निर्मला सीतारमण ने दी टैक्स में राहत, क्या आर्थिक वृद्धि को मिलेगी बढ़ावा? देखें VIDEO
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निर्मला सीतारमण ने दी टैक्स में राहत, क्या आर्थिक वृद्धि को मिलेगी बढ़ावा? देखें VIDEO

Talking Sense with Srini: द फेडरल के प्रधान संपादक एस श्रीनिवासन ने बजट और मध्यम वर्ग को समर्थन देने, बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने और परमाणु ऊर्जा की ओर रुख करने के दृष्टिकोण पर चर्चा की.


Union Budget: 1 फरवरी को भारत ने 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया. इसका मध्यम वर्ग, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला है. ऐसे में द फेडरल के प्रधान संपादक एस. श्रीनिवासन ने 'Talking Sense with Srini' में बजट के राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं पर विस्तार से अपनी राय रखी.

मध्यम वर्ग पर केंद्रित बजट

श्रीनिवासन के अनुसार, यह बजट मध्यम वर्ग को बड़ी टैक्स राहत प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि जो लोग सालाना ₹12 लाख तक कमाते हैं, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा सरकार ने ₹12.75 लाख या उससे अधिक कमाने वाले व्यक्तियों के लिए ₹75,000 का मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) दिया है. जिससे वे भी टैक्स दायरे से बाहर हो सकते हैं. इससे लगभग 20% ग्राहक अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आवश्यकता से मुक्त हो सकते हैं.

श्रीनिवासन ने कहा कि विशेष रूप से दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों पर इस टैक्स राहत का गहरा असर पड़ सकता है. क्योंकि वहां सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में हैं. मध्यम वर्ग इसे बड़े स्तर पर स्वीकार करेगा. खासकर दिल्ली में, जहां सरकारी कर्मचारियों की बड़ी संख्या मौजूद है.

राजनीतिक रणनीति और बजट की टाइमिंग

श्रीनिवासन ने कहा कि बजट की घोषणा दिल्ली चुनावों से कुछ दिन पहले हुई. जिससे इसकी राजनीतिक रणनीति स्पष्ट होती है. सरकार जो कुछ भी करती है, उसमें राजनीति का ध्यान रखा जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि बजट में बिहार का नाम 5-6 बार आया. जिससे संकेत मिलता है कि बिहार में गठबंधन सरकार के लिए यह पॉजिटिव मैसेज देने की कोशिश है.

कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) और आर्थिक वृद्धि

श्रीनिवासन ने बताया कि पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर सरकार का ध्यान बना हुआ है. हालांकि इसके जीडीपी के अनुपात में कुछ कमी आई है. हालांकि, जीडीपी के अनुपात में खर्च कम हुआ है. लेकिन कुल कैपेक्स में कटौती नहीं की गई. बजट में कुल सरकारी खर्च का 22.13% पूंजीगत व्यय पर रखा गया है. जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता दी जा रही है. सरकार का लक्ष्य उपभोग को बढ़ावा देना है. क्योंकि यह आर्थिक सुधार की कुंजी है. उन्होंने यह भी बताया कि मध्यम वर्ग के लिए टैक्स छूट का मकसद उपभोग को बढ़ाना है. जिससे बाजार में खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा.

MSME

श्रीनिवासन ने कहा कि बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर नया ध्यान केंद्रित किया गया है. MSME सेक्टर को मजबूती देना महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है. सरकार एमएसएमई क्षेत्र में संरचनात्मक समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रही है.

परमाणु ऊर्जा और ऊर्जा विविधीकरण

श्रीनिवासन ने कहा कि इस बार बजट में परमाणु ऊर्जा के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन किया गया है. जो भारत की ऊर्जा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है. भारत 2030 तक अपने ऊर्जा स्रोतों का 50-50 संतुलन बनाना चाहता है. परमाणु ऊर्जा के निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ विस्तार को बड़ा बदलाव बताया गया है. जिससे बड़ी कंपनियों के लिए निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं.

राजकोषीय अनुशासन और वृद्धि का अनुमान

हालांकि, मध्यम वर्ग को टैक्स में भारी राहत दी गई है. सरकार ने राजकोषीय संतुलन (Fiscal Consolidation) पर ध्यान बनाए रखा है. 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.4% जीडीपी पर तय किया गया है. जिसे श्रीनिवासन उचित मानते हैं. लेकिन अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर सरकार का अनुमान रूढ़िवादी (Conservative) है. जो 6.3% से 6.8% के बीच बताया गया है. मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखते हुए इस विकास दर को बनाए रखना कठिन चुनौती होगी.

ब्याज दरों पर असर और RBI की भूमिका

श्रीनिवासन का अनुमान है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. क्योंकि सरकार ने व्यवस्था में पर्याप्त तरलता (Liquidity) बनाए रखने के संकेत दिए हैं. इस बजट से सिस्टम में पर्याप्त नकदी बनी रहेगी. जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ेगी.उन्होंने यह भी बताया कि RBI की अगली बैठक (संभावित रूप से 7 फरवरी को) होगी. जिसमें ब्याज दरों पर निर्णय लिया जाएगा. अब RBI पर निर्भर करता है कि वह इस तरलता के लाभ को दरों में कटौती के माध्यम से अर्थव्यवस्था तक पहुंचाए.



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