खनिज संपदा वाले राज्य अब हो जाएंगे मालामाल, SC के फैसले को ऐसे समझिए
खनिज संपदा और खनिज जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों का है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ना सिर्फ राज्य धनवान होंगे बल्कि केंद्र पर उन राज्यों की निर्भरता भी कम होगी.
Mines Tax Issue: देश के 29 सूबों में से पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश खनिज संपदा के मामले में संपन्न हैं. हालांकि इन राज्यों की शिकायत है रही है कि उन्हें उनका नहीं मिलता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद ये राज्य मालामाल हो जाएंगे। बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 35 साल पुराने फैसले को पलट दिया। 8-1 की पीठ ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है.यह राज्यों का अपना विषय है वो टैक्स लगा सकते हैं हालांकि संसद को नियंत्रित करने का अधिकार होगा।
तीन दशक पहले राज्यों ने दी थी चुनौती
खनिज और खनिज संपदा वाले जमीन पर राज्य सरकारों ने टैक्स लगाने का फैसला किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. राजस्थान और यूपी सरकार ने कोयले और कोयले वाली धूल पर ट्रांसपोर्ट सेश लगाए जाने की मांग केंद्र सरकार से की थी. इसी तरह की मांग 1992 में बिहार सरकार ने भी की थी. 2011 में तीन जजों की बेंच से इस मामले को बड़ी बेंच (9 जजों)को सुपुर्द कर दिया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 1989 में फैसला सुनाते हुए कहा कि खनिज याखनिज संपदा वाली जमीन पर रॉयल्टी या टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों को नहीं है.
2011 में 9 जजों की बेंच को मामला सुपुर्द
2011 में जस्टिस एच एस कपाड़िया ने इस विषय को जब बड़ी बेंच को भेजा तो एक सवाल यह था कि क्या 1957 के एमएमडीआरए के तहत रॉयल्टी को टैक्स मानना चाहिए या नहीं।9 जजों की बेंच को तय करना था कि रॉयल्टी को क्या टैक्स मानना चाहिए। इसके साथ क्या राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही 1957 का एमएमआरडीए कानून राज्यों को टैक्स लगाने की शक्तियों पर पाबंदी नहीं लगाता।
फैसला लागू करने पर आएगा फैसला
अब इस फैसले को कब लागू किया जाएगा इस पर फैसला होना है। कई राज्य सरकारें पहले से इसे लागू करने की मांग की है। लेकिन सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि जिस दिन बड़ी बेंच का फैसला आया है उस दिन से इसे लागू किया जाए। अब इस विषय पर बुधवार यानी 31 जुलाई को सुनवाई होगी।
फैसले का असर
राज्यों की आर्थिक ताकत बढ़ेगी। झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों का राजस्व बढ़ेगा.
केंद्र पर असर यह हो सकता है कि अगर फैसला पहले से लागू हुआ तो केंद्र को भारी बकाया चुकाना होगा
उद्योगों की चिंता है कि इसकी वजह से उन्हें दोहरे कर का सामना करना पड़ सकता है और खनन महंगा हो जाएगा।
इन राज्यों में सबसे अधिक खदान
खनिज मंत्रालय के मुताबिक सबसे अधिक खदानें मध्य प्रदेश, गुजरात,कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड़ और तेलंगाना में है।