One Nation One Election : अलग अलग राय में बंटी राजनितिक पार्टियाँ
x

One Nation One Election : अलग अलग राय में बंटी राजनितिक पार्टियाँ

वन नेशन वन इलेक्शन के विषय पर अलग अलग राजनितिक दलों की अलग अलग प्रतिक्रिया सामने आई है. किसी ने इसका समर्थन किया है तो किसी ने आलोचना. कोई इसे बीजेपी का जुमला बता रहा है तो कोई कह रहा है कि बीजेपी जिन राज्यों में हारने वाली है वहां इसके माध्यम से अपनी सरकार को बचाना चाह रही है.


One Nation One Election : मोदी 3.0 सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में देश के चुनावों से जुड़े एक बहुत बड़े मुद्दे पर निर्णय लिया है. दरअसल कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन पर मोहर लगा दी है, जिसके बाद अब अलग राजनितिक दलों से अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही है. एनडीए में शामिल कुछ घटक जैसे एलजेपी राम विलास और जेडीयू इसके समर्थन में हैं. तो वहीँ इंडिया गठबंधन के जो घटक हैं वो इसका विरोध कर रहे हैं. जानते हैं कि आखिर किसने क्या प्रतिक्रिया दी है.


बहुजन समाज पार्टी : एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के समर्थन का ऐलान किया है. लेकिन उन्होंने इसके साथ ही ये भी कहा है कि ये जन कल्याण के लिए होना चाहिए. मायावती ने 'X' पर लिखा कि '' ’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी.''

समाजवादी पार्टी - इस मामले पर समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. सपा की तरफ से कहा गया है कि वो वन नेशन वन इलेक्शन का ड्राफ्ट आने के बाद उस पर अपना रुख स्पष्ट करेगी. हालाँकि सपा ने ये भी कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ये जानती है कि जहां जहां भाजपा की सरकार है, वहां अभी चुनाव होते हैं तो भाजपा हार जायेगी. इसलिए भाजपा चुनाव से भागना चाह रही है. ये वही भाजपा है जो नोटबंदी के बड़े बड़े फायदे गिना रही थी

कांग्रेस - वन नेशन वन इलेक्शन के मामले पर कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने 'X' पर लिखा कि '' One Nation, One Election केवल ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा है. ये संविधान के ख़िलाफ़ है, ये लोकतंत्र के प्रतिकूल है, ये Federalism के विरूद्ध है. देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा.''

आम आदमी पार्टी - आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा कि One Nation - One Election केवल BJP का जुमला है. चुनाव आयोग चार राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं करा पा रहा है. दिल्ली का विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के साथ कराने में चुनाव आयोग असमर्थ है, तो यह One Nation - One Election कैसे करा पाएंगे? इसके साथ ही, अगर कोई भी सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती, तो क्या वहां राष्ट्रपति शासन के माध्यम से BJP राज करना चाहती है?
मोदी सरकार ने नोटबंदी, GST और किसान कानून समेत तमाम नियम बिना किसी सलाह के लाए थे, वैसे ही यह One Nation - One Election का जुमला बिना किसी की सलाह के लेकर आए हैं.

आरजेडी - वन नेशन वन इलेक्शन पर राजद के राज्य सभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, "इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं. 1962 के बाद वह क्यों हटा क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगे. मैं पहले इसका मसौदा देखूंगा. मान लीजिए- चुनाव होते हैं, उत्तर प्रदेश में बनी हुई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप राष्ट्रपति शासन लगाएंगे? क्या राज्यपाल के माध्यम से अगले चुनाव तक व्यवस्था होगी या फिर से चुनाव होंगे?... ये(भाजपा) लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीज़ों से ध्यान हटाया जाए। आज देश को रोजगार चाहिए. क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा? आप खत्म हो जाएंगे लेकिन विविधता बरकरार रहेगी."


Read More
Next Story