बिहार में चुनाव प्रचार करेंगी मायावती, 6 नवंबर को कैमूर जिले में करेंगी रैली
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बिहार में चुनाव प्रचार करेंगी मायावती, 6 नवंबर को कैमूर जिले में करेंगी रैली

लखनऊ रैली के बाद मायावती के रुख़ पर नज़र रहेगी कि क्या बीएसपी NDA के पक्ष में वोट काट सकती है? मायावती 6 नवंबर को कैमूर जिले की रामगढ़ और चैनपुर विधानसभा सीटों के लिए रैली करने वाली हैं।


बीएसपी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नवंबर के पहले सप्ताह में प्रचार का आग़ाज़ करेंगी। 6 नवंबर को रामगढ़ और कैमूर विधानसभा के लिए पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभा कर मायावती वोट माँगेंगी। कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में महारैली में जुटी भीड़ के बाद पार्टी एक्शन मोड में है और मायावती यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को दूसरे राज्यों में ज़मीन पर मज़बूत करना चाहती हैं। साथ ही मायावती के रुख़ से आगे बीएसपी की राजनीतिक दिशा के संकेत भी मिलेंगे। वहीं आकाश आनंद की भी कई रैलियां बिहार में होंगी।

बीएसपी सुप्रीमो मायावती बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार में लिए रैली करेंगी। हालाँकि पार्टी ने पहले ही 243 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया था पर अब तक 128 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया है। जानकारी के अनुसार मायावती 6 नवंबर को कैमूर जिले की रामगढ़ और चैनपुर विधानसभा सीटों के लिए रैली करने वाली हैं।उनकी यह रैली भभुआ हवाई अड्डे के मैदान में होगी। मायावती यहाँ न सिर्फ़ अपने प्रत्याशियों के समर्थन में वोट माँगेंगी बल्कि दलित और मतदाताओं को यह बताएंगी की यूपी में बीएसपी ने सत्ता में रहते हुए क्या काम किए हैं।इसके साथ ही कांग्रेस ने हमेशा दलित विरोधी फ़ैसले लिए हैं।

मायावती की रैली के क्या है मायने ?

बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने वाले हैं, जिसमें पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा 11 नवंबर को होगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार मायावती दो रैलियां कर सकती हैं।मायावती के इस सांकेतिक प्रचार के मायने तलाशे का रहे हैं।अभी रैलियों की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।मायावती की रैलियों के लिए उन विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस किया जा रहा है जहाँ दलित आबादी ज़्यादा है।दरअसल बिहार विधानसभा में घोषित बीएसपी प्रत्याशियों की तरफ़ से लगातार मायावती की रैली के लिए डिमांड लगातार की जा रही है। पार्टी पहले से ही बिहार में ज़मीन पर बीएसपी की उपस्थिति को मजबूत करने और मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए पार्टी रणनीति के तहत काम कर रही है।लेकिन मायावती ख़ुद यूपी में फोकस करना चाहती हैं।ऐसे में अभी रैली की औपचारिक घोषणा का इंतज़ार है। राजनीतक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती का यह सांकेतिक चुनाव प्रचार पार्टी को भले ही कोई लाभ न पहुंचाए पर बीएसपी कुछ सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकती है।

आकाश आनंद संभाल रहे हैं बिहार में प्रचार की रणनीति-

जानकारी के अनुसार पार्टी के नेशनल कन्वेनर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद की भी कई रैलियां बिहार में होंगी।मायावती ने पहले ही आकाश आनंद को बिहार चुनाव के लिए ज़मीन तैयार करने और ख़ास तौर पर युवाओं के साथ संपर्क की ज़िम्मेदारी दी थी।आकाश आनंद ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर इसकी रिपोर्ट मायावती को सौंपी है।हालांकि बीएसपी अब तक बिहार में कोई मज़बूत उपस्थिति दर्ज़ नहीं करा पायी है पर पार्टी रणनीति बनाकर काम कर रही है। उसके तहत पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों को भी सक्रिय किया है।इनमें आकाश आनंद, रामजी गौतम और लालजी मेधनकर शामिल हैं।9 अक्टूबर को लखनऊ में कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने बड़ी रैली की थी।रैली में जुटी भीड़ से उत्साहित बीएसपी अब यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पूरी तरह से एक्शन मोड में रहना चाहती है।

क्या NDA के पक्ष में वोट काटेगी बीएसपी?

दरअसल लखनऊ में 9 अक्टूबर को बीएसपी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने जो रैली की उसमें बड़ी भीड़ जुटने से पार्टी उत्साहित है।लेकिन उस रैली में बीएसपी अध्यक्ष के सपा पर वार करने और बीजेपी पर नरमी दिखाने के बाद अब बिहार में मायावती की रणनीति अहम हो गई है।ज़ाहिर है अगर मायावती एनडीए( NDA ) पर नरमी दिखाती हैं और महागठबंधन पर आक्रामक होती हैं तो बीएसपी पर बीजेपी की बी- टीम ( B Team ) होने का कांग्रेस-सपा का आरोप और पुख्ता होगा तो वहीं उन पर ‘वोट कटवा’ बनकर एनडीए को लाभ पहुंचाने का आरोप भी लगेगा।

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन कहते हैं ‘ बिहार में बीएसपी का कोई आधार नहीं है।वहाँ से राजनीतिक रूप से मायावती को कुछ हासिल नहीं होगा।ऐसे में जिस तरह लखनऊ में मायावती ने अपनी रैली में सपा-कांग्रेस को ही निशाने पर रखा और बीजेपी और योगी सरकार की तारीफ़ की उसी लाइन पर उम्मीद यह की जा रही है कि उनकी रैली वहाँ होंगी।यानि मायावती के मुख्य रूप से कांग्रेस पर हमलावर होंगी और आरजेडी इसी घेरे में होगी।ऐसे में बीएसपी की भूमिका सिर्फ वोट काटने वाली पार्टी की तौर पर ही दिखेगी फिलहाल ऐसा लग रहा है।’

2020 बिहार विधानसभा चुनाव में मायावती ने ओवैसी की पार्टी AIMIM और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था।पार्टी को रामगढ़ और चैनपुर में जीत भी हासिल हुई थी।बाद में दोनों विधायक पार्टी छोड़ गए।

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