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सिंधु जल संधि से संबंधित परियोजनाओं में जो पहले से प्रक्रिया में हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा

सिंधु जल संधि पर सरकार का रुख, नई परियोजनाओं में अधिक जल भंडारण की योजना

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ इंडस जल संधि को स्थगित कर दिया है। यह संधि सिंधु नदी बेसिन में जलविद्युत परियोजनाओं पर कुछ सीमाएं लगाती है, खासतौर पर बड़े जल भंडारण को लेकर।


जम्मू-कश्मीर में जो जलविद्युत परियोजनाएं अभी शुरुआती चरण में हैं, उनके लिए अधिक जल भंडारण की योजना बनाई जाएगी। मंगलवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ये बात कही है। उन्होंने कहा कि जो परियोजनाएं पहले से प्रक्रिया में हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खट्टर ने कहा, “सिंधु जल संधि से संबंधित परियोजनाओं में जो पहले से प्रक्रिया में हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि उनकी तकनीकी रूपरेखा पहले ही तय हो चुकी है। लेकिन कुछ परियोजनाएं अभी शुरुआती चरण में हैं, जिनके लिए हम अधिक जल भंडारण और विद्युत उत्पादन की योजना बना सकते हैं।”

फिलहाल जम्मू-कश्मीर में 4 जलविद्युत परियोजनाएं हैं जिन्हें केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन उनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।

इन परियोजनाओं में शामिल हैं, न्यू गंदरबल (93 मेगावाट) – सिंध नाला पर, किरथाई-II (930 मेगावाट) – चिनाब पर, सावलकोट (1,856 मेगावाट) – चिनाब पर और उरी-I स्टेज-II (240 मेगावाट) – झेलम पर। अप्रैल तक ये सभी रन-ऑफ-द-रिवर प्रकार की परियोजनाएं थीं, जिनमें से तीन में सीमित जल भंडारण (pondage) शामिल है।

CEA इस समय बर्सर भंडारण आधारित परियोजना (800 मेगावाट) का भी सर्वेक्षण और जांच कर रहा है, जो चिनाब की सहायक नदी मरुसुदार पर स्थित है। इसके अलावा दो अन्य रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं, दुलहस्ती स्टेज-II (260 मेगावाट) और किरथाई-I (390 मेगावाट) भी विचाराधीन हैं।

CEA के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत के लिए अब भी 1,088 मेगावाट की कुल क्षमता वाली नौ संभावित परियोजनाएं बाकी हैं। इनमें से दो भंडारण आधारित हैं, गंगबल (48 मेगावाट) और वर्धवान बर्सर (255 मेगावाट), जबकि बाकी रन-ऑफ-द-रिवर हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि केंद्र सरकार चिनाब नदी पर चार जलविद्युत परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने की योजना बना रही है जिनमें शामिल हैं,

पकल डुल (1,000 मेगावाट), राटले (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट)।

इनमें से पकल डुल जम्मू-कश्मीर में बनने वाली पहली भंडारण आधारित जलविद्युत परियोजना है। इसके 109 मिलियन घन मीटर (mcm) के लाइव स्टोरेज की क्षमता के साथ सितंबर 2026 तक चालू होने की संभावना है।

प्रेस वार्ता के दौरान ऊर्जा मंत्री ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश के ऊर्जा क्षेत्र पर “बड़ी संख्या में साइबर हमले” हुए, लेकिन सभी को स्थापित फायरवॉल के जरिए नाकाम कर दिया गया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बिजली क्षेत्र की प्रणालियों पर कई साइबर हमले हुए। हमने सभी को रोका, इस कारण कोई नुकसान नहीं हुआ।”

ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि भारी मात्रा में मैलिशस ट्रैफिक (हानिकारक डेटा ट्रैफिक) देखा गया, जिसे फायरवॉल्स के माध्यम से रोक दिया गया।

मंत्री ने कहा, “सभी परियोजनाओं, चाहे उत्पादन, ट्रांसमिशन या वितरण हो, के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जा रहा है। यहां तक कि परियोजनाओं में इस्तेमाल होने वाली आयातित सामग्रियों की भी जांच की जा रही है, क्योंकि कोई भी साइबर हमला करने की कोशिश कर सकता है।”

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