The India-UK agreement could open new avenues for Indian agriculture.
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भारत-ब्रिटेन समझौते से भारत में खेतीबाड़ी को नये आयाम मिल सकते हैं

तीखी मिर्च, मीठा दशहरी आम, कड़वा करेला भी विश्व बाजार में छोड़ेगा छाप

देश के कई हिस्सों में परंपरागत प्राकृतिक और आर्गेनिक खेती होती है, जिसे और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।


भारतीय किसानों के लिए विलायत के बाजार खुलने लगे हैं। विश्व बाजार में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग है, जिसकी राह के रोड़े अब हटाये जा रहे हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ मुक्त व्यापार समझौता इसका ताजा उदाहरण है।

इसका लाभ उठाकर विश्व कृषि निर्यात में घरेलू किसानों की भागीदारी बढाने के लिए मांग आधारित खेती पर जोर देना होगा जिसमें एफपीओ की भूमिका अहम हो सकती है। देश के कई हिस्सों में परंपरागत प्राकृतिक और आर्गेनिक खेती होती है, जिसे और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

भारत-ब्रिटेन समझौते से भारतीय कृषि को नये आयाम मिल सकते हैं। इससे घाटे की खेती नफे का कारोबार बन सकती है। सरकार ने भी इस दिशा में कारगर पहल करनी शुरु कर दी है। निर्यात बाजार में कृषि उत्पादों के साथ बागवानी उपज और समुद्री उत्पादों की मांग अधिक है।

विश्व बाजार में भारतीय मसालों की खुशबू पहले से ही विदेशियों को लुभा रही है। खुलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की तीखी मिर्च, मीठा दशहरी आम और कड़वा करेला भी अपनी छाप छोड़ेगा।

मांग आधारित खेती पर देना होगा जोर

सरकार की इस पहल से भारतीय किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए दुनिया के बाजार खुलेंगे जिसका सीधा लाभ देश के किसानों को मिलेगा। ब्रिटेन के अलावा कई और देश इसी तरह के व्यापार समझौते करने के कतार में है। इससे विश्व कृषि उत्पादों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। ऐसे में देश के किसानों को निर्यात मांग के अऩुरूप खेती पर जोर देना होगा, जिसके लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से देश के किसानों को हर तरह की मदद मुहैया कराने की जरूरत पड़ेगी।

मांग आधारित खेती होने से किसानों को उनकी उपज का उचित व लाभकारी मूल्य प्राप्त होगा। इसके लिए आधुनिक कृषि टेक्नोलॉजी, उन्नत किस्म के बीज, विश्व बाजार से निकलने वाली मांग की सूचनाएं किसानों तक पहुंचना जरूरी है। किसानों को सस्ती दरों पर उनकी जरूरत के मुताबिक इनपुट उपलब्ध कराने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बारे में जोर देकर कहा कि खेती को लाभ का कारोबार बनाना सरकार की उच्च प्राथमिकता में शामिल है।

ब्रिटेन के व्यापार समझौते से खुली राह

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्मार्टर द्वारा छह मई को घोषित मुक्त व्यापार समझौते से विश्व की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। भारत और ब्रिटेन के बीच फिलहाल तकरीबन 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है। दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौता हो जाने से वर्ष 2040 तक इसमें 34 अरब डॉलर का अतिरिक्त इजाफा होने की उम्मीद है।

ब्रिटेन में बनी व्हिस्की और जिन पर टैरिफ 150 प्रतिशत से आधा होकर 75 प्रतिशत होगा और 10 साल में घटकर 40 प्रतिशत रह जाएगा। ब्रिटेन के जिन अन्य सामानों पर टैरिफ घटेगा, उनमें सौंदर्य प्रसाधन, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिकल्स, भेड़ का मांस, शीतल पेय, चॉकलेट और बिस्कुट शामिल हैं। इस प्रकार ब्रिटेन के विभिन्न उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अवसर बढ़ने जा रहे हैं, जिसका लाभ ब्रिटेन की कंपनियों और निर्यातकों को मिलेगा। दोनों देशों की व्यापार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

भारत को क्या मिलेगा?

मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन भी भारतीय उत्पादों पर टैरिफ कम करेगा। भारत के 99 प्रतिशत उत्पाद ब्रिटेन में टैरिफ मुक्त यानी ड्यूटी-फ्री होंगे। भारत को इसमे सबसे ज्यादा टेक्सटाइल और अपैरल सेक्टर को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

इसमें भी कॉटन कपड़ों का बाजार मिलेगा, जिसका लाभ टेक्सटाइल उद्योग को मिलेगा तो इससे घरेलू कपास उत्पादक किसानों को लाभान्वित होंगे।

आम, अंगूर और हरी मिर्च को अंतरराष्ट्रीय मंडी में मिलेगी जगह

भारत के समुद्री उत्पादों को बाजार मिलेगा। टैरिफ मुक्त होने का फायदा भारत के अंगूर, आम और प्रोसेस्ड फूड सहित कृषि उपज के निर्यात को मिलेगा। इसके लिए भारतीय किसानों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जीतोड़ मेहनत करनी होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए भारतीय किसानों को वैज्ञानिक तरीके की खेती पर जोर देना होगा।

खेती के तौर तरीकों में बदलाव लाने की महती आवश्यकता पड़ेगी। परंपरागत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। विश्व बाजार में आर्गेनिक फूड की निर्यात मांग खूब है, जिसका लाभ भारतीय किसान उठा सकते हैं। ब्रिटेन के साथ हुए समझौते की वजह से भारतीय आर्गेनिक कृषि उत्पादों को आसानी से बाजार उपलब्ध हो गया है।

ब्रिटेन में भारतीय अंगूर और अपनी पैठ मजबूत कर सकते हैं। अंगूर निर्यात में महाराष्ट्र जैसे राज्य की भागीदारी सबसे ज्यादा है। लेकिन पेस्टीसाइड के अंधाधुंध प्रयोग से अंगूर को विश्व बाजार में टिके रहना आसान नहीं होगा। भारतीय उत्पाद गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरने और गैर-टैरिफ बाधाओं को पार कर ड्यूटी-फ्री पहुंच का लाभ उठा सकते हैं।

आर्गेनिक कृषि उत्पादों की बढ़ेगी मांग

जैविक उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सहकारिता क्षेत्र की राष्ट्रीय सोसाइटी भारतीय सहकारी जैविक सोसाइटी लिमिटेड (एनसीओएल) का गठन किया गया है जो जैविक उत्पादों की पैदावार बढ़ाने के साथ उसके निर्यात तक की सुविधा उपलब्ध कराती है। भारत के कई राज्यों में आज भी परंपरागत प्राकृतिक खेती होती है, जिसके उत्पादों की निर्यात मांग बढ़ सकती है।

कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात सोसाइटी भी है, जिसका लाभ किसान उठा सकते हैं। देश के छोटे व सीमांत किसानों को एकजुट करने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन किया गया है। विश्व बाजार में अपनी धमक बढ़ाने के लिए एफपीओ काफी सहायक साबित हो सकते हैं।

समुद्री उत्पादों में भारतीय झींगा तोड़ेगा रिकार्ड

भारतीय किसानों और मछुआरों को अपने उत्पादों को निर्यात करना आसान हो जाएगा। दूसरी बात यह कि ब्रिटेन के बाजारों में उनके उपभोक्ताओं की पसंद के उत्पादों पर नजर रखना होगा, जिसकी मांग अधिक है। उसी के अऩुरूप खेती करनी होगी।

यानी जिस उत्पाद मांग हो, उसकी ही खेती की जाए, जिससे उसे पर्याप्त बाजार मिल सके और उचित लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके। विश्व बाजार में समुद्री उत्पादों में भारतीय झींगा की धमक है। आने वाले दिनों में झींगा निर्यात में भारत नया रिकार्ड बना सकता है।

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