
बजट 2025: स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए साबित होगा गेम चेंजर या फिर संघीय ढांचे पर चोट?
Union Budget 2025: उद्योग जगत व्यवसाय समर्थक दृष्टिकोण की सराहना कर रहा है. वहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य के पक्षधर केंद्रीकरण, स्थिर निधियों और पहुंच में बढ़ती असमानता की चेतावनी दे रहे हैं.
Health Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट 2025 पेश कर दिया. इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भी कई घोषणाएं की गईं. जैसे- आयुष्मान भारत का विस्तार गिग वर्कर्स तक, मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा और निवेश के नियमों में ढील देकर स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने की योजना बनाई गई है. ऐसे में इस बजट को हेल्थ इंडस्ट्री के लीडरों ने एक बड़े सुधार के रूप में देखा है. वहीं, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे केंद्रीकरण की ओर बढ़ता कदम बताया. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने वाला बताया गया है.
NatHealth के अध्यक्ष और मैक्स हेल्थकेयर के चेयरमैन अभय सोई ने कहा कि बजट 2025-26 स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. PPP मॉडल, हेल्थकेयर को 'विकसित भारत' का प्रमुख स्तंभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य प्रमुख घोषणाएं
- मेडिकल शिक्षा का विस्तार– 10,000 नई मेडिकल सीटें.
- ‘हील इन इंडिया’ पहल– चिकित्सा पर्यटन को प्रोत्साहन.
- 100% FDI बीमा क्षेत्र में– स्वास्थ्य निवेश को बढ़ावा.
- PMJAY (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) का विस्तार– गिग वर्कर्स को कवर किया जाएगा.
- कैंसर देखभाल को सुलभ बनाना– जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर केंद्रों की स्थापना.
संघीय ढांचे पर सवाल: राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत ‘प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य (RCH) फ्लेक्सिबल पूल’ में मामूली वृद्धि (₹28,783 करोड़ से ₹30,000 करोड़). स्वच्छ भारत मिशन के लिए ₹5,000 करोड़ का प्रावधान, लेकिन पिछले साल ₹2,159 करोड़ ही खर्च हुए.. जल जीवन मिशन का बजट ₹70,163 करोड़ से घटाकर ₹22,694 करोड़ कर दिया गया. गोपाकुमार मुकुंदन (कोच्चि स्थित शोधकर्ता और सामाजिक विश्लेषक) ने कहा कि स्वास्थ्य अवसंरचना में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है. महंगाई को देखते हुए यह मामूली वृद्धि भी अपर्याप्त है.
फंडिंग में ठहराव और केंद्र सरकार का हस्तक्षेप
PSR लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की केंद्रीय फंडिंग 2019-20 से स्थिर बनी हुई है. 2022-23 में राज्यों को ₹30,908 करोड़ आवंटित किया गया था. 2024-25 में ₹36,000 करोड़ का आवंटन किया गया. लेकिन फंड रिलीज़ की धीमी गति चिंता का विषय बनी हुई है. संघीय अधिकारों के समर्थक केंद्र सरकार के स्वास्थ्य परियोजनाओं में हस्तक्षेप को एक महत्वपूर्ण मुद्दा मान रहे हैं.
कैंसर उपचार और दवा सुलभता पर जोर
जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर सेंटर खोले जाएंगे. जिससे महानगरीय अस्पतालों का बोझ कम होगा. 36 जीवनरक्षक दवाओं पर बेसिक कस्टम ड्यूटी समाप्त. जिससे कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और पुरानी बीमारियों के इलाज की लागत कम होगी. छह अन्य दवाओं पर टैरिफ घटाया गया. नए रोगी सहायता कार्यक्रम शुरू किए गए. लेकिन उनकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक होगा.
डिजिटल हेल्थकेयर में बड़ा निवेश
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को दूर करने की कोशिश. रिमोट डायग्नोसिस और टेलीमेडिसिन को बढ़ावा मिलेगा. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को फायदा होगा.
सकारात्मक पक्ष
✔ मेडिकल शिक्षा का विस्तार
✔ आयुष्मान भारत का विस्तार गिग वर्कर्स तक
✔ कैंसर उपचार की पहुंच में सुधार
✔ डिजिटल हेल्थकेयर का बढ़ावा
चिंताजनक पहलू
✖ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की फंडिंग में स्थिरता
✖ राज्यों के अधिकारों में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप
✖ स्वच्छ भारत और जल जीवन मिशन के बजट में कटौती