नरेंद्र मोदी 3.O में अब विभागों का भी बंटवारा, किसको क्या मिला संदेश
नरेंद्र मोदी सरकार में अब किसके जिम्मे कौन विभाग होगा उसकी घोषणा हो चुकी है. यहां हम इसके मतलब को समझने की कोशिश करेंगे.
Narendra Modi Government News: नरेंद्र मोदी सरकार में अब विभागों का बंटवारा हो चुका है. मंत्रियों की संख्या और विभागों को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे. अब उन कयासों पर विराम लग चुका है. गठबंधन की सरकार के होने के नाते इस तरह की संभावना थी कि जेडीयू और टीडीपी बहुत हद तक दबाव बना पाने में कामयाब होंगे. लेकिन विभागों के बंटवारे के बाद जो तस्वीर उभर कर सामने आई है उससे एक बात साफ है कि बीजेपी ने अपने दबदबे को बरकरार रखा है. यहां एक सवाल अहम है कि बीजेपी का यह दबदबा कब तक यूं ही कायम रहेगा. इन सबके बीच हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि नरेंद्र मोदी 3.O मंत्रिमंडल में जिस तरह से पोर्टफोलियो को बांटा गया है उससे किस तरह से संदेश दिया गया है.
मंत्रियों के विभागों का बंटवारा
10 जून दिन सोमवार था. पीएम मोदी ने किसान निधि सम्मान की 17वीं किस्त वाले दस्तावेज पर दस्तखत किए, उससे पहले पीएमओ के अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी जिंदगी में विराम शब्द के लिए जगह नहीं है. इरादा साफ था कि काम उसी उत्साह के साथ करना है. 10 जून को शाम को कैबिनेट की बैठक होती है और पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ घर बनाए जाने पर फैसला होता है. उसी वार्ता के दौरान पीएम कहते हैं कि जो जैसा पहले था वैसा ही चलता रहेगा. यानी कि एक तरह से संकेत भी दे दिया कि मंत्रियों के विभाग दूसरे कार्यकाल की तरह रहेंगे. कुछ देर बाद एक एक कर मंत्रियों के विभागों के बारे में जानकारी सामने आने लगी. सीसीएस का स्वरूप पहले की ही तरह है इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हैं.
महत्वपूर्ण विभाग बीजेपी के पास
सीसीएस के साथ अगर आप कुछ खास पोर्टफोलियों को देखें तो रेल मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय, कानून मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालयों के साथ बीजेपी ने समझौता नहीं किया है. जैसा की हम सब जानते हैं कि मोदी की मौजूदा सरकार दो बैशाखियों यानी की जेडीयू और टीडीपी पर टिकी हुई है. मंत्रालयों के बंटवारे के बाद जेडीयू या टीडीपी की तरफ से किसी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है. लेकिन विपक्ष ने कहा कि देखो कैसे बीजेपी ने अपने सहयोगियों को झुनझुना पकड़ा दिया. एक तरह से यह उकसाने की कोशिश थी. लेकिन मंत्रिमंड विस्तार के जरिए मोदी सरकार ने क्या संदेश देने की कोशिश की है उसे समझने की जरूरत है.
क्या है संदेश
मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे से मोदी सरकार ने विपक्ष को यह संदेश देने की कोशिश की है भले ही हमें सहयोगियों के समर्थन की जरूरत है. लेकिन सरकार तो उसी दमखम के साथ चलेगी जिसे देश ने मोदी के पहले और दूसरे कार्यकाल में देखा है. नरेंद्र मोदी कहते हैं कि तीसरे टर्म में हमें निर्णायक फैसले करने हैं तो इसका अर्थ यह कि किसी के सामने बेजा झुकने का सवाल नहीं है. हालांकि गठबंधन की अपनी अनिवार्य मजबूरी होती है जिसे कोई भी बड़ा दल इनकार नहीं कर सकता. हो सकता है कि अभी जेडीयू और टीडीपी की तरफ से किसी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई हो. लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि वो कुछ नहीं बोलेंगे. वैसे भी अभी लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है. दबीजुबान इस तरह की खबरें है कि टीडीपी वाजपेयी दौर का हवाला देते हुए उस पद पर अपना दावा ठोंक रही है.