वायु सेना के उप प्रमुख का बड़ा बयान, सिर्फ 50 एयर-लॉन्च हथियारों ने पाकिस्तान को घुटने टिकवा दिए
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एयर मार्शल तिवारी ने कहा,“हमने 50 से भी कम हथियारों ने दुश्मन को वार्ता की मेज़ पर आने को विवश कर दिया”

वायु सेना के उप प्रमुख का बड़ा बयान, "सिर्फ 50 एयर-लॉन्च हथियारों ने पाकिस्तान को घुटने टिकवा दिए"

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना ने सुखोई-30MKI, राफाल और मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, क्रिस्टल मेज़-2, रैम्पेज और स्कैल्प मिसाइलें दागीं।


भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के एयरबेस और रडार ठिकानों पर भारत द्वारा दागे गए 50 से भी कम एयर-लॉन्च हथियारों ने पश्चिमी दुश्मन को बातचीत की मेज़ पर आने और शांति की गुहार लगाने को मजबूर कर दिया।

यु शक्ति पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान एक इंटरएक्टिव सत्र में बोलते हुए एयर मार्शल तिवारी ने कहा,“हमने एयर पावर की लागत और लाभ पर बहुत चर्चा की है। लेकिन शायद इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में क्या किया। 50 से भी कम हथियारों ने दुश्मन को वार्ता की मेज़ पर आने को विवश कर दिया, यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे गंभीरता से अध्ययन करने की आवश्यकता है और आगे किया जाएगा।”

CDS जनरल अनिल चौहान ने भी इस अवसर पर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, इसलिए सशस्त्र बलों को सालभर और हर समय बहुत उच्च स्तर की ऑपरेशनल रेडीनेस बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा,

“युद्ध में कोई रनर-अप नहीं होता”

जनरल चौहान ने यह भी कहा कि तेज़ी से बदलती तकनीक और भू-राजनीतिक उथल-पुथल ने युद्ध का तीसरा युग शुरू कर दिया है, और इसके लिए भारतीय सेना को सूचना योद्धाओं, तकनीकी योद्धाओं और विद्वान योद्धाओं की ज़रूरत है जो बहु-डोमेन ऑपरेशंस के लिए तैयार हों। उन्होंने कहा कि सेनाओं को ‘शस्त्र’ (युद्ध/हथियार) और ‘शास्त्र’ (ज्ञान) दोनों सीखने की आवश्यकता है।

हालाँकि एयर मार्शल तिवारी ने 7 से 10 मई के बीच हुई इस संघर्ष के दौरान कौन-कौन से हथियार इस्तेमाल किए गए, इसका खुलासा नहीं किया, लेकिन सूत्रों के अनुसार IAF ने सुखोई-30MKI, राफाल और मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, क्रिस्टल मेज़-2, रैम्पेज और स्कैल्प मिसाइलें दागीं। ये हमले पाकिस्तान के एयरबेस और रडार साइट्स पर किए गए, जिनमें कुछ ठिकाने परमाणु प्रतिष्ठानों और कमांड-एंड-कंट्रोल केंद्रों के निकट थे।

एयर मार्शल तिवारी ने यह भी कहा कि मानवयुक्त प्रणालियाँ (जैसे फाइटर जेट) अब भी ड्रोन जैसे मानवरहित सिस्टम की तुलना में अधिक प्रभावशाली हैं, विशेष रूप से जब बात दबाव बनाने या राजनयिक दबाव की होती है।

उन्होंने कहा, “हम ड्रोन को बहुत ज़्यादा महत्व दे रहे हैं। आधुनिक युद्ध में उनका एक स्थान है, लेकिन हमले की तीव्रता, आवश्यक खुफिया क्षमता और जो नुकसान वे पहुँचा सकते हैं,इन सभी पहलुओं को देखते हुए, यह तय करना ज़रूरी है कि वे मानवयुक्त प्रणालियों की बराबरी कर भी सकते हैं या नहीं।”

“कैपस्टोन” सेमिनार (जिसका आयोजन Centre for Air Power Studies और College of Air Warfare ने किया) के वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि भारत को अब एयरोस्पेस पावर के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह शक्ति उत्तेजक (escalatory) नहीं है, बल्कि रणनीतिक और प्रभावी उपकरण है जो संकट की स्थिति में नियंत्रण बनाए रखने में मदद करता है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया।

एक वक्ता ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने वायुशक्ति की गति, पहुंच और लचीलापन दिखा दिया। हमने पाकिस्तान पर escalation dominance स्थापित कर ली।”

वहीं अन्य वक्ताओं ने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान के लिए एक नई रेड लाइन खींच दी है, यह संकेत देते हुए कि अब भारत पाकिस्तान की परमाणु धमकी से विचलित नहीं होगा और भविष्य में आतंकवादी हमलों का सीधा और kinetic जवाब देता रहेगा।

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