राज्य की शक्तियों के साथ नहीं होगी कोई छेड़छाड़,  ONOE पर बोले कानून मंत्री
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राज्य की शक्तियों के साथ नहीं होगी कोई छेड़छाड़, ONOE पर बोले कानून मंत्री

ONOE Bill: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश किया.


One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक (ONOE) आज लोकसभा (Lok Sabha) में पेश हो गया है. वहीं, विपक्ष ने इस विधेयक को खारिज कर दिया है. ऐसे में लोकसभा में इस बिल को लेकर सरकार-विपक्ष में गतिरोध बना हुआ है. इसी बीच कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने लोकसभा को (Lok Sabha) बताया कि संघीय और राज्य चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ONOE) चुनाव सुधार का एक लंबित हिस्सा है और इससे संविधान को नुकसान या छेड़छाड़ नहीं होगी.

मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने कहा कि चुनावी सुधारों के लिए कानून लाए जा सकते हैं. यह विधेयक चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाने की प्रक्रिया के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे समन्वित किया जाएगा. इस विधेयक के माध्यम से संविधान को कोई नुकसान नहीं होगा. संविधान के मूल ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.

मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने यह भी बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति, जिसे 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ONOE) प्रस्ताव को वास्तविकता बनाने के तरीकों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था, ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले विभिन्न विपक्षी दलों सहित कई हितधारकों से परामर्श किया था.

उन्होंने कहा कि हम राज्यों की शक्तियों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव दिया कि विधेयक को व्यापक परामर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए- जैसा कि अपेक्षित था. बता दें कि सदन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सत्तारूढ़ भाजपा अधिकतम सीटें रखेगी और समिति का नेतृत्व करेगी. सांसदों को उनकी पार्टी की ताकत के आधार पर नामित किया जाएगा.

मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) के बचाव के बाद विधेयक को पेश करने के लिए मत विभाजन की मांग की गई, जिस पर अध्यक्ष ने सहमति जताई. यह पहली बार था जब लोकसभा ने संविधान संशोधन विधेयक को पेश करने के लिए मत विभाजन कराया गया. 269 सांसदों ने पक्ष में और 198 ने विपक्ष में मतदान किया. कानून मंत्री की प्रतिक्रिया विधेयक के पेश होने के बाद विपक्ष की ओर से उग्र प्रतिक्रिया के बाद आई - जो एक साथ केंद्रीय और राज्य चुनावों की अनुमति देने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहता है. संविधान (129वां संशोधन) विधेयक की तुरंत आलोचना की गई. इसे "सदन की विधायी क्षमता से परे", "तानाशाही का मार्ग" और भारतीय गणतंत्र की संघीय प्रकृति पर हमला बताया गया.

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