भारत-चीन के बीच भरोसा बढ़ाने की नई पहल: एलएसी पर कैमरे बढ़े, तनाव घटा
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भारत-चीन के बीच भरोसा बढ़ाने की नई पहल: एलएसी पर कैमरे बढ़े, तनाव घटा

India and China on LAC: भारत-चीन सीमा विवाद को हल करने और तनाव कम करने की दिशा में दोनों देशों द्वारा बहुपक्षीय वार्ताएं, तकनीकी उपाय और साझा गश्त जैसी पहलें की जा रही हैं। इन छोटे कदमों के माध्यम से दोनों पक्ष संबंधों में सुधार की दिशा में अग्रसर हैं.


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India-China border dispute: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिक अब चीन के साथ जमीन पर विश्वास की कमी को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं. इसके तहत पिछले 5 वर्षों में तैयार की गई अत्याधुनिक तकनीकी निगरानी व्यवस्था (surveillance infrastructure) का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र की चौकसी और सुरक्षा और अधिक मजबूत हो सके.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2020 में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत ने पूर्वी लद्दाख और उसके आस-पास के क्षेत्रों में चौबीसों घंटे निगरानी के लिए एक मजबूत निगरानी नेटवर्क तैयार किया है। अब इस नेटवर्क को और डेवलप किया जा रहा है, ताकि भविष्य में गश्त (patrolling) पर निर्भरता कम की जा सके और सैनिकों की थकावट भी घटाई जा सके।

फिलहाल भारतीय सैनिक नियमित अंतराल पर एलएसी पर गश्त करते हैं, ताकि क्षेत्र में किसी भी असामान्य गतिविधि पर नजर रखी जा सके. पिछले साल अक्टूबर में भारत और चीन के बीच हुए समझौते के बाद अब दोनों देशों के सैनिकों द्वारा गश्त की जा रही है, जिससे टकराव की आशंका कम हुई हैं. लद्दाख की बर्फीली सर्दियां पैदल गश्त के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होती हैं. इस स्थिति में तकनीकी निगरानी प्रणाली सैनिकों की मदद करती है और सर्द मौसम के कारण होने वाली सैनिक क्षति को भी कम कर सकती है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब ISR (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) ढांचा इतना मजबूत किया जा रहा है कि अतिरिक्त गश्त भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे सैनिकों पर दबाव भी घटेगा. सर्दियों में मौसम की कठिन परिस्थितियां गश्त के समय और समन्वय में देरी का कारण बनती हैं, जिससे टकराव की आशंका भी बढ़ती है.

सीमा विवाद समाधान की नई पहलें

पिछले महीने भारत-चीन सीमा विवाद पर हुई 24वीं विशेष प्रतिनिधियों (SR) वार्ता के दौरान यह निर्णय लिया गया कि सीमा निर्धारण (Boundary Delimitation) के शुरुआती समाधान (Early Harvest) के लिए विशेषज्ञों का एक समूह बनाया जाएगा. यह समूह "India-China Border Affairs पर Working Mechanism for Consultation and Coordination (WMCC)" के तहत काम करेगा. इस प्रक्रिया में अब उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां समझौता अपेक्षाकृत आसान है. छोटे और सरल मुद्दों को पहले सुलझाकर विश्वास बढ़ाया जा सकता है, फिर बड़े मुद्दों की ओर बढ़ा जा सकता है.

पूर्ण विघटन अब भी बाकी

हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी (disengagement) हो चुकी है. लेकिन पूर्ण विघटन (full de-escalation) अब भी नहीं हुआ है. अनुमान के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के गहराई वाले इलाकों में अब भी दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच अगस्त में हुई बैठक में यह सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष सीमा प्रबंधन के मौजूदा तंत्र (diplomatic & military mechanisms) का इस्तेमाल करके तनाव घटाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. दोनों पक्षों ने यह भी माना कि 23वीं विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद से सीमा क्षेत्रों में शांति बनी हुई है और यह सहमति बनी कि WMCC के तहत एक कार्यसमूह गठित किया जाएगा, जो सीमा पर प्रभावी प्रबंधन और शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेगा.

भारत की पहल

पिछले साल अक्टूबर में भारत और चीन के वार्ताकारों ने एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौता किया था, जिससे 2020 के विवादित क्षेत्रों में विघटन और मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति हुई थी. इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कज़ान में हुए BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक भी हुई थी.

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