
गाय के नाम पर भीड़ हिंसा: देशभर में लिंचिंग के बड़े मामलों की कहानी
अख़लाक, पहलू खान से लेकर भिवानी कांड तक पिछले दशक में गौ-रक्षक हिंसा कैसे बढ़ी, किन मामलों में जांच अटकी और BNS लागू होने के बाद कानून में क्या बदला।
Mob Lynching Cases: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 2015 में गाय के मास के संदेह में भीड़ द्वारा की गयी मोहम्मद अख़लाक़ की हत्या के मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप हटाने के लिए आवेदन किया है। प्रदेश सरकार के इस कदम से देश भर में इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी है कि गायों को लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में हुई हिंसा के मामलों में आरोपियों के खिलाफ क़ानूनी प्रक्रिया अपनाई गयी?
मोहम्मद अख़लाक़ मामला
15 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गौतम बुद्ध नगर की एक सेशन कोर्ट में मो. अख़लाक के साथ 28 सितंबर 2015 को हुए भीड़ द्वारा हमला मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप हटाने के लिए आवेदन किया। अख़लाक 52 वर्ष के थे और उन पर बीफ रखने का संदेह था। रिपोर्ट के अनुसार, एक मंदिर में इसकी घोषणा होने के बाद उन्हें घर से बाहर खींचकर पीटा गया, जिससे उनकी मौत हो गई। उनके पुत्र दानीश को चोटें आईं।
मामला लगभग दस साल से न्यायालय में विचाराधीन है। ट्रायल कोर्ट ने अभी तक यूपी सरकार के धारा 321 CrPC के तहत आवेदन पर आदेश नहीं दिया। इस धारा के तहत अभियोजन पक्ष अदालत की अनुमति से मुकदमे से पीछे हट सकता है। अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
BNSS के तहत सुरक्षा:
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 360 के अनुसार, पीड़ित को सुने बिना किसी भी तरह का अपराध निवारण स्वीकार नहीं किया जा सकता। अख़लाक मामले ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया और गाय रक्षा के नाम पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को उजागर किया।
अन्य प्रमुख मामले
मुस्तैन हत्या (सहारनपुर, 2016)
27 वर्षीय मुस्तैन, सहारनपुर निवासी, 5 मार्च 2016 को भैंस खरीदने के लिए शाहबाद गया था। जब वह घर नहीं लौटा, तो 12 मार्च को DDR दर्ज की गई। जांच में पता चला कि ‘गौ रक्षक दल’ ने यूपी वाहन रोकते समय फायरिंग की। मुस्तैन का शव 2 अप्रैल 2016 को मिला। हाई कोर्ट ने मामले को CBI को सौंपा और DC तथा SP को दूर भेजने का आदेश दिया।
पहलू खान हत्या (नूह, राजस्थान, 2017)
1 अप्रैल 2017 को 55 वर्षीय डेयरी किसान पहलू खान को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर गाय तस्करी के संदेह में गौ रक्षकों ने रोका। दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। वीडियो भी सामने आया। राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें सार्वजनिक रूप से गाय तस्कर कहा। 14 अगस्त 2019 को भाजपा शासन में पुलिस की कमजोर जांच के कारण छह आरोपियों को बरी किया गया। बाद में कांग्रेस शासन में अपील हाई कोर्ट में लंबित है। दो नाबालिगों को मार्च 2021 में दोषी ठहराया गया।
भिवानी घटना (हरियाणा, 2023)
16 फरवरी 2023 को कथित रूप से गौ रक्षकों ने नसीर और जुनैद को राजस्थान के भरतपुर से अगवा किया और भिवानी में जलाकर मार डाला। बजरंग दल कार्यकर्ता मोनू मानेसर आरोपी हैं। यह मामला अभी अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करने के चरण में है।
अन्य घटनाएं
23 अगस्त 2024: 19 वर्षीय आर्यन मिश्रा को फरीदाबाद में बीफ तस्करी के संदेह में मारा गया।
27 अगस्त 2024: साबिर मलिक, पश्चिम बंगाल निवासी, को चर्खी दादरी में बीफ खाने के संदेह में मारा गया। बाद में फोरेंसिक रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि यह बीफ नहीं था।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नयाब सिंह सैनी ने कहा कि ऐसी घटनाओं को लिंचिंग नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि लोगों की गायों के प्रति श्रद्धा इतनी है कि वे खुद कार्रवाई कर लेते हैं।
सिर्फ मुसलमान नहीं
15 अक्टूबर 2002 को झज्जर में पांच दलितों को पुलिस चौकी से बाहर निकालकर मारा गया। दो शव जलाए गए। पुलिस सहभागिता का आरोप लगा। 2010 में सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई।
लिंचिंग डेटा और कानून
लोकसभा सांसद मनीष तिवारी इस सन्दर्भ में सदन में प्रश्न किया था, जिसके जवाब में, 15 मार्च 2022 को केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि IPC में लिंचिंग अपराध नहीं है। उन्होंने 2017 में NCRB ने डेटा जमा किया था, लेकिन यह अविश्वसनीय था।
सुप्रीम कोर्ट ने तेहसीन पूनावाला केस (17 जुलाई 2018) में कहा कि “लिंचिंग और भीड़ हिंसा धीरे-धीरे एक भयावह समस्या बन रही है, जो असहिष्णुता और झूठी खबरों से प्रेरित है।” कोर्ट ने संसद से लिंचिंग को अलग अपराध बनाने और उचित सजा देने की सिफारिश की।
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2024
1 जुलाई 2024 से लागू BNS में धारा 103(2) के तहत पहली बार भीड़ द्वारा हत्या को कानूनी अपराध माना गया। इसमें कहा गया कि यदि पांच या अधिक लोग जाति, समुदाय, धर्म आदि के आधार पर हत्या करते हैं, तो प्रत्येक को फांसी या आजीवन कारावास और जुर्माना भुगतना होगा।
BNS लागू होने के बाद, हरियाणा में 1 जुलाई 2024 से कोई भीड़ लिंचिंग दर्ज नहीं हुई है।
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