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कोलकाता कांड में SC की सीख,नसीहत और सलाह, 10 प्वाइंट्स में समझें क्या हुआ
कोलकाता डॉक्टर रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को जमकर लताड़ लगाई। इसके साथ ही डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नेशनल टॉक्स फोर्स बनाने का ऐलान किया।
Kolkata Doctor Rape Murder Case: कोलकाता डॉक्टर रेप- मर्डर कांड के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना हो रही है। इस केस को सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान में लेकर 20 अगस्त की तारीख सुनवाई के लिए मुकर्रर की थी। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ खुद ही सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने बंगाल की सरकार, बंगाल की पुलिस और आरजी कर मेडिकल अस्पताल के प्रिंसिपल पर सवाल उठाए। प्रदर्शनकारियों और डॉक्टरों को सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने जघन्य कांड पर जब सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए थी तो वो सो रही थी। अस्पताल प्रशासन को संवेदनशील होने का परिचय देना चाहिए था तो मृतक की बॉडी दिखाने में देरी की गई। लोग इस घटना के विरोध में सड़कों पर आए तो लाठीचार्ज किया गया। इसके साथ ही डॉक्टरों से अपील करते हुए कहा कि अदालत आपकी भावना को समझती है। लेकिन मरीजों के हित में आप लोग काम पर लौटिए। यह अदालत नेशनल टॉस्क फोर्स बनाए जाने का ऐलान करती है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
- कोलकाता की घटना भयावह और एक जगह तक सीमित नहीं है, पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा में कमियों की तरफ इशारा कर रहा है.
- अदालत ने कहा कि हर दफा बलात्कार और हत्या होने पर देश की अंतरआत्मा नहीं जगनी चाहिए। सड़कों पर लोगों का खुद आ जाना हमारी व्यवस्था में खामी की तरफ इशारा करता है।
- जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं उसे लेकर अदालत अस्पतालों और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
- अगर इस तरह की घटनाओं से महिलाएं काम पर ना जा सकें, सुरक्षित महसूस ना कर सकें तो हम बुनियादी समानता से उन्हें वंचित कर रहे हैं।
- पीड़िता की पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए थी। यह चिंता की बात है
- आरजी कर अस्पताल का प्रिंसिपल आत्महत्या बताने की कोशिश करते हैं और पीड़िता के माता पिता को शव दिखाने की इजाजत नहीं देते. अगर दिए तो उसमें देरी की।
- पश्चिम बंगाल की सरकार क्या सो रही थी. एफआईआर में देरी क्यों हुई। अस्पताल प्रशासन क्या कर रहा था
- अस्पताल में सात हजार लोग आ जाते हैं, सवाल ये कि 70 हजार पुलिस क्या कर रही थी।
- अदालत ने कहा कि वो हत्यारा नहीं है विकृत इंसान है। कोलकाता सरकार कानून और राजनीति का हवाला देकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नहीं रोक सकती है।
- बड़ा सवाल यह है कि प्रिंसिपल क्या कर रहे थे। आखिर वो इतने निष्क्रिय क्यों बने रहे।