूरी तरह से सही और देशहित में है. हम सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का पानी अब पाकिस्तान न जाए.
क्यों रोकी गई संधि?
यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की जान गई थी. इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को एक पत्र भेजकर सूचित किया कि अब यह संधि निलंबित (सस्पेंड) की जा रही है. भारत ने कहा कि कोई भी संधि तभी तक सही होती है, जब उसे ईमानदारी से निभाया जाए. लेकिन पाकिस्तान लगातार आतंकवाद फैलाता रहा है, खासकर जम्मू-कश्मीर में, जो भारत का हिस्सा है.
अब आगे क्या होगा?
अधिकारियों के अनुसार, अब संधि को रोकने के बाद अगले कदमों की योजना तैयार की जा रही है. पहले चरण में भारत नदियों में बने मौजूदा बांधों की सफाई करेगा और उनमें पानी रोकने की क्षमता बढ़ाएगा. इससे पाकिस्तान में जाने वाला पानी कम हो जाएगा.
क्या है संधि?
इस संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों– रावी, ब्यास और सतलज पर पूरा अधिकार है. वहीं, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब से करीब 135 मिलियन एकड़ फीट पानी मिलता है, जो भारत से होकर गुजरता है.
पाकिस्तान को आपत्ति क्यों?
पाकिस्तान को भारत के दो हाइड्रो प्रोजेक्ट्स किशनगंगा (झेलम की सहायक नदी पर) और राटले (चिनाब की सहायक नदी पर) पर आपत्ति है. लेकिन अब संधि निलंबित होने के बाद भारत पाकिस्तान की आपत्तियों को नजरअंदाज कर सकेगा.
आगे की तैयारी
सरकार नए बांधों और जल संरचनाओं के निर्माण पर भी विचार कर रही है. साथ ही किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव (जैसे कि वर्ल्ड बैंक) का जवाब देने के लिए कानूनी तैयारी भी की जा रही है. विदेश मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय मिलकर देशवासियों को कोई परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रख रहे हैं. वहीं, पाकिस्तान ने इस फैसले से परेशान होकर कहा कि अगर भारत ने पानी रोकने की कोशिश की तो इसे युद्ध का ऐलान माना जाएगा और पूरा जवाब दिया जाएगा.