50 साल पहले क्या हुआ था, जानें- पीएम मोदी ने किस खास घटना का किया जिक्र
18वीं लोकसभा के सत्र से पहले पीएम मोदी ने 50 साल पहले की एक घटना का जिक्र किया था. आखिर 50 साल पहले 1975 को क्या हुआ था.
Narendra Modi On Emergency: 18वीं लोकसभा के सत्र का आगाज हो चुका है. पीएम मोदी ने कहा कि 18 का मूल्य सात्विक है. उन्होंने 18 अंक की कई खासियत बताते हुए इमरजेंसी की भी याद दिला दी और कहा कि कल 25 जून है. वो दिन 50 साल पुराने दाग को याद दिलाता है जिससे लोकतंत्र को बेड़ियों में जकड़ दिया गया था. भारत के लोकतंत्र में एक काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर विचार करते हुए, पीएम मोदी ने कहा, "कल 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे धब्बे के 50 साल पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से नकार दिया गया था, संविधान के हर हिस्से की धज्जियां उड़ा दी गई थीं, देश को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबा दिया गया था... अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र की, लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए, देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत नहीं करेगा जो 50 साल पहले किया गया था. हम एक जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे. हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य लोगों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे.
25 जून 1975 को लगी थी इमरजेंसी
साल 1975 था. केंद्र में कांग्रेस सरकार काबिज थी. इंदिरा गांधी सरकार की अगुवाई कर रही थीं. इंदिरा सरकार के खिलाफ विपक्ष अभियान चला रहा था जिसकी अगुवाई लोकनायक जय प्रकाश नारायण कर रहे थे. इंदिरा गांधी सरकार को धीरे धीरे यकीन होने लगा था कि साजिश के तहत उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश हो रही है. विपक्ष का दबाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था. इंदिरा गांधी के सलाहकारों ने सुझाव दिया है देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा उठ खड़ा हो सकता है और उससे बचने के लिए आपातकाल ही एक रास्ता है. इंदिरा गांधी ने सुझाव पर अमल करते हुए 25 जून 1975 को इमरजेंसी लगाने का ऐलान कर दिया. आपातकाल को करीब 2 साल तक अमल में रखा गया. विपक्ष के ज्यादातर नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था. प्रेस की आजादी पर पहरा लगा. उसी दौरान नेताओं पर मीसा भी लगाया गया. बता दें कि देश की आजादी के सिर्फ 28 साल बाद ही लोगों को इमरजेंसी का सामना करना पड़ा.
विपक्ष रचनात्मक और जिम्मेदार बने
प्रधानमंत्री मोदी ने रचनात्मक और जिम्मेदार विपक्ष क आह्वान करते हुए उनसे लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखते हुए आम नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने और नारों के बजाय तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. देश के लोग विपक्ष से अच्छे कदमों की उम्मीद करते हैं। मुझे उम्मीद है कि विपक्ष लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए देश के आम नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। लोग नाटक, उपद्रव नहीं चाहते हैं। लोग नारे नहीं, बल्कि तथ्य चाहते हैं। देश को एक अच्छे विपक्ष, एक जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है और मुझे पूरा विश्वास है कि इस 18वीं लोकसभा में जीतकर आए सांसद आम आदमी की इन अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे.
तीसरे कार्यकाल के लिए मतदाताओं द्वारा सरकार को दी गई बढ़ी हुई जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए कहा कि तीन गुना परिणाम देने के लिए अथक परिश्रम करने का संकल्प लेने की जरूरत है. देश की जनता ने हमें तीसरी बार मौका दिया है. यह बहुत बड़ी जीत है, भव्य जीत है. हमारी जिम्मेदारी तीन गुना बढ़ गई है... इसलिए मैं देशवासियों को भरोसा देता हूं कि अपने तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना मेहनत करेंगे और तीन गुना परिणाम प्राप्त करेंगे.