नितिन गडकरी बोले- हां  मिला था PM पद का ऑफर, कहीं सियासी बुलबुला तो नहीं
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नितिन गडकरी बोले- हां मिला था PM पद का ऑफर, कहीं सियासी बुलबुला तो नहीं

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लेकर विपक्ष का नरम रुख अक्सर देखा गया है। मसलन वो पीएम पद के लिए बेहतर चेहरे हैं। इस विषय पर पहली बार वो खुल कर बोले।


Nitin Gadkari News: सियासत में संकेतों और बयानों का मतलब होता है। आप कुछ ना बोलकर बहुत कुछ कह जाते हैं या बहुत कुछ कहते हैं उसका कोई अर्थ नहीं होता। हम सबने देखा और सुना है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बारे में कहा जाता रहा है कि वो पीएम पद के लिए बेहतर शख्सियत हैं। यह बात तब हवा में और तैरने लगी जब बीजेपी आम चुनाव 2024 में अपने दम पर जादुई आंकड़े 272 को हासिल नहीं कर सकी। अब इस विषय पर उन्होंने चुप्पी तोड़ी।

गडकरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। नागपुर में पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में बोलते हुए गडकरी ने अपने विश्वास और पार्टी के प्रति अपनी अटूट निष्ठा की पुष्टि करते हुए कहा कि वह किसी भी पद के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। हालांकि गडकरी ने प्रस्ताव देने वाले विपक्षी नेता की पहचान का खुलासा नहीं किया, लेकिन इंडिया ब्लॉक हमेशा से नागपुर के सांसद की प्रशंसा में उमड़ा रहा है। प्रधानमंत्री बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं है।

मैंने विपक्षी नेता से पूछा, आपको मेरा समर्थन क्यों करना चाहिए और मुझे आपका समर्थन क्यों स्वीकार करना चाहिए? गडकरी ने कहा, "किसी व्यक्ति का दृढ़ विश्वास भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला है। इससे यह अटकलें और पुष्ट होती हैं कि आम चुनाव से पहले शीर्ष पद के लिए उनके नाम पर विचार किया जा रहा था। मार्च में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए साक्षात्कार में गडकरी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और संघ की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। अब सवाल यह है कि इस समय इस तरह के बयान का क्या अर्थ है। सियासी जानकारों के मुताबिक इस साल के अंत में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं। चाहे महायुति हो या महाविकास अघाड़ी किसी तरह से राज्य की सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। ऐसे में इस बयान का अर्थ सियासी अधिक है।

महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं। सनसनीखेज बात कही जा रही हैं। नेता जब इस तरह के बयान देते हैं तो उसके जरिए राजनीतिक माहौल बनाया जाता है। अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरा जाता है। सियासत या वैसे भी सामान्य जिंदगी में अगर दो लोगों के बीच बंद कमरे में किसी तरह का संवाद हो तो उसमें सच्चाई कितनी होगी उसके बारे में आप सिर्फ कयास लगा सकते हैं कि कौन गलत या कौन सही है। लेकिन सियासत में इस तरह की बातें गॉसिप भी हो सकती है या सच्चाई के बेहद करीब। अब नितिन गडकरी की गिनती बड़बोले नेताओं में नहीं बल्कि गंभीर शख्सियत के तौर पर होती है। लिहाजा अगर वो कुछ बोलते हैं तो उसके पीछे कुछ ना कुछ बात होगी। अब यह बयान जिस समय दिया गया है उसे चुनावी नजरिए से भी देखा जा सकता है क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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