
आज से इतिहास हो गया भारत का MiG-21, दिग्गज फाइटर जेट को सेवानिवृत्त किया
भारतीय वायुसेना (IAF) ने MiG-21 को विदाई दे दी। शुक्रवार को एक युग के अंत का प्रतीक बनकर दिग्गज लड़ाकू जेट ने चंडीगढ़ के आकाश में अपनी अंतिम उड़ान भरी
MiG-21 के इंजन की गड़गड़ाहट भारतीय आकाश में आख़िरी बार सुनाई दी, जब भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक फाइटर शुक्रवार (26 सितंबर) को चंडीगढ़ के आकाश में तीन विमानों की ‘बादल’ फ़ॉर्मेशन और चार विमानों की ‘पैंथर’ फ़ॉर्मेशन में उड़ान भरता हुआ दिखाई दिया। वायुसेना का यह पुराना और विश्वसनीय विमान सूर्य की चमकदार किरणों के बीच नीले आसमान में उड़ान भरता रहा, जो elaborate विदाई समारोह के लिए परिपूर्ण दृश्य प्रस्तुत कर रहा था, जबकि पायलट अपने साथी को कई युद्धों में लड़ा हुआ देखते हुए भावुक थे।
IAF प्रमुख ने भरी अंतिम उड़ान
एयर चीफ़ मार्शल ए.पी. सिंह ने MiG-21 Bison विमान की उड़ान भरी, जिसका कॉल साइन ‘बादल 3’ था। दिलबाग सिंह, जो 1981 में IAF प्रमुख बने, ने 1963 में यहाँ पहली MiG-21 स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था।
MiG-21 ऑपरेशंस का समापन एक औपचारिक फ़्लाईपास और डी-कमीशनिंग कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसने भारत की वायु शक्ति में एक ऐतिहासिक अध्याय का अंत दर्शाया। समारोह की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आगमन के साथ हुई, जो इस अवसर के मुख्य अतिथि थे। इसके बाद IAF की प्रमुख स्काइडाइविंग टीम 'आकाश गंगा' ने 8,000 फीट की ऊँचाई से स्काइडाइविंग का शानदार प्रदर्शन किया।
यह भारतीय सैन्य विमानन में एक युग का अंत था, जब MiG-21 ने वायु योद्धा ड्रिल टीम की सटीकता के साथ भव्य फ़्लाईपास और हवाई सलामी दी। सूर्य किरण ऐरोबैटिक टीम ने भी अपने शानदार करतबों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
भागीदारी में Jaguar और Tejas
MiG-21 जेट, जो 23 स्क्वाड्रन के हैं, ने फ़्लाईपास समारोह में भाग लिया और उन्हें जल तोपों की सलामी दी गई। Jaguar और Tejas विमान ने भी इस समारोह में भाग लिया। Tejas एक एकल-इंजन बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है, जो उच्च-खतरे वाले वायु वातावरण में संचालन करने में सक्षम है। इसे वायु रक्षा, समुद्री निगरानी और स्ट्राइक मिशन के लिए डिजाइन किया गया है।
MiG-21 का सुरक्षा रिकॉर्ड और योगदान
1960 के दशक में IAF में शामिल किए गए सुपरसोनिक जेट्स 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले विमान थे। इन विमानों ने 1999 के कारगिल संघर्ष और 2019 के बालाकोट हवाई हमलों में भी अहम भूमिका निभाई।
हालांकि, इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड परेशान करने वाला रहा है और पिछले छह दशकों में कई दुर्घटनाओं में शामिल रहा है। पुरानी उड़ान क्षमता के कारण इसे कभी-कभी "विरासत के ताबूत" कहा गया। MiG-21 ने अपनी अंतिम ऑपरेशनल उड़ान राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयर फ़ोर्स स्टेशन से भरी, एक महीने पहले औपचारिक सेवानिवृत्ति समारोह के।
राजनाथ सिंह ने MiG-21 को ऐसे याद किया
MiG-21 को एक शक्तिशाली मशीन और राष्ट्रीय गौरव बताते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस विमान के प्रति गहरा लगाव है जिसने हमारे आत्मविश्वास को आकार दिया। सभा को संबोधित करते हुए कहा राजनाथ ने कहा, "MiG-21 केवल एक विमान या मशीन नहीं है, बल्कि भारत-रूस के गहरे संबंधों का प्रमाण भी है। सैन्य विमानन का इतिहास अद्भुत है। MiG-21 ने हमारे सैन्य विमानन यात्रा में कई गौरवपूर्ण पल जोड़े।"