नौसेना को मिलेगा समंदर का नया शेर INS तमाल, इंडो-पैसिफिक में बढ़ेगी भारत की पकड़
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नौसेना को मिलेगा समंदर का नया शेर INS तमाल, इंडो-पैसिफिक में बढ़ेगी भारत की पकड़

INS तमाल सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नौसैनिक क्षमता का प्रतीक है. रूस में निर्मित यह आखिरी विदेशी युद्धपोत आने वाले समय में पूर्ण स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के युग की ओर नौसेना के कदम को मजबूत करता है.


INS Tamal: भारत की समुद्री ताकत में एक और धाकड़ योद्धा जुड़ने जा रहा है.रूस में बना अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक से लैस INS तमाल अब भारतीय नौसेना का हिस्सा बनने के लिए तैयार है. 1 जुलाई को जब यह युद्धपोत कालिनिनग्राद के तट पर तिरंगे के नीचे औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल होगा, तब यह सिर्फ एक और कमीशनिंग नहीं होगी — यह होगा एक युग का अंत और नए ‘आत्मनिर्भर’ नौसैनिक युग की शुरुआत.

यह भारत का आखिरी युद्धपोत होगा,जिसे विदेशी जमीन पर बनाया गया है. 3,900 टन वजनी इस युद्धपोत को रूस की क्रिवाक (Krivak) श्रेणी के आठवें फ्रिगेट के रूप में तैयार किया गया है. पिछले दो दशकों में भारतीय नौसेना ने इस सीरीज के सात अन्य युद्धपोत भी रूस से प्राप्त किए हैं. समारोह की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह करेंगे.

‘खरीदार’ से ‘निर्माता’ बनी भारतीय नौसेना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नौसेना अब पूरी तरह एक 'बायर्स नेवी' से 'बिल्डर्स नेवी' में बदल चुकी है. भविष्य में किसी भी भारतीय युद्धपोत को विदेश में बनवाने की कोई योजना नहीं है.

वर्तमान में नौसेना की ताकत

59 युद्ध पोत और जहाज फिलहाल भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माणाधीन हैं, जिन पर कुल खर्च लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये है. नौसेना को 31 और युद्धपोतों के निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें 9 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां, 7 नई पीढ़ी के फ्रिगेट और 8 एंटी-सबमरीन वॉरफेयर कॉर्वेट्स शामिल हैं. ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग 2025** के अनुसार, अमेरिका और चीन के बाद भारतीय नौसेना टन भार में दुनिया में 5वें स्थान पर है. नौसेना का लक्ष्य 2030 तक 180 युद्धपोत और 350 एयरक्राफ्ट व हेलिकॉप्टर शामिल करना है.

INS तमाल की खासियत

125 मीटर लंबा यह युद्धपोत भारतीय और रूसी तकनीक का बेहतरीन मिश्रण है. इसमें कई अत्याधुनिक हथियार और सेंसर लगे हैं:

- BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

- Shtil वर्टिकल लॉन्च सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल

- A190-01 100mm आधुनिक तोप

- 30mm क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS)

- भारी टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट्स

- Sandal V इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड सिस्टम

- उन्नत निगरानी और फायर कंट्रोल रडार

- नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर टेक्नोलॉजी, जैसे कि सैटकॉम, रेडियो, हाई-स्पीड डाटा लिंक आदि.

इस पर Kamov-31 (एयरबॉर्न वार्निंग) और Kamov-28 (मल्टी-रोल) हेलिकॉप्टर्स भी तैनात किए जा सकते हैं.

INS तमाल की तैनाती और रणनीतिक महत्व

INS तमाल को कमीशन के बाद भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े (Sword Arm of Indian Navy) में शामिल किया जाएगा, जो पश्चिमी नौसेना कमान के अधीन है. यह युद्धपोत ऐसे समय में शामिल हो रहा है, जब चीन पाकिस्तान को भी नौसैनिक ताकत बढ़ाने में मदद कर रहा है. मार्च 2025 में चीन ने पाकिस्तान को हैंगोर क्लास पनडुब्बी सौंपी थी, जो $5 बिलियन डील का हिस्सा है. INS तमाल की तैनाती से भारतीय नौसेना को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी मारक क्षमता और रणनीतिक पहुंच बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी.

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