अब बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव की चर्चा, 272 से नीचे आने का असर तो नहीं
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अब बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव की चर्चा, 272 से नीचे आने का असर तो नहीं

सभी राजनीतिक दल अपने संगठन में बदलाव करते हैं.लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी संगठन में सर्जरी की चर्चा तेज हो गई है.


BJP News: आम चुनाव 2024 के नतीजे जब सामने आए तो हर कोई बीजेपी की टैली देख हैरान था. कहां पार्टी 370 पार के दावे कर रही थी जबकि 272 के जादुई आंकड़े को ना छू सकी. वैसे तो केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में एनडीए तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हो गई. लेकिन तथ्य यह है कि सरकार जेडीयू और टीडीपी की बैशाखी पर टिकी हुई है. यानी कि सरकार को ऑक्सीजन कब तक मिलेगी उसके कंट्रोलर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू हैं.

इन सबके बीच हम बात करेंगे कि क्या बीजेपी संगठन में बड़े पैमाने पर सर्जरी होने वाली है. हालांकि इसे समझने से पहले दो बड़े नेताओं ने क्या कहा था उसे समझिए. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की. वहीं यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि वो हार कि जिम्मेदारी लेते हैं.

सरकार केंद्रित पार्टी की छवि बनी
पिछले 10 साल में यह चर्चा आम रही है कि बीजेपी संगठन केंद्रित होने की जगह सरकार केंद्रित हो चुकी है. यानी कि सरकार के पीछे पीछे, उसकी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जुटी रही है. लेकिन पार्टी के जो अपने कार्यक्रम होते हैं उससे कहीं भटक गई. पिछले 10 साल में ऐसा नहीं कि उसका फायदा नहीं मिला. फायदा तो हुआ लेकिन 2024 के नतीजे संकेत दे गए कि अब पुरानी पद्धति से हटना होगा. ऐसा लगने लगा था कि पार्टी व्यक्ति केंद्रित हो चुकी है. यह बात सही है कि बीजेपी के कैडर उज्ज्वला योजमा, पीएम कृषि सिंचाई योजना, अन्नश्री योजना, मुद्रा योजना को आम लोगों तक पहुंचाने में कामयाब हुए. लेकिन यह भी सच है कि पार्टी तिरंगा यात्रा, गंगा बचाओ यात्रा जैसे मूल मुद्दों को भूल गई. ऐसे में भविष्य को देखते हुए संगठन में व्यापक बदलाव की जरूरत है.

संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन की चर्चा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी संगठन में कुछ बड़े बदलाव किए जा सकते हैं.जैसे संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन हो सकता है. इसके साथ ही अब सिर्फ चुनाव समिति के फीडबैक को ही आधार बनाकर टिकट देने से बचा जाएगा. इसके अलावा सर्वे एजेंसियों के जरिए फीडबैक लेना भी होगा. राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर खास जोर देने की वकालत की जा रही है. यही नहीं सात राष्ट्रीय महासचिवों में से पांच को बदला जा सकता है ताकि नए चेहरों को मौका मिल सके.

बाहरी दल के उम्मीदवारों को सोच समझ कर टिकट
अगर मौजूदा संगठन की बात करें तो केंद्रीय स्तर पर कुल 38 लोगों की टीम, इनमें पांच महिलाएं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चार राष्ट्रीय सचिव हैं लेकिन महासचिव पर नुमाइंदगी नहीं है. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में संघ पृष्ठभूमि वालों को जगह देने पर जोर. यही नहीं सरकारी योजनाओं में अगर संशोधन के लिए एक मंच को बनाए जाने पर जोर ताकि जनभावनाओं को भी जगह मिल सके. इसके साथ बाहरी नेताओं तो पार्टी में शामिल कराने और टिकट देने की सीमा तय है. आम चुनाव 2024 का उदाहरण पेश करते हुए बताया गया है कि बीजेपी के उम्मीदवारों ने 442 सीट पर किस्मत आजमायी थी जिसमें 110 टिकट बाहरी दल के नेताओं को मिले जिसमें करीब 62 फीसद चुनाव हार गए.

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