पिछले पांच साlलों में 200 रेल दुर्घटना, 351 लोगों ने गंवाई जान
रेल दुर्घटनाओं का मुख्य कारण कथित तौर पर खराब ट्रैक रखरखाव, पुराना बुनियादी ढांचा, अकुशल सिग्नलिंग, रखरखाव की कमी और अनुचित ट्रैक संरेखण हैं
Indian Railways: भारतीय रेलवे इन दिनों ट्रेन के पटरी से उतरने की घटनाओं को लेकर काफी विवादों में है. ख़ास तौर से विपक्ष इन घटनाओं पर केंद्र सरकार और रेल मंत्री को घेरने में लगा रहता है. इतना ही नहीं कई मौकों पर विपक्ष रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग भी कर चुका है और कटाक्ष के तौर पर उन्हें रील मंत्री भी कहता है. इस बीच एक आरटीआई के माध्यम से ये दावा किया गया है कि भारतीय रेलवे के 17 जोनों में पिछले पांच वर्षों में 200 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 351 लोगों की मौत हुई और 970 लोग घायल हुए.
इस आरटीआई में ये भी दावा किया गया है कि 17 ज़ोन में से सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं या कहें कि लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और कौनसा ऐसा जोन रहा जो सबसे सुरक्षित रहा.
दक्षिण पूर्वी ज़ोन में हुई ज्यादा दुर्घटना
रेलवे विभाग में आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडे ने आरटीआई के माध्यम से पिछले पांच सालों में हुई दुर्घटनाओं आदि का विवरण सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से माँगा. जिसके जवाब में जो जानकारी साझा की गई, उसके अनुसार विभिन्न रेलवे जोनों में हुई घातक दुर्घटनाओं की तुलना से पता चलता है कि सभी 17 जोन में से दक्षिण पूर्वी जोन में 10 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 297 लोगों की मौत हुई. इन दुर्घटनाओं में जून 2023 में बालासोर में हुई तिहरी रेल दुर्घटना भी शामिल है.
ये जोन है सबसे सुरक्षित
आरटीआई में ऐसे ज़ोन के बारे में भी सवाल किया गया, जो सबसे सुरक्षित माना जाता हो. इस सवाल के जवाब में बताया गया कि पिछले पांच सालों में दक्षिणी रेलवे, कोंकण रेलवे, उत्तर पूर्वी रेलवे और दक्षिण पश्चिमी रेलवे, ऐसे ज़ोन रहे, जहाँ कोई दुर्घटना नहीं हुई और न ही किसी की जान गयी.
पिछले पांच सालों में 32 करोड़ का मुआवजा बांटा गया
रेलवे विभाग ने आरटीआई के सवालों में ये जानकारी भी दी कि वर्ष 2019 से 2024 तक पांच वर्षों के दौरान, भारतीय रेलवे ने 32 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा है, जिसमें से दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों को 26.83 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
ये बताए गए दुर्घटना के प्रमुख कारण
भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि दुर्घटनाओं की संख्या का मुख्य कारण खराब ट्रैक रखरखाव और पुराना बुनियादी ढांचा है। अन्य मुद्दे अकुशल सिग्नलिंग, पुलों और सुरंगों के रखरखाव की कमी और अनुचित ट्रैक संरेखण हैं.
मानवीय भूल, जिसमें ड्राइवर की थकान, पर्याप्त प्रशिक्षण की कमी, लापरवाही, सिग्नल की विफलता और रेलवे कर्मचारियों के बीच संचार में व्यवधान शामिल हैं, ऐसे कारक हैं जिनके कारण कई दुर्घटनाएँ पटरी से उतर गई हैं. इन सबके अलावा ये भी बताया गया कि अत्यधिक भीड़ वाली यात्री ट्रेनें और ओवरलोड मालगाड़ियाँ पटरियों पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं, जिससे दुर्घटना का जोखिम बढ़ जाता है.
रेल मंत्री का दावा दुर्घटनाओं में आई है कमी
हालांकि, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये दावा किया है कि रेल दुर्घटनाओं की संख्या पिछले 10 वर्षों की तुलना में कम हुई हैं. आंकड़ों पर नज़र डालें तो पहले प्रति वर्ष 171 दुर्घटनाएं होती थीं, जो अब प्रति वर्ष 40 दुर्घटनाएं रह गई है.
भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया भर में सबसे व्यस्त नेटवर्कों में से एक है और यह प्रतिदिन लाखों यात्रियों और भारी मात्रा में माल का परिवहन करता है.
किसे माना जाता है दुर्घटना
रेलवे विभाग के अनुसार रेल दुर्घटना को ऐसी दुर्घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके गंभीर परिणाम होते हैं, जिसमें जान-माल की हानि, चोट लगना, रेलवे संपत्ति को नुकसान और रेल यातायात में व्यवधान शामिल है. दुर्घटनाओं में पटरी से उतरना, आग लगना, टक्कर लगना और ऐसी अन्य घटनाएँ शामिल हैं.
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