Modi Trump
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नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

क्या मोदी-ट्रंप की दोस्ती में दरार आ गई है?

‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों से लेकर कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश तक, दोनों नेताओं के संबंध अब पहले जैसे नहीं लगते.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्सर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी शानदार दोस्ती की बात की है। यहां तक कि 2020 के अमेरिकी चुनाव से पहले पीएम मोदी ने भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा देकर उनके लिए समर्थन जुटाने की कोशिश भी की थी।

हालांकि, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में हालात अब पहले जैसे नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों में कई घटनाएं हुई हैं जो यह संकेत देती हैं कि दोनों नेताओं के बीच जो समीकरण कभी हुआ करता था, वह अब अतीत की बात हो गई है—चाहे वह ट्रेड टैरिफ का मुद्दा हो या ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष विराम।

ट्रंप 2.0 में बिगड़ते संबंध

दोनों नेताओं के रिश्तों में बदलाव का सबसे अहम मोड़ तब आया जब पीएम मोदी पिछले साल सितंबर में अमेरिका गए लेकिन ट्रंप से मुलाकात नहीं की, जबकि कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों मिलेंगे। यह ट्रंप के पहले कार्यकाल से एकदम अलग था। 2019 में ह्यूस्टन में हुए “हाउडी मोदी” कार्यक्रम में पीएम मोदी ने ट्रंप को आमंत्रित किया था, जिसमें 50,000 लोगों की भीड़ से ट्रंप काफी प्रभावित हुए थे। इसके बाद 2020 में ट्रंप ने भारत दौरा किया और अहमदाबाद में “नमस्ते ट्रंप” कार्यक्रम में एक लाख लोगों की मौजूदगी में उनका स्वागत किया गया।

2019 के ह्यूस्टन कार्यक्रम में पीएम मोदी ने ट्रंप के दोबारा चुनाव के लिए ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा भी दोहराया था, जिसे लेकर कुछ आलोचना भी हुई थी। यह नारा ट्रंप समर्थक भारतीय-अमेरिकियों द्वारा गढ़ा गया था, जो दोनों नेताओं को मजबूत और निर्णायक नेता मानते हैं। हालांकि, 2020 के चुनाव में ट्रंप की हार के बाद नई दिल्ली को अमेरिका की डेमोक्रेटिक सरकार के प्रति अपने रुख में बदलाव लाना पड़ा।

रेसिप्रोकल टैरिफ और ट्रेड वॉर का मुद्दा

फरवरी 2025 में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान व्यापार, टैरिफ और रक्षा संबंधों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने टैरिफ को लेकर रुख नरम किया और संभावित समझौतों की उम्मीद जगाई। लेकिन हाल ही में ट्रंप ने सभी देशों पर 10% टैक्स लगाया, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत पर यह टैक्स 26% तक बढ़ गया है, जिससे भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और व्यापार पर असर पड़ सकता है। हालांकि ट्रंप ने 90 दिन के लिए टैक्स रोक दिया है, लेकिन अगर दोबारा लागू हुआ तो भारतीय व्यापार को नुकसान हो सकता है। 2024 में भारत-अमेरिका के बीच कुल व्यापार 129.2 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें अमेरिका ने भारत से 87.4 बिलियन डॉलर का आयात किया है। 90 दिन की अवधि के बाद 26% टैरिफ दोबारा लगाया गया, तो भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, जिससे भारतीय उद्योगों और नौकरियों पर असर पड़ सकता है।

भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलना?

पिछले एक सप्ताह में ट्रंप के बयानों ने भारत में सत्तारूढ़ पक्ष को हैरान कर दिया चाहे वह भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम हो, कश्मीर मुद्दा हो या द्विपक्षीय व्यापार। 10 मई को शाम 5:35 बजे ट्रंप ने घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से पूर्ण और तात्कालिक संघर्ष विराम हो गया है। कुछ मिनट बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस पर विस्तृत बयान जारी किया। इसके बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक बयान में कहा कि संघर्ष विराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधे हॉटलाइन से बातचीच हुआ था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। भारत ने यह भी खंडन किया कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे देश में बातचीत की सहमति बनी है। बावजूद इसके ट्रंप ने अगले दिन फिर से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की पेशकश कर दी।

व्यापार प्रोत्साहन के बहाने तनाव कम करने की कोशिश?

12 मई को शाम 8 बजे पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन से कुछ समय पहले ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापार प्रोत्साहन का प्रस्ताव दिया है ताकि तनाव कम किया जा सके। उन्होंने कहा, "आओ, हम तुमसे बहुत व्यापार करने जा रहे हैं। अगर तुम रुकते हो, तो व्यापार होगा। नहीं रुके, तो कोई व्यापार नहीं।" अगले दिन ट्रंप ने फिर कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा है कि “परमाणु मिसाइल का व्यापार नहीं, सुंदर चीजों का व्यापार करो”।

“बिना टैरिफ” व्यापार समझौते का दावा

गुरुवार को ट्रंप ने एक और चौंकाने वाला दावा किया कि भारत ने अमेरिका को “बिना टैरिफ” व्यापार समझौता पेश किया है। उन्होंने दोहा में कहा, “भारत में सामान बेचना बहुत कठिन है, लेकिन वे हमें ऐसा समझौता देने को तैयार हैं जिसमें वे हमसे कोई टैरिफ नहीं लेंगे।” यह बयान उस समय आया जब भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा था।

ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से भारत में उत्पादन को लेकर नाराजगी जताई, जबकि एप्पल 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhone भारत में बनाने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा,

“टिम, हमने तुम्हारा बहुत साथ दिया, चीन में तुम्हारे कारखानों को झेला, लेकिन अब हमें भारत में तुम्हारी फैक्ट्री नहीं चाहिए। भारत अपना ध्यान खुद रख सकता है, वे अच्छा कर रहे हैं।”

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र लंबित मुद्दा पाकिस्तान द्वारा अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को खाली कराना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि व्यापार पर अमेरिका से कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई थी। “बिना शुल्क” व्यापार समझौते को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ट्रंप के बयान को “जल्दबाज़ी” में दिया गया करार दिया। उन्होंने कहा, “कोई भी व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी होना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, कोई भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे समझौते “जटिल” होते हैं और समय लेते हैं। “कुछ तय नहीं होता, जब तक सब तय न हो जाए।”

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