आईएनएस अरिघात से कैसे और ताकतवर होगी नेवी, जानें- क्या है खूबी
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आईएनएस अरिघात से कैसे और ताकतवर होगी नेवी, जानें- क्या है खूबी

भारतीय नौसेना को एक और परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात मिलने जा रही है। चीन और पाकिस्तान से खतरे को देखते हुए यह क्यों जरूरी उसे समझने की कोशिश करेंगे।


INS AriGhat News: दुनिया का ताकतवर मुल्क वो है जो आर्थिक, सामाजिक, विदेशी मोर्चे के साथ साथ सैन्य मामले में ताकतवर है। अगर भारतीय फौज की ताकत की बात करें तो संसाधन भले ही अमेरिका, रूस या चीन की तुलना में कम हो। लेकिन जज्बे की वजह से हर मुश्किल हालात का मुकाबला कर साबित किया है कि हम किसी से कम नहीं। अगर बात नेवी की करें तो बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर की हिफाजत की जिम्मेदारी है। भारतीय नौसेना को और अधिक ताकत देने के लिए आईएनएस अरिघात एंट्री के लिए तैयार है। यहां पर हम इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।

अरिहंत के बाद अब अरिघात
आईएनएस अरिघात के रूप में भारत को दूसरी परमाणु पनडुब्बी मिलने जा रही है। आईएनएस अरिघाट का निर्माण विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में किया जा रहा है। बता दें कि आईएनएस अरिहंत 2018 से अपना काम कर रहा है।

  • आईएनएस अरिघात का वजन 6 हजार टन है।
  • अरिघाट पर 750 किमी रेंज वाली के-15 मिसाइल को तैनात किया जाएगा।
  • आईएनएस अरिघात की लंबाई 9.5 मीटर, चौड़ाई 11 मीटर
  • पानी के अंदर 24 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार
  • सतह पर 10 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार

एसबीसी प्रोजेक्ट-77

तीसरा एसएसबीएन आईएनएस अरिदमन का निर्माण अगले साल शुरू होगा। इस पर 3500 किमी रेंज वाली के-4 मिसाइलों की तैनाती होगी। इसके साथ ही चौथा एसएसबीएम ज्यादा से ज्यागा के-4 मिसाइलों को ले जाने में उन्नत होगा।एसबीसी प्रोजेक्ट-77 में पहले 6 हजार टन की 6 हंटर किलर पनडुब्बी बनाने की योजना थी जिसे एसएसएन नाम दिया गया है। 6 से घटाकर तीन र अब दो कर दी गई है। पहले दो के निर्माण में करीब 10 साल का समय लगेगा। इसके साथ ही अगले चार को अगले फेज में मंजूरी की उम्मीद है। रक्षा क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि अच्छी बात.ये है कि सबमरीन को बनाने में स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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