NDA in Rajya Sabha: संसद के राज्यसभा में भी अब एनडीए बहुमत में आ गया है. राज्यसभा में ये आंकड़ा 2014 के बाद एनडीए के लिए सबसे ज्यादा है. सुनने में ये बेहद अच्छा लगता है कि बहुमत में होना लेकिन बीजेपी के लिए चुनौती अब भी बरकरार है. सवाल ये खड़ा हुआ है कि क्या एनडीए के बहुमत में आने के बाद क्या बीजेपी आसानी से यूसीसी, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल आदि जैसे संवेदनशील मुद्दों को पास कराने में सफल रहेगी? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि क्या एनडीए में बीजेपी के घटक क्या बीजेपी के समर्थन में खड़े रहेंगे या फिर नहीं.
क्या है बीजेपी के लिए चुनौती
बीजेपी के लिए राज्यसभा में चुनौती अब भी बरकरार है, क्योंकि एनडीए के बहुमत में होने का मतलब बीजेपी का बहुमत में होना नहीं है. इसकी मुख्य वजह ये है कि बीजेपी के जो घटक एनडीए में शामिल हैं, उन्हें अपनी क्षेत्रीय राजनीती का भी ख्याल रखना है. बीजेपी को ये बात उस समय सबसे ज्यादा अखरती है, जब यूसीसी, वक्फ बिल आदि मुद्दे सामने आते हैं. ऐसे में नितीश कुमार की जेडीयू हो या चन्द्र बाबू नायडू की टीडीपी या फिर चिराग पासवान की एलजेपी सब अपने अपने क्षेत्रीय राजनितिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आगे का कदम उठाते हैं और बीजेपी को ऐसे समय में अकेला छोड़ देते हैं. इसलिए बहुमत पा लेने से बीजेपी की चुनौतियों में कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ने वाला है.
मंगलवार (27 अगस्त) को एनडीए ने राज्यसभा में अपना बहुमत हासिल कर लिया, जिसमें 12 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने नौ सीटें और उसके सहयोगियों ने दो सीटें जीतीं. सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए
भाजपा को 9 सीटें, कांग्रेस को 1 सीट
नवनिर्वाचित भाजपा सदस्यों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, महाराष्ट्र से धीर शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्य तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान से केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन और रवनीत सिंह बिट्टू शामिल हैं. एनसीपी के अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से जीते जबकि राष्ट्रीय लोक मंच के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से जीते. कांग्रेस को केवल तेलंगाना से अभिषेक मनु सिंघवी की जीत मिली, जिससे राज्यसभा में उसकी संख्या 85 हो गई.
एनडीए की संख्या 119 हुई
नवीनतम जीत से राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 96 हो गई है, जबकि एनडीए के सदस्यों की संख्या 119 हो गई है. इससे सदन में विधेयक पारित कराने में एनडीए की राह आसान हो जाएगी और उसे विधेयक पारित कराने के लिए सहयोगी दलों की मदद नहीं लेनी पड़ेगी. 2014 के बाद यह पहली बार है जब एनडीए ने राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा छुआ है. संसद के ऊपरी सदन में 245 सीटें हैं, लेकिन आठ रिक्तियों के कारण इसकी वर्तमान संख्या 237 है - चार जम्मू-कश्मीर में और चार मनोनीत श्रेणी में। इस प्रकार बहुमत का आंकड़ा 119 हो जाता है. उच्च सदन में भाजपा के सहयोगी दलों में जेडी(यू), एनसीपी, जेडी(एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, आरएलडी, आरएलएम, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और यूपीपीएल शामिल हैं.
12 सीटों के लिए उपचुनाव
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, सर्बानंद सोनोवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मौजूदा सदस्यों के हाल ही में लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण रिक्त हुई
12 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई
चार उम्मीदवार - भाजपा के धैर्यशील पाटिल और राकांपा के नितिन पाटिल (दोनों महाराष्ट्र से), तथा रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास (दोनों भाजपा के असम से) - को सोमवार को विजेता घोषित किया गया.