मैं हैरान और दुखी हुं, आखिर राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ऐसे क्यों बोले
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मैं हैरान और दुखी हुं, आखिर राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ऐसे क्यों बोले

नीट यूजी एग्जाम पेपर लीक पर एनडीए सरकार पर विपक्ष निशाना साधे हुए है. सवाल यह कि क्या इंडी ब्लॉक को लग रहा है कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता.


Jagdeep Dhankhar News: नीट- यूजी एग्जाम 2024 को लेकर विपक्ष इस समय मोदी सरकार पर हमलावर है, इंडिया ब्लॉक के नेताओं का लोकसभा, राज्यसभा से लेकर सड़क तक सिर्फ एक ही सवाल कि पेपरलीक के असली गुनहगार के खिलाफ कार्रवाई कब तक होगी.जब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है तो क्या गुरुवार को राष्ट्रपति का अभिभाषण विपक्ष को रास नहीं आई. दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पेपरलीक के मामले में सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है. लेकिन हम सबको राजनीति से परे सोचने की जरूरत है. उन्होंने विपक्ष का नाम तो नहीं लिया लेकिन इशारा साफ था. वैसे इस विषय पर विपक्ष गुरुवार को ही आगबबूला हुआ था. लेकिन शुक्रवार को राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में राहुल गांधी जमकर बरसे. मल्लिकार्जुन खड़गे तो राज्यसभा के वेल में जा पहुंचे थे.

जगदीप धनखड़ ने क्या कहा

पहले धनकड़ ने कहा कि आज का दिन संसद के इतिहास में इतना दागी... इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो हैरान और दुखी हैं. आज से पहले सदन में विपक्ष के किसी नेता ने ऐसा व्यवहार नहीं किया. वो मल्लिकार्जुन खड़गे के वेल में आने की तरफ इशारा कर रहे थे. सफाई में खड़गे ने कहा कि मजबूरन उन्हें यह कदम उठाना पड़ा.वो अपने हाथ को करीब 10 मिनट तक उठाए रहे. लेकिन आसन ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया. उन्हें ऐसा लगा कि उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है लिहाजा वो वेल में उतरे.उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करने से पहले कहा कि आज भारतीय संसद के इतिहास में ऐसा कलंकित दिन बन गया है कि विपक्ष के नेता सदन के वेल में आ गए हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. मैं दुखी हूं, मैं स्तब्ध हूं. भारतीय संसदीय परंपरा इस हद तक बिगड़ जाएगी कि विपक्ष के नेता वेल में आ जाएंगे, उपनेता वेल में आ जाएंगे.

अपमानित करने की कोशिश
बाद में जब उनसे उनके कार्यों के बारे में पूछा गया, तो श्री खड़गे ने कहा कि उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था क्योंकि श्री धनखड़ उन्हें अपमानित करने के लिए अनदेखा कर रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि यह वास्तव में सभापति की गलती है. जब सभी सदस्य (वेल में) आ गए, तो मैं बाहर चला गया, मैं वहां रुका भी नहीं. मैंने उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन वे केवल ट्रेजरी बेंच की ओर देख रहे थे. जब मैंने हाथ उठाया, तो उन्हें नियमों के अनुसार मेरी ओर देखना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मुझे अनदेखा करने और अपमानित करने के लिए जो किया वह किया. मेरे पास एकमात्र विकल्प अपनी सीट से चिल्लाना शुरू करना था. इसलिए मुझे कहना होगा कि यह सभापति की गलती है.


'लोगों का याद छोटी होती है'

NEET परीक्षा में इतना बड़ा घोटाला हुआ है, पेपर लीक हो गया है, लाखों छात्र परेशान हैं। हम केवल एक विशिष्ट चर्चा की मांग कर रहे थे और छात्रों के मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे थे. बाद में एक्स पर एक पोस्ट में खड़गे ने उपराष्ट्रपति पर विपक्ष के प्रति सौतेला व्यवहार करने का भी आरोप लगाया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया पर श्री धनखड़ के इस दावे का खंडन किया कि यह पहली बार है जब विपक्ष का कोई नेता सदन के बीचोंबीच आया है.यह प्रचारित किया जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जी राज्यसभा में विपक्ष के पहले नेता हैं जो विरोध में सदन के वेल में आए।यादें छोटी होती हैं, खासकर तब जब पुराने प्रतिद्वंद्वी नए साथी बन जाते हैं. 5 अगस्त 2019 को, राज्यसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता गुलाम नबी आज़ाद सभापति की पीठासीन सीट की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर बैठे थे - जो वेल का एक हिस्सा है। यह तब था जब अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर के दर्जे को पूर्ण राज्य से घटाकर केंद्र शासित प्रदेश करने के विधेयक पेश किए जा रहे थे. मुझे पता है मैं उनके बगल में बैठा था.
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