उपराष्ट्रपति में भरोसा नहीं, क्या कांग्रेस का मकसद सिर्फ हंगामा?
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उपराष्ट्रपति में भरोसा नहीं, क्या कांग्रेस का मकसद सिर्फ हंगामा?

Jagdeep Dhankhar News: राज्यसभा के इतिहास की यह पहली घटना है जब सभापति के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया है। लेकिन क्या कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है।


Jagdeep Dhankhar No Confidence Motion: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। लेकिन काम नहीं हो रहा। संसद के एक घंटे की कार्यवाही में करीब 9 करोड़ रुपय खर्च होते हैं। लेकिन माननीयों को फर्क नहीं पड़ रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अड़े हैं। कांग्रेस जहां किसी भी कीमत पर गौतम अडानी (Gautam Adani)पर चर्चा चाहती है, वहीं बीजेपी ने राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस (George Soros) का मुद्दा उठा दिया है। बीजेपी और कांग्रेस अपने तेवर में ढील देने के संकेत नहीं दे रहे। इन सबके बीच कांग्रेस (Congress)ने राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। हालांकि इसके टिकने की उम्मीद तकनीकी ग्राउंड पर कम है। वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि संसदीय इतिहास में यह पहली घटना है जब राज्यसभा सभापति के खिलाफ नो कांफिडेंस मोशन लाया गया है। सरकार और पार्टी दोनों को सभापति जगदीप धनखड़ पर नाज है और वो पूरी तरह से उनके साथ है।

सवाल यहां है कि क्या कांग्रेस ने सिर्फ जनता का ध्यान खींचने की कोशिश की है। इस सवाल का जवाब हां में है, नियम के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना होता है। अब अगर आप संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) को देखें तो सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है और कांग्रेस की तरफ से नोटिस 10 दिसंबर को दी गई है यानी कि यह नोटिस खुद ब खुद गिर जाएगी। ऐसे में क्या कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है। संवैधानिक पद के महत्व को कमजोर करने की कोशिश की है। इस विषय में जानकार क्या कुछ कहते हैं उसे समझने से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप घनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने जयपुर में एक कार्यक्रम में कुछ बड़ी बातें कहीं। मसलन कुछ बाहरी और आतंरिक ताकतों को देश की तरक्की पसंद नहीं आ रही है। वे भारत को बांटने के साथ सुनियोजित तरीके से संवैधानिक संस्थाओं और पदों को अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं। देश के खिलाफ जो ताकतें सक्रिय हैं उन्हें बेनकाब और खत्म करने में आम आदमी की भूमिका अहम है।

बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के एक घंटे के बाद सभापति जगदीप धनखड़ एक कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में हमने इस देश में कई पहली बार काम होते देखे हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उठाया गया अपनी तरह का पहला कदम है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस (Jagdeep Dhankhar No Confidence Motion) को इस तरह की बात नहीं पसंद आ रही। कांग्रेस समेत विपक्ष के दूसरे दलों का कहना है कि सभापति राज्यसभा में एक पार्टी का प्रचार कर रहे हैं। सत्ता पक्ष के लिए उन्हें रूल बुक याद नहीं रहती और विपक्ष के लिए रूल बुक की बात करते हैं। उनका विरोध इस बात पर है। लेकिन सवाल यह है कि राज्यसभा (Rajya Sabha Proceedings) में गतिरोध इसी हफ्ते से शुरू नहीं हुई। यह तो सदन की कार्यवाही से पहले दिन से है। उस वक्त गौतम अडानी (Gautam Adani) के मुद्दे पर कांग्रेस और विपक्ष अड़ी हुई थी। लेकिन जब राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस का मुद्दा उठा तो तस्वीर बदल गई।

सियासत के जानकार कहते हैं कि जब सत्ता पक्ष के सामने विपक्ष कमजोर होता है तो वो जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए इस तरह की कवायद करता है। अगर आप राज्यसभा (Rajya Sabha Party Equation) की गणित देखें तो एक बात साफ है कि एनडीए का पलड़ा भारी है। यानी कि अविश्वास प्रस्ताव टिक नहीं पाएगा। लेकिन कांग्रेस ने फैसला किया कि वो इस तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएगी और जनता के साथ साथ अपने घटक दलों को भी यह संदेश देगी कि बड़ी पार्टी होने का वो फर्ज भी निभा रही है। लेकिन जिस तरह से यह प्रस्ताव 10 दिसंबर को लाया गया यह जानते हुए कि सदन की कार्यवाही 20 दिसंबर को समाप्त होनी है उससे साबित होता है कि कांग्रेस (Congress) का मकसद कुछ और ही है।

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