NEET-UG paper leak Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा में एक सवाल का सही जवाब तय करने के लिए आईआईटी दिल्ली को तीन सदस्यीय एक्सपर्ट बोर्ड बनाने का निर्देश दिया है. बोर्ड मीटिंग कर कल दोपहर 12 बजे तक कोर्ट को सही उत्तर की जानकारी देगा. दरअसल, NCERT के पुराने सिलेब्स के हिसाब से एक उत्तर ठीक था, तो वहीँ NCERT के नए सिलेबस के हिसाब से दूसरा विकल्प ठीक था. NTA ने इस सवाल के दो अलग अलग विकल्पों को सही मानकर NEET में नंबर दिए थे. कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस पर आपत्ति जाहिर की है. कल इस मामले में IIT का जवाब आने के बाद कोर्ट सुनवाई करेगा. कल सोलिसिटर जनरल ( SG ) तुषार मेहता NTA और केंद्र सरकार की ओर से दलीलें रखेगे.
NEET-UG 2024 मामले में आज क्या क्या हुआ
NEET परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील नरेंद्र हुड्डा ने NTA की ओर से शनिवार को सेंटर वाइज प्रकाशित किये गए रिजल्ट पर सवाल खड़ा किया है. साथ ही अदालत के सामने ये बात भी कही है कि पेपर एक दिन पहले यानी 4 मई को ही लीक हो गया था. वहीँ सरकार की ओर से सोलिसिटर जनरल ( SG ) ने कहा कि हमने सेंटर, स्टेट के पिछले साल के सक्सेस रेट के आकंडो की तुलना की है. इस लिहाज से कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है.
पहले दोबारा से परीक्षा कराने की मांग को लेकर दी गयी दलील की बात करते हैं
वकील नरेन्द्र हुड्डा ने दलील दी कि NTA ने जो रिजल्ट वेबसाइट पर प्रकाशित किया है ,उसमें छात्रों के रोल नंबर तक नहीं दिए गए हैं. NTA ने रोल नंबर की जगह जो सीरियल नंबर दिए भी है, आकंडो से साफ है कि वो सीरियल नंबर भी रोल नबर के क्रम में नहीं दिए गए है, बल्कि मनमाने तरीके से सीरियल नंबर दिए गए है. जिसके चलते किसी सेन्टर विशेष के किसी रूम में एग्जाम दे रहे कैंडिडेट्स के बारे में पूरी सटीक सूचना मिल पाना संभव नहीं है. NTA ख़ुद परीक्षा लीक की बात मान रहा है कि कैसे व्हाट्सअप पर पेपर लीक हुआ. बिहार पुलिस की जांच बताती है कि पेपर 4 मई को ही लीक हुआ.
हकीकत ये है कि पेपर 3 मई या उससे पहले लीक हुआ. NTA, जो 5 मई को पेपर लीक की बात कह रहा है, उसमें सच्चाई नहीं है. ये किसी चपरासी का काम नहीं है, बल्कि इसके पीछे पूरा गैंग शामिल है. संजीव मुखिया और बाकी लोग गिरफ्तार नहीं हुए है.
इन दलीलों को सुनते हुए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ( CJI ) ने बिहार पुलिस द्वारा CRPC की धारा 161 के तहत बयान की जानकारी मांगी. इस पर वकील ने बताया कि 4 मई को पहला बयान अनुराग यादव का दर्ज हुआ. उसके बाद नितेश कुमार का बयान दर्ज हुआ. पीठ के तीनों जजों ने उस बयान को पढ़ा.
वकील ने कहा कि दो और लोग अमित आनंद और सिकंदर प्रसाद ने बिहार पुलिस के सामने बयान दर्ज कराया है.
इसके बाद तीनों जजों ने चारों आरोपियों को लोगों के बयान देखे. वकील हड्डा ने दलील देते हुए कहा कि बिहार पुलिस के सामने सीआरपीसी 161 के तहत दर्ज किये गए इन चारों के बयानों से साफ है कि पेपर लीक 5 मई को परीक्षा होने से बहुत पहले ही हो गया था.
सरकार की ओर से ये दलील दी गयी
SG तुषार मेहता ने कहा कि अमित आनंद मिडिलमैन है. वो 4 मई की रात को छात्रो को इकट्ठा कर रहा था. दूसरा अरोपी नीतीश कुमार मौके पर मौजूद था, जहाँ पेपर सुबह मिला और छात्रो को आंसर याद रटाये गए.
CJI ने कहा कि इन बयानों से ऐसा लगता है कि सही आंसर छात्रों को 4 मई को शाम को याद कराए गए. इसका मतलब पेपर 4 मई से पहले ही लीक हो गया था..
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आरोपी अमित आनन्द के बयान से लगता है कि पेपर के सवाल 4 मई की शाम को स्टूडेंट्स को नहीं मिले. आरोपियों के बयानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि अमित आनंद के बयान से ऐसा लगता है कि सभी स्टूडेंट्स को एक जगह लाकर सवाल के जवाब रटाए जाने की बात कर रहा है (जब भी पेपर उन्हें मिल जाएगा). अमित आनंद के बयानों में अंतर है. एक जगह वो 4 मई को पेपर लीक की बात कर रहा है. एक जगह 5 मई को.
CJI ने कहा कि एग्जाम सोल्वर छात्र ही है. कुछ एम्स पटना, कुछ राँची और कुछ राजस्थान से है.
SG मेहता ने कहा कि हमने सेंटर, स्टेट के पिछले साल के सक्सेस रेट के आकंडो की तुलना की है. इस लिहाज से कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है.
CJI ने कहा कि अनुराग यादव के बयान से लगता है कि उसे पेपर 4 मई को मिल गया था. फिर भी हमे देखना है कि पेपर लीक क्या पटना, हज़ारीबाग तक ही सीमित थी या लीक व्यापक स्तर पर हुआ था!
गलत पेपर बांटने पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि हरियाणा के झज्जर और राजस्थान के सवाई माधोपुर में भी गड़बड़ी हुई. झज्जर के सेंटर को SBI से प्रश्न पत्र लेने थे, लेकिन सेंटर के प्रभारी केनरा बैंक चले गए. ताज्जुब की बात यर रही कि केनरा बैंक से उन्हें प्रश्न पत्र दे भी दिए गए. ये अपने आप में पूरी व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा करता है.
NTA के लिए पेश दूसरे वकील ने इस दलील पर कहा कि छात्रों की बढ़ी संख्या के चलते झज्जर का ये सेंटर इसी साल बनाया गया था. यही वजह भी रही कि उनसे गलती हो गई.
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यहां सेंटर प्रभारी और केनरा बैंक, दोनों से गड़बड़ी हुई है. छात्र गलत पेपर डेढ़ घंटे तक हल करते रहे. वकील ने इस पर सहमति जताई.
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि हालांकि, सभी प्रश्न पत्र के सवालों के क्रम अलग अलग हैं लेकिन सवाल एक जैसे ही हैं.