Tahawwur Rana Accused in Mumabi Attack Case
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मुंबई हमलों का साजिशकर्ता है तहव्वुर राणा

बेहद शातिर है तहव्वुर राणा, डेविड कोलमैन हेडली से इस तरह करायी थी रेकी

करीब 18 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। मुंबई हमलों का गुनहगार तहव्वुर हुसैन राणा अब भारत की धरती पर है।


Tahawwur Hussain Rana News: वो पिछले 18 साल से भारतीय एजेंसियों से बचता रहा। उसने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में दो बार अपने पक्ष में दलील पेश की। लेकिन अदालत ने कहा कि तुम्हारा गुनाह गंभीर है और तुम्हे उस देश जाना ही होगा जहां 160 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। जी हां, बात पाकिस्तानी मूल ते कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा की हो रही है जो 2008 मुंबई हमलों का गुनहगार है। भारतीय एजेंसियों उसे अमेरिका से भारत ला चुकी हैं। अब भारत की अदालत में उसका मुकदमा चलेगा।

तहव्वुर हुसैन पेशे से डॉक्टर था। पाकिस्तानी फौज में नौकरी किया था। लेकिन उसके दिमाग में भारत के खिलाफ कितना जहर भरा था उसे आप सिर्फ इस बात से समझ सकते हैं कि 160 से अधिक लोगों की जान लेने का हिस्सा बना। उसने भारत के खिलाफ साजिश की। 2008 में मुंबई को दहला दिया। अमेरिकी प्रशासन ने लश्कर से संबंधन होने की पुष्टि होने पर उसे जेल में डाल दिया था। भारत ना आने के लिए तहव्वुर ने अपने स्वास्थ्य को, भारत की खराब जेल , भारत में एक खास वर्ग के खिलाफ नफरत को आधार बनाया। लेकिन उसकी कोई भी दलील कामयाब नहीं हुई।

14 सितंबर, 2006 को, भारत में टोही करने के लिए अपनी पहली यात्रा के दौरान, हेडली ने राणा को 32 से ज़्यादा बार फ़ोन किया। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा, जो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम करता था, 26/11 के हमलों के मुख्य साज़िशकर्ताओं में से एक हेडली के साथ मिलकर काम कर रहा था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।

हेडली ने अपनी दूसरी यात्रा के दौरान राणा को 23 बार, तीसरी यात्रा के दौरान 40 बार, पाँचवीं यात्रा के दौरान 37 बार, छठी यात्रा के दौरान 33 बार और आठवीं यात्रा के दौरान 66 बार फोन किया।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर यह कहने के बमुश्किल दो महीने बाद कि उनकी सरकार ने "बेहद दुष्ट" राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी हैय़

तहव्वुर राणा ने भारत में आतंकवादी हमलों को संगठित करने की आपराधिक साजिश को पूरा करने के लिए डेविड हेडली और अन्य सह-षड्यंत्रकारियों को रसद, वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान की। तहव्वुर राणा ने डेविड हेडली, अब्दुर रहमान हाशिम सैयद और इलियास कश्मीरी के साथ मिलकर भारत में भविष्य के हमलों की योजना बनाई और तैयारी की। डेविड हेडली के कहने पर ही तहव्वुर राणा ने मुंबई हमले से पहले दुबई में अब्दुर रहमान से मुलाकात की।

2005 की शुरुआत में, डेविड हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हूजी के इशारे पर लोगों की हत्या और संपत्ति को नष्ट करने के लिए भारत पर हमला करने के लिए टोही गतिविधियों को अंजाम देने की आपराधिक साजिश रची।एलईटी के संस्थापक हाफिज सईद ने डेविड हेडली को भारत की यात्रा करने और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए संभावित लक्ष्यों की पहचान करने का निर्देश दिया।

सईद ने डेविड हेडली को तहव्वुर राणा से सहायता लेने और यात्रा के लिए उसके संपर्कों का उपयोग करने तथा अपनी यात्रा के वास्तविक उद्देश्य को छिपाने का निर्देश दिया। जून 2006 में डेविड हेडली शिकागो गया और तहव्वुर राणा के साथ पूरी साजिश पर चर्चा की। डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा की सहायता ली और लश्कर द्वारा सौंपे गए कार्य को अंजाम देने के लिए उसकी इमिग्रेशन फर्म 'फर्स्ट वर्ल्ड इंटरनेशनल' का इस्तेमाल किया। 30 जून 2006 को डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा के सक्रिय समर्थन से मुंबई में इमिग्रेंट लॉ सेंटर, शिकागो का एक शाखा कार्यालय स्थापित करने के उद्देश्य से भारत आने के लिए मल्टीपल एंट्री बिजनेस वीजा के लिए आवेदन किया।

14 सितंबर 2006 को डेविड हेडली मुंबई पहुंचा। उसके आगमन पर भारत में तहव्वुर राणा के संपर्क ने हेडली का स्वागत किया। तहव्वुर राणा ने उक्त व्यक्ति को डेविड हेडली के स्वागत, परिवहन, आवास और कार्यालय सह निवास की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था। तहव्वुर राणा के संपर्क ने सबसे पहले हेडली के लिए मुंबई के होटल आउट्रम में ठहरने की व्यवस्था की थी। बाद में वह पेइंग गेस्ट के तौर पर दूसरे संपर्क के घर में रहने लगा।

जून 2007 में तहव्वुर राणा की मदद से डेविड हेडली ने भारत के लिए अपने वीजा के विस्तार के लिए आवेदन किया। जुलाई 2007 के आसपास उसे कई बार प्रवेश के साथ दस साल का वीजा विस्तार दिया गया। तहव्वुर हुसैन राणा के हस्तक्षेप से वीजा विस्तार की प्रक्रिया आसान हो गई। डेविड हेडली और तहव्वुर राणा ने अपनी भारत यात्राओं के दौरान लगातार संवाद किया। जब डेविड हेडली ने अमेरिका में तहव्वुर राणा से मुलाकात की, तो उन्होंने भविष्य की कार्ययोजना के बारे में विस्तृत चर्चा की। चूंकि राणा सेना का भगोड़ा था, इसलिए डेविड हेडली ने मेजर इकबाल के माध्यम से उसे मदद का आश्वासन दिया। तहव्वुर राणा ने 26/11 हमलों से ठीक पहले 13 नवंबर, 2008 और 21 नवंबर, 2008 के बीच भारत का दौरा किया। कई लश्कर सदस्यों के परामर्श से उसकी यात्रा की योजना पहले से ही बना ली गई थी। अपने प्रवास के दौरान तहव्वुर हुसैन राणा ने अपनी पत्नी के साथ भारत में कई स्थानों का दौरा किया, जिनमें हापुड़, दिल्ली, आगरा, कोचीन, अहमदाबाद, मुंबई आदि शामिल थे। डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की सक्रिय सहायता और जानबूझकर उकसावे के कारण ही लश्कर-ए-तैयबा 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमलों को अंजाम देने में सफल रहा।

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