मनमोहन सिंह: आर्थिक तंगी में पलकर देश की अर्थव्यवस्था के बने वास्तुकार
डॉ मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था और बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था। आर्थिक तंगी में पले बढ़े डॉ सिंह ने 1991 में देश में आई आर्थिक तंगी को दूर भगाया।
Dr Manmohan Singh: डॉ. मनमोहन सिंह भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार का नेतृत्व किया। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और विकास में उनकी अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। एक विद्वान, विचारक और प्रशासक के रूप में उन्होंने भारत को आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से नई दिशा प्रदान की। डॉ मनमोहन सिंह की बात करें तो उनका बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा था। बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया। उन्हें अपने माता पिता को खोना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें उनके चाचा चाची ने पाला। उन्हें स्कॉलरशिप मिली, जिसकी वजह से वो पढाई के लिए विदेश जा सके।
जन्म एवं शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाँव गाह, चकवाल ज़िला, अविभाजित भारत पंजाब प्रांत में हुआ था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ॰ सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मन्त्री रहे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण
प्रशासनिक और आर्थिक योगदान
डॉ. सिंह का सार्वजनिक जीवन कई महत्वपूर्ण पदों से सुसज्जित है:
1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार
1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
योजना आयोग के उपाध्यक्ष
1991 से 1996 तक वित्त मंत्री
1991 में, जब भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उनके द्वारा लागू उदारीकरण की नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया।
पुरस्कार एवं सम्मान
डॉ. मनमोहन सिंह को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं:
1987 में पद्म विभूषण
1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार
एडम स्मिथ पुरस्कार और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मान
उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां भी प्राप्त कीं।
राजनीतिक सफर
डॉ. सिंह 1991 से राज्यसभा के सदस्य रहे और 1998-2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे। 2004 में उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 2009 में पुनः इस पद को संभाला। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कई उपलब्धियां हासिल कीं।
डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक प्रखर अर्थशास्त्री और कुशल प्रशासक थे, बल्कि एक ऐसे राजनेता भी थे, जिन्होंने अपनी विद्वता और दूरदर्शिता से भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया। उनके योगदान को हमेशा सराहा जाएगा।
Next Story