तेजस Mk2 जेट्स के लिए GE इंजन पर बातचीत जल्द शुरू होगी
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फ्रांसीसी कंपनी सफरान बनाएगी स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए इंजन

तेजस Mk2 जेट्स के लिए GE इंजन पर बातचीत जल्द शुरू होगी

भारत लंबे समय से एक वैश्विक इंजन निर्माता के साथ साझेदारी कर लड़ाकू जेट इंजन बनाने की कोशिश कर रहा है और इसी संदर्भ में HAL-GE समझौते को ऐतिहासिक माना गया था। हालांकि, देरी का असर भारत के LCA Mk 2 कार्यक्रम पर पड़ेगा, जो भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की ताकत बढ़ाने के लिए अहम है।


सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) एयरोस्पेस के बीच लड़ाकू जेट इंजन संयुक्त रूप से बनाने के लिए हुए समझौते को दो साल हो चुके हैं। अब दोनों पक्ष इस सौदे पर कारोबारी बातचीत शुरू करने वाले हैं।

इसके साथ ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने फ्रांसीसी दिग्गज कंपनी सफरान को बेंगलुरु स्थित गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट के साथ मिलकर एक उन्नत जेट इंजन भारत में बनाने के लिए अंतिम रूप दिया है। यह इंजन भारत के स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को शक्ति देगा।

HAL-GE समझौते से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि लक्ष्य अगले तीन महीनों में वाणिज्यिक बातचीत पूरी कर सौदे को अंतिम रूप देना है, ताकि F414 इंजन का सह-उत्पादन शुरू हो सके, जो IAF के LCA Mk2 जेट्स को शक्ति देंगे।

जून 2023 में GE एयरोस्पेस ने HAL के साथ लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुई थी। सौदे को अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी और वाणिज्यिक शर्तों के अंतिम रूप दिए जाने के बाद जल्द ही साइन किया जाना था। अगस्त 2023 में अमेरिकी कांग्रेस ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन पिछले दो साल से बातचीत जारी है।

अधिकारियों ने बताया कि 2012 से चली आ रही कठिन बातचीत के बाद GE एयरोस्पेस ने भारत को 80% इंजन तकनीक हस्तांतरित करने पर सहमति दी, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण घटकों का ट्रांसफर रोक रखा है। 2012 में GE ने केवल 58% तकनीक हस्तांतरित करने पर सहमति दी थी।

GE द्वारा दिए जाने वाले 12 प्रमुख तकनीकी हस्तांतरण में शामिल हैं:

* जंग, घिसाव और गर्म हिस्सों के लिए थर्मल बैरियर की विशेष कोटिंग

* टर्बाइन ब्लेड के लिए सिंगल क्रिस्टल मशीनिंग और कोटिंग

* नोज़ल गाइड वेंस और अन्य हॉट-एंड पार्ट्स की कोटिंग

* ब्लिस्क मशीनिंग

अधिकारियों ने कहा कि कुछ सीमाओं के बावजूद तीन महीने के भीतर बातचीत पूरी हो जाएगी और साल के अंत तक सौदा अंतिम रूप ले सकता है।

जब पूछा गया कि भारत-अमेरिका के मौजूदा कूटनीतिक तनाव का इस सौदे पर कोई असर होगा या नहीं, अधिकारियों ने कहा कि इसका असर नहीं पड़ेगा क्योंकि रक्षा खरीद और बातचीत तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रही है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर के तीन साल के भीतर इंजन का निर्माण शुरू हो जाएगा, जो LCA Mk2 के ऑर्डर और प्रोटोटाइप परीक्षण के समय से मेल खाएगा।

AMCA के लिए ज्यादा थ्रस्ट क्षमता वाले उन्नत इंजन पर भारत ने सफरान (फ्रांस) और रोल्स-रॉयस (ब्रिटेन) सहित कई कंपनियों से तकनीक और IPR हस्तांतरण पर बातचीत की थी। DRDO जल्द ही कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी से इस उन्नत इंजन के डिज़ाइन, विकास और उत्पादन की मंजूरी मांगेगा।

मुख्य बिंदु – लड़ाकू बेड़े की ताकत

भारत लंबे समय से लड़ाकू जेट इंजन बनाने की कोशिश कर रहा है। HAL-GE समझौते को ऐतिहासिक माना गया, लेकिन देरी से LCA Mk2 कार्यक्रम पर असर होगा, जो वायुसेना की स्क्वाड्रन ताकत बढ़ाने के लिए अहम है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम में सफरान के चयन की जानकारी दी। वहीं, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय नवप्रवर्तकों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सभी सरकारी विभागों से स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन बनाने का आह्वान किया।

मोदी ने कहा था, “क्या हमें अपने ‘मेड-इन-इंडिया’ लड़ाकू विमानों के लिए अपने इंजन नहीं बनाने चाहिए? जैसे हमने कोविड के दौरान वैक्सीन बनाई, डिजिटल भुगतान के लिए UPI बनाया, वैसे ही हमें अपने जेट इंजन भी खुद बनाने चाहिए। यह हमारे वैज्ञानिकों और युवाओं के लिए सीधा चैलेंज है।”

अब तक भारत स्वदेशी रूप से एयरो इंजन बनाने में सफल नहीं हुआ है। बहुत कम देशों ने ही इस जटिल तकनीक और धातुकर्म (metallurgy) में महारत हासिल की है।

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