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संयुक्त राष्ट्र को विदेश मंत्री एस जयशंकर की खरी खरी, कहा संयुक्त राष्ट्र पुरानी कंपनी
कौटल्य आर्थिक सम्मलेन में विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र कहाँ है? संयुक्त राष्ट्र एक पुरानी कंपनी की तरह है जो सिर्फ जगह घेरे हुए है.
United Nations An Old Company : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अपने के बयान में संयुक्त राष्ट्र को न सिर्फ खरी खरी सुनाई बल्कि उसे एक पुरानी कंपनी की संज्ञा भी दी और कहा कि ''ये एक ऐसी पुरानी कंपनी है जो समय के साथ तालमेल नहीं बना पा रही है'' और सिर्फ जगह घेरे हुए है. ऐसे में नए स्टार्टअप्स अपनी जगह बनाते हैं.
कौटिल्य आर्थिक सम्मलेन में बोल रहे थे विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बोल रहे थे, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को लेकर कहा कि ''दुनिया में दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र उन दोनों ही विषयों में कहां है? निश्चित रूप से मूकदर्शक बना हुआ है."
बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में अस्तित्व में आए विश्व निकाय के बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया. शुरुआत में इसमें 50 देश थे, जो इन वर्षों में बढ़कर लगभग चार गुना हो गए हैं.
पुरानी कंपनी की जगह लेते हैं स्टार्टअप
जयशंकर ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र एक तरह से पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ नहीं चल रही है, लेकिन जगह घेर रही है. और, जब यह समय से पीछे होती है, तो इस दुनिया में आपके पास स्टार्ट-अप और नवाचार होते हैं, इसलिए अलग-अलग लोग अपनी चीजें करना शुरू कर देते हैं."
उन्होंने कहा, "आज आपके पास एक संयुक्त राष्ट्र है, हालांकि इसकी कार्यप्रणाली अपर्याप्त है, तथापि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय संस्था है''. "लेकिन, जब यह प्रमुख मुद्दों पर कदम नहीं उठाता है, तो देश इसे करने के अपने तरीके खोज लेते हैं. उदाहरण के लिए, आइए पिछले पांच-10 वर्षों को लें, शायद हमारे जीवन में सबसे बड़ी बात कोविड थी. अब, कोविड पर संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया? मुझे लगता है कि इसका उत्तर है - बहुत ज्यादा नहीं."
जयशंकर ने कहा, "आज विश्व में दो संघर्ष चल रहे हैं, दो बहुत गंभीर संघर्ष, उन पर संयुक्त राष्ट्र कहां है, वह केवल मूकदर्शक है."
इसलिए, जो हो रहा है, जैसा कि कोविड के दौरान भी हुआ, देशों ने अपनी-अपनी चीजें कीं, जैसे कि कोवैक्स जैसी पहल जो देशों के एक समूह द्वारा की गई थी, मंत्री ने कहा. "जब दिन के बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आपके पास कुछ करने के लिए सहमत होने के लिए एक साथ आने वाले देशों का बढ़ता समूह होता है." उन्होंने भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), वैश्विक कॉमन्स की देखभाल के लिए इंडो-पैसिफिक में QUAD, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI) जैसी कनेक्टिविटी पहलों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सभी निकाय संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर हैं.
संयुक्त राष्ट्र रहेगा लेकिन तेजी से खड़े हो रहे गैर संयुक्त राष्ट्र संगठन
जयशंकर ने कहा, "आज, संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन तेजी से गैर-संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र भी सक्रिय हो रहा है और मुझे लगता है कि इसका असर संयुक्त राष्ट्र पर पड़ रहा है." संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के अनुसार, अपनी स्थापना के 75 वर्षों से भी अधिक समय बाद भी संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने, जरूरतमंदों को मानवीय सहायता प्रदान करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के लिए काम कर रहा है.
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