NEET PAPER LEAK: सॉल्वर गैंग ने प्रश्नपत्र किए लीक, छात्रों को मुहैया कराए मुन्ना भाई
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NEET PAPER LEAK: 'सॉल्वर गैंग' ने प्रश्नपत्र किए लीक, छात्रों को मुहैया कराए 'मुन्ना भाई'

नीट-यूजी परीक्षा 2024 को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ने के बीच बिहार में पुलिस ने 'सॉल्वर गैंग' नामक एक सिंडिकेट द्वारा चलाए जा रहे एक ऑपरेशन का पर्दाफाश किया है.


NEET PAPER LEAK CASE: नीट-यूजी परीक्षा 2024 को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ने के बीच बिहार में पुलिस ने 'सॉल्वर गैंग' नामक एक सिंडिकेट द्वारा चलाए जा रहे एक सुनियोजित ऑपरेशन का पर्दाफाश किया है, जिसने परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक किए और यहां तक कि छात्रों को परीक्षा देने के लिए प्रॉक्सी भी उपलब्ध कराए. बिहार पुलिस पेपर लीक और देशभर में 24 लाख मेडिकल छात्रों के लिए आयोजित इस राष्ट्रव्यापी परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों के प्रॉक्सी की उपस्थिति का पर्दाफाश कर रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने बताया कि ग्रेटर नोएडा के नीमका गांव का रहने वाला रवि अत्री 'सॉल्वर गैंग' का एक प्रमुख सदस्य है, जो मेडिकल के इच्छुक छात्रों को NEET-UG परीक्षा में धोखाधड़ी करके पास कराने में मदद करता है. अत्री परीक्षा से एक दिन पहले छात्रों को परीक्षा के पेपर उपलब्ध कराता था और छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए प्रॉक्सी उपलब्ध कराने का विकल्प भी देता था.

नीट-यूजी परीक्षा विवाद

इस साल मई में आयोजित की गई NEET-UG परीक्षा उस समय सवालों के घेरे में आ गई थी, जब असामान्य रूप से बड़ी संख्या में छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए थे. पहले इसे प्रश्नपत्रों के वितरण में देरी और अन्य लॉजिस्टिक मुद्दों के कारण दिए गए 'ग्रेस मार्क्स' के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.

नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करने वाली केंद्रीय संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कुछ छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स पर पुनर्विचार करने का वादा किया था. लेकिन कई छात्रों द्वारा अदालत में याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी एजेंसी की कड़ी खिंचाई की.

पेपर लीक

बिहार पुलिस की जांच से अब पता चला है कि यह सिर्फ़ ग्रेस मार्क्स का मामला नहीं है. परीक्षा का पेपर अत्री के सिंडिकेट द्वारा परीक्षा से एक दिन पहले चुनिंदा उम्मीदवारों को लीक किया गया था, जिसे 'सॉल्वर गैंग' के नाम से जाना जाता है. सॉल्वर गिरोह मोटी रकम लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हल किए गए प्रश्नपत्र प्राप्त करता और वितरित करता था. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अत्री पिछले परीक्षा पेपर लीक में शामिल होने के कारण पुलिस रिकॉर्ड में है. लेकिन ऐसा लगता है कि वह अभी भी विभिन्न राज्यों में 'परीक्षा माफिया' के भीतर अपने संबंधों का लाभ उठाते हुए काम कर रहा है. अत्री परीक्षा के प्रश्नपत्र काफी पहले ही प्राप्त कर लेता था. आमतौर पर परीक्षा से एक दिन पहले और उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों तक पहुंचा देता था. उन्होंने एक प्रॉक्सी, एक मुन्ना भाई (हिंदी फिल्म, 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' का संदर्भ, जिसमें एक डॉक्टर को अशिक्षित नायक के स्थान पर मेडिकल परीक्षा में बैठने के लिए बुलाया जाता है) भी उपलब्ध कराया और छात्रों से वादा किया गया कि यह प्रॉक्सी उच्च अंक लाएगा.

इससे पहले की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि लीक हुए प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने के लिए सॉल्वर गिरोह ने 32 लाख रुपये लिए थे. दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार पुलिस द्वारा पकड़े गए दो आरोपी नीतीश कुमार और अमित आनंद एक समस्या-समाधान गिरोह का हिस्सा थे, जो NEET, BPSC और UPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक करते थे.

अत्री की पृष्ठभूमि

रवि अत्री खुद मेडिकल के छात्र हैं, जो साल 2007 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा गए थे. कई सालों की तैयारी के बाद, उन्होंने साल 2012 में परीक्षा पास की और पीजीआई रोहतक में दाखिला लिया. लेकिन चौथे साल में ही उसने पढ़ाई छोड़ दी. क्योंकि वह कथित तौर पर 'परीक्षा माफिया' के साथ जुड़ गया था और दूसरे उम्मीदवारों के लिए प्रॉक्सी के तौर पर परीक्षा दे रहा था. उसने छात्रों के बीच लीक हुए पेपर को फैलाने में भी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी थी. इस सॉल्वर गैंग में एक और अहम किरदार है. पुलिस ने संजीव मुखिया की भी पहचान कर ली है, जिसकी भी NEET पेपर लीक में बड़ी भूमिका रही है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मुखिया विवाद सामने आने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भाग गया है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुखिया का बेटा कथित तौर पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के तीसरे चरण के प्रश्नपत्र लीक करने में भी शामिल है.

सिर्फ NEET ही नहीं

पुलिस जांच से पता चला है कि सॉल्वर गिरोह कई राज्यों में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा और शिक्षक भर्ती परीक्षा जैसी अन्य सार्वजनिक परीक्षाओं में भी सक्रिय रहा है. रिपोर्टों में कहा गया है कि विवाद बढ़ने के बाद मुखिया प्रत्यर्पण से बचने के लिए नेपाल भाग गया होगा. हालांकि, सरकार ने कहा है कि वह इस वर्ष की नीट-यूजी परीक्षा रद्द नहीं कर सकती. लेकिन परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं की सीबीआई जांच शुरू कर दी गई है. केंद्र ने एक कड़े कानून को भी अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है. इसमें अपराधियों के लिए अधिकतम 10 वर्ष की जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.

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