पीएम मोदी का 135 मिनट लंबा भाषण, विपक्षी एकजुटता और कमजोर होती बीजेपी
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पीएम मोदी का 135 मिनट लंबा भाषण, विपक्षी एकजुटता और कमजोर होती बीजेपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा में अपने 135 मिनट से ज़्यादा लंबे भाषण के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के सदस्यों द्वारा लगातार घेरा गया.


Lok Sabha PM Modi Speech: लोकसभा में बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार की कम होती ताकत मंगलवार को तब दिखी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा में अपने 135 मिनट से ज़्यादा लंबे भाषण के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के सदस्यों द्वारा लगातार घेरा गया. यह पहली बार है जब पीएम मोदी को एकजुट विपक्ष के गुस्से का सामना करना पड़ा है.

कड़वी खींचतान

लोकसभा चुनाव के दौरान दिखाई देने वाली भाजपा और कांग्रेस के बीच की तीखी राजनीतिक खींचतान मंगलवार को संसद में उस समय सामने आ गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिया. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों की संख्या के आगे मोदी को पहली बार विपक्ष के गुस्से का सामना करना पड़ा. जब हंगामा लगातार जारी रहा तो पीएम मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से विपक्षी सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा.

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के लेखक और प्रोफेसर अभय दुबे ने द फेडरल को बताया कि बीजेपी के साथ समस्या यह है कि उसने विपक्ष की योजनाओं और कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों के सांसदों की संख्या में वृद्धि का अनुमान नहीं लगाया. बीजेपी के पास विपक्ष के खिलाफ कोई योजना नहीं थी. जबकि, इंडिया गठबंधन के सदस्य पीएम मोदी का मुकाबला करने के लिए अच्छी तरह से तैयार थे. दो घंटे से अधिक समय में यह साफ हो गया कि बीजेपी के पास विपक्ष की ताकत के खिलाफ कोई जवाब नहीं था.

सरकार के पाले में गेंद

ओम बिरला हाल ही में चुनाव जीतकर लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बने हैं. लेकिन वे विपक्षी दलों को नियंत्रित नहीं कर सके और आक्रामक विपक्ष के सामने असहाय नजर आए. हालात और भी बदतर हो गए हैं, क्योंकि भाजपा सत्ता में है और संसद के नियमों के अनुसार सदन को चलाना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. वहीं, विपक्ष ने यह साफ कर दिया है कि उसके पास प्रधानमंत्री को घेरने के लिए पर्याप्त संख्या है. लेकिन अगले पांच सालों तक लोकसभा में स्थिति से निपटने के लिए गेंद भाजपा के पाले में है.

अभय दुबे ने कहा कि बीजेपी को बैठकर स्थिति को फिर से समझने की ज़रूरत है. क्योंकि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र ही सदन चलाने के लिए ज़िम्मेदार है. विपक्ष सरकार की मदद करने का विकल्प चुन सकता है. लेकिन ऐसा करने के लिए वह बाध्य नहीं है. ऐसे में सरकार को ही यह प्रयास करना है. वहीं, विपक्ष ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि देश में राजनीतिक स्थिति बदल गई है.

खो दिया अवसर

प्रधानमंत्री का दो घंटे से ज़्यादा लंबा भाषण मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर केंद्रित रहा. केंद्र सरकार इस अवसर का इस्तेमाल अगले पांच सालों में क्या करना चाहती है, इसका आर्थिक रोडमैप देने के लिए कर सकती थी. हालांकि, प्रधानमंत्री ने नीट परीक्षा, पेपर लीक और अग्निवीर योजना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की. लेकिन इन मुद्दों पर केंद्र सरकार द्वारा एक निश्चित कार्य योजना भाजपा को अपने मतदाता आधार से आगे तक पहुंचने में मदद कर सकती थी.

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