
अक्टूबर के महीने में मौसम हुआ बेईमान, क्या यह है वजह?
अक्टूबर की शुरुआत में दार्जिलिंग में भूस्खलन, दिल्ली-एनसीआर में बारिश और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी हुई। आखिर इसके पीछे वजह क्या है।
October Month Weathe: क्या वाकई मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहा है या अक्टूबर के महीने में बारिश और बर्फबारी सामान्य है। देश के अलग अलग हिस्सों में खासतौर से पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में भारी बारिश से भूस्खलन, दिल्ली-एनसीआर में मध्यम बारिश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में ताजा बर्फबारी हुई है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में भारत का मौसम विरोधाभासों से भरा नजर आया। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून की वापसी के बाद पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) का प्रभाव सामान्य है, लेकिन इस बार यह विक्षोभ असामान्य रूप से तेज था।
तेज पश्चिमी विक्षोभ और जेट स्ट्रीम का प्रभाव
स्काईमेट से जुड़े महेश पलावत बताते हैं कि उत्तर भारत में मौजूदा अस्थिर मौसम के लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार है। जेट स्ट्रीम, जो उच्च ऊंचाई पर हवा का पैटर्न है, इन प्रणालियों को उत्तर भारत तक पहुँचाती है। दार्जिलिंग में हुई भूस्खलन की घटनाओं, दिल्ली-एनसीआर की बारिश और जम्मू-कश्मीर की बर्फबारी के पीछे यही तेज पश्चिमी विक्षोभ था।
अल नीनो का असर
भारत में हर असामान्य मौसम घटना को सीधे जलवायु परिवर्तन से जोड़ना सही नहीं है। भारत का मौसम वैश्विक टेलीकनेक्शन जैसे ENSO (अल नीनो-दक्षिणी दोलन) और स्थानीय कारकों जैसे शहरीकरण और भूमि उपयोग में बदलाव के संयोजन से बनता है।महेश पलावत के मुताबिक मौजूदा समय में ENSO का थोड़ा नकारात्मक चरण नमी की संभावना बढ़ाता है। साथ ही, इस बार पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और पर्वतीय इलाकों की ओरोग्राफी ने मिलकर भारी बारिश को बढ़ावा दिया। गहरे दबाव ने अतिरिक्त नमी प्रदान की, जिससे उत्तरी भारत में असामान्य मौसम देखा गया।
क्या इस बार कड़ाके की सर्दी पड़ेगी?
मौसम के जानकार कहते हैं कि अक्टूबर में दो या तीन पश्चिमी विक्षोभ सर्दी की तीव्रता के संकेतक नहीं हैं। ला नीना आमतौर पर उत्तरी भारत में ठंडी सर्दियां लाती है, लेकिन पिछले वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि शुरुआती सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ कम होने के कारण मौसम सूखा रह सकता है। 7 अक्टूबर के बाद पूरे उत्तर भारत में सामान्य सुबह की ठंड महसूस होगी।
मौसम प्रणाली अधिक अनिश्चित होती जा रही है। स्थानीय वास्तविकताओं के अनुरूप विज्ञान-समर्थित अनुकूलन योजनाओं की आवश्यकता है। यह दृष्टिकोण बढ़ती अस्थिरता और साफ मौसम चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा।