अमेठी पर हंगामा क्यों? राहुल से पहले भी कई दिग्गज हार चुके हैं चुनाव
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अमेठी पर हंगामा क्यों? राहुल से पहले भी कई दिग्गज हार चुके हैं चुनाव

अमेठी से राहुल गांधी चुनाव जीतते आए थे. हालांकि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने यहां राहुल गांधी को हराकर जीत हासिल की थी.


Lok Sabha Election 2024: इंडिया गठबंधन के बैनर तले यूपी की सभी 80 सीटों में से कांग्रेस 17 पर चुनाव लड़ रही है. जबकि, समाजवादी पार्टी को 62 और टीएमसी को 1 सीट मिली है. कांग्रेस ने 15 सीटों पर तो अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. लेकिन रायबरेली और अमेठी को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति में है. देश में ये दोनों लोकसभा सीट काफी हाई-प्रोफाइल मानी जाती है. क्योंकि, इनमें अधिकतर समय कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़कर जीतते आए हैं. हालांकि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा उलेटफेर हुआ था और बीजेपी की स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को हराकर जीत हासिल की थी. ऐसे में अभी तक कांग्रेस ने इन दोनों ही सीटों पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि, अमेठी से राहुल गांधी ही ऐसे बड़े नेता नहीं हैं, जिनकी हार हुई है. पहले भी कई दिग्गज यहां से चुनाव हार चुके हैं.

साल 2019 के चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से तो चुनाव हार गए थे, लेकिन केरल के वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे थे. इस बार भी राहुल गांधी वायनाड से ही चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, सोनिया गांधी भी राज्यसभा पहुंच गई हैं. ऐसे में गांधी परिवार की ये दोनों ही सीट अभी तक खाली है और कांग्रेस ने यहां से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. हालांकि, रायबरेली से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन उस पर अभी मुहर लगनी बाकी है. वहीं, अमेठी से भी राहुल गांधी के ही चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है. दूसरी तरफ रॉबर्ट वाड्रा के चुनाव लड़ने को लेकर पोस्टर लगाए जा रहे हैं. लेकिन कांग्रेस फिलहाल इस पर अभी कुछ बोल नहीं रही है.

अमेठी गांधी परिवार की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती रही है. यहां से संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव लड़कर जीतते आए हैं. राहुल गांधी की बात करें तो उन्होंने यहां से साल 2004 में सबसे पहले चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उनको करीब 67 प्रतिशत वोट मिले थे. इसके बाद साल 2009 और 2014 में भी अमेठी से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे, तब उनको क्रमश: 72 और 47 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था. इसमें स्मृति ईरानी को 49.71 और राहुल गांधी को 43.84 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी ने राहुल गांधी की हार को भी काफी भुनाया था. हारने के डर से भागकर वायनाड से चुनाव लड़ने का आरोप लगाया था. ऐसे में कांग्रेस इस बार अमेठी सीट को लेकर ऊहापोह की स्थिति में नजर आ रही है. क्योंकि अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो यूपी की सीटों पर इसका असर पड़ सकता है.

अमेठी लोकसभा सीट 1967 में बनी थी. यह सीट अधिकतर समय नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है. साल 2013 में अमेठी की जनसंख्या 15 लाख थी. यहां हिंदू की जनसंख्या 66.5 और मुस्लिम आबादी 33.04 प्रतिशत है. इस लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी शामिल हैं. इनमें से तीन सीट पर बीजेपी और दो पर सपा का कब्जा है. लेकिन हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में सपा के दोनों विधायक बीजेपी के पक्ष में दिखे. ऐसे में कहा जा सकता है कि अब सभी पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का प्रभाव है.

राहुल गांधी की साल 2019 में हुई हार इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जितना कि उसको बनाया जा रहा है. क्योंकि इस सीट से पहले भी कई दिग्गज चुनाव हार चुके हैं. इमरजेंसी के बाद हुए साल 1977 के चुनाव में कांग्रेस के संजय गांधी अमेठी से हार गए थे. साल 1981 में लोक दल से शरद यादव यहां से चुनाव हारे थे. इसके बाद संजय विचार मंच से मेनका गांधी को यहां से हार का मुख देखना पड़ा था. साल 1989 में जनता दल के राजमोहन गांधी और कांशीराम यहां से चुनाव हारे थे. साल 1998 में कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा और 1999 में बीजेपी के संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास चुनाव हार गए थे. वहीं, साल 2019 में खुद राहुल गांधी को अमेठी से हार का मुंह देखना पड़ा था.

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