
हम लोगों पर तो पहले से दखल देने का आरोप, अगले CJI ने क्यों कही ये बात
न्यायमूर्ति गवई की टिप्पणी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के इस आरोप के बाद आई है कि सर्वोच्च न्यायालय “देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचना के बाद, देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस बीआर गवई ने सोमवार (21 अप्रैल) को अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पहले से ही इस बात के आरोपों का सामना कर रहा है कि वह संसद और कार्यपालिका के कामों में दखल दे रहा है।
यह टिप्पणी उन्होंने उस समय की, जब वकील विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए हालिया हिंसक प्रदर्शनों को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए याचिका का उल्लेख किया।
“क्या हम यूनियन को निर्देश दें?”
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा –"आप चाहते हैं कि हम केंद्र को निर्देश दें?... वैसे ही हम पर पहले से यह आरोप लग रहे हैं कि हम संसद और कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं।"
पैरामिलिट्री बलों की तैनाती की मांग
वकील विष्णु शंकर जैन ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार से मांग की कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए पैरामिलिट्री बलों की तैनाती जारी रखी जाए। इसके साथ ही उन्होंने 2022 में बंगाल में चुनावोत्तर हिंसा के बाद दायर की गई अपनी लंबित याचिका का हवाला भी दिया, जो अब 22 अप्रैल (मंगलवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
जैन ने तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति बनाकर बंगाल में हुई हालिया हिंसा की जांच कराने और उत्तर बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में हिंदू समुदाय के विस्थापन पर रिपोर्ट मांगे जाने की भी मांग की है।
निशिकांत दुबे का हमला और भाजपा की दूरी
सुप्रीम कोर्ट पर जस्टिस गवई की टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को यह आरोप लगाया था कि “देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।” दुबे ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाने लगे, तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।
दुबे की यह नाराज़गी तब सामने आई जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधानसभा द्वारा दोबारा पारित विधेयकों पर समयसीमा के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया। इस पर दुबे ने सवाल किया कि जब राष्ट्रपति खुद मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट कैसे उन्हें निर्देश दे सकता है।
हालांकि, भाजपा ने अपने सांसद के इस बयान से दूरी बना ली है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्पष्ट कहा कि भाजपा "इन बयानों को पूरी तरह से खारिज करती है।"यह घटनाक्रम दिखाता है कि न्यायपालिका और विधायिका के बीच सीमाओं को लेकर बहस एक बार फिर सतह पर है, और आगामी समय में इस पर व्यापक चर्चा की संभावना बनती दिख रही है।