
ट्रंप की टैरिफ जंग के बीच मोदी की टोक्यो यात्रा, भारत-जापान रिश्तों को मिलेगी नई मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-जापान रणनीतिक रिश्तों को नई ऊंचाई तक ले जा सकती है। जहां एक ओर अमेरिका से रिश्तों में तनाव है। वहीं, जापान के साथ सहयोग भविष्य की टेक्नोलॉजी, रक्षा, और अर्थव्यवस्था में भारत को मजबूत बना सकता है।
अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच भारत और जापान अपने 'आर्थिक और सुरक्षा संबंधों' को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त से जापान की तीन दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। यह उनकी 2023 के बाद पहली जापान यात्रा होगी। इस दौरान वे जापान के नए प्रधानमंत्री इशिबा शिगेरू से मुलाकात करेंगे, जिन्होंने अक्टूबर 2024 में फुमियो किशिदा की जगह ली थी।
भारत-जापान नया इकोनॉमिक सिक्योरिटी फ्रेमवर्क
दोनों देश एक नई आर्थिक सुरक्षा पहल की घोषणा कर सकते हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फार्मा सेक्टर में सहयोग शामिल होगा। इसके साथ ही 2008 में जारी किए गए सुरक्षा सहयोग घोषणापत्र को अपडेट किया जाएगा और दोनों नेता रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए ठोस कदमों पर चर्चा करेंगे।
68 अरब डॉलर का निवेश
मोदी की इस यात्रा के दौरान जापान अगले 10 वर्षों में भारत में 10 ट्रिलियन येन (लगभग 68 अरब डॉलर) के निजी निवेश का लक्ष्य रख सकता है, जो पिछले निवेश की तुलना में दोगुना होगा। भारत में जापान की पूर्व राजदूत दीपा वाधवा ने कहा कि जापानी निवेशक भारत को एक मजबूत संभावनाओं वाला बाजार मानते हैं, जिससे न केवल बड़ी कंपनियां बल्कि छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) भी आकर्षित हो रहे हैं।
बुलेट ट्रेन और शिंकानसेन पर खास फोकस
मोदी की यात्रा का एक बड़ा आकर्षण भारत में बन रही हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन के लिए जापान के नए शिंकानसेन E10 मॉडल की घोषणा होगी। हालांकि, यह ट्रेन 2030 में लॉन्च होगी, पर मोदी चाहते हैं कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट 2027 से पहले पूरा हो, क्योंकि उसी वर्ष गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं। इसके लिए मौजूदा E5 सीरीज ट्रेन को पहले चालू करने की कोशिश की जा रही है, जबकि जापान भी इस प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर गंभीर है, क्योंकि वह अब तक यह तकनीक दुनिया के दूसरे देशों को बेचने में असफल रहा है।
रणनीतिक साझेदारी और रक्षा सहयोग
भारत और जापान के बीच हाल ही में एक नई तकनीक 'यूनिकॉर्न मास्ट्स' पर समझौता हुआ है, जो एडवांस रडार सिस्टम से जुड़ा है और स्टेल्थ विमानों तक को पहचान सकता है। यह समझौता रक्षा उपकरणों के सह-निर्माण और वैश्विक लड़ाकू विमान व पनडुब्बियों के संयुक्त उत्पादन के रास्ते भी खोल सकता है।
अमेरिका के साथ तनाव और चीन की चुनौती
हालांकि, अमेरिका भारत और जापान दोनों का अहम साझेदार है, पर डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में दोनों देशों से संबंधों में अनिश्चितता आई है। ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 50% और जापानी उत्पादों पर 15% टैक्स लगाया है, जिससे इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव पड़ा है। जापान को अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने को मजबूर किया गया, जिसे ट्रंप ने "साइनिंग बोनस" कहा।
चीन की बड़ी चुनौती
भारत और जापान दोनों को चीन की विस्तारवादी नीतियों से चुनौती मिल रही है, खासतौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। यह इलाका तेल और जरूरी सामानों की सप्लाई लाइन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। QUAD समूह (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) का सदस्य होने के नाते, दोनों देश खुले और स्थिर इंडो-पैसिफिक के पक्षधर हैं।