
भारत का मनोवैज्ञानिक हमला, ऑपरेशन सिंदूर ने लिखी नई परिभाषा
पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान के साथ सैन्य संबंधों को फिर से स्थापित कर दिया है। क्या भारत ने मनोवैज्ञानिक बाधा को हमेशा के लिए पार कर लिया है?
'ऑफ द बीटन ट्रैक' के इस एपिसोड में भारत के रक्षा विशेषज्ञ डॉ. भारत कर्णाड ने पाकिस्तान के साथ सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों, ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक संदेश और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया पर विस्तार से चर्चा की।
प्रश्न: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेगा। इस संकट के संदर्भ में आप इसे कैसे देखते हैं?
डॉ. भारत कर्णाड: ट्रंप का "न्यूक्लियर युद्ध टला" बयान अतिरंजित था। न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने न्यूक्लियर अलर्ट बढ़ाया। मोदी का यह बयान पाकिस्तान की पारंपरिक रणनीति के खिलाफ है, जो आतंकवादी हमलों के जवाब में न्यूक्लियर धमकी देकर भारत को डराने की कोशिश करती है।
प्रश्न: क्या चकलाला पर हमला पाकिस्तान को संदेश देने में निर्णायक था?
डॉ. भारत कर्णाड: बिल्कुल। चकलाला पाकिस्तान का न्यूक्लियर कमांड सेंटर है। वहां हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक मानसिक बदलाव था। यह संदेश था कि हम पाकिस्तान के रणनीतिक केंद्रों को भी निशाना बना सकते हैं।
प्रश्न: क्या ऑपरेशन सिंदूर ने पहले के सैन्य संयम की सीमाओं को पार किया है?
डॉ. भारत कर्णाड: हां, 2001 संसद हमले और 26/11 के बाद भारत ने संयम दिखाया था। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखाया कि अब हम पाकिस्तान के अंदर गहरे तक कार्रवाई कर सकते हैं। यह एक मानसिक और रणनीतिक बदलाव है।
प्रश्न: राफेल विमान पर पाकिस्तानी हमले की खबरें आई हैं। क्या यह सच है?
डॉ. भारत कर्णाड: भारतीय वायु सेना ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य बताते हैं कि एक राफेल को पाकिस्तान के PL-15 मिसाइल से निशाना बनाया गया। यह हमारी तकनीकी कमजोरी को दर्शाता है।
प्रश्न: क्या भारत को PoK में क्षेत्रीय कब्जे का अवसर चूक गया?
डॉ. भारत कर्णाड: पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द किया और सिंधु जल समझौते को खतरे में डाला। भारत को हाजी पीर सैलियंट पर कब्जा करना चाहिए था, जो ISI द्वारा कश्मीर में घुसपैठ के लिए इस्तेमाल होता है। यह वास्तविक निवारक शक्ति होती।
प्रश्न: क्या कश्मीरियों के साथ राजनीतिक संवाद की आवश्यकता नहीं है?
डॉ. भारत कर्णाड: बिल्कुल। हमें कश्मीर के सभी समूहों, विशेषकर युवाओं, से संवाद करना चाहिए। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने पहले ही बातचीत की आवश्यकता जताई है। कश्मीरियों को आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में शामिल करना चाहिए।
प्रश्न: अमेरिका की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
डॉ. भारत कर्णाड: अमेरिका का हस्तक्षेप सामान्य है, लेकिन हमें अपनी राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। हमें कूटनीतिक दिखावे के लिए बातचीत में नहीं फंसना चाहिए।
प्रश्न: क्या मोदी ने 'इंडिया फर्स्ट' सुरक्षा नीति पर खरा उतरने में सफलता पाई है?
डॉ. भारत कर्णाड: दुर्भाग्यवश, नहीं। उनके सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा नहीं दिया और पुराने सोवियत-युग के रक्षा तंत्र को तोड़ा नहीं। 'इंडिया फर्स्ट' का मतलब सरकारी हस्तक्षेप कम करना था, लेकिन हम अभी भी एक अप्रभावी प्रणाली में फंसे हैं।
इसके अलावा इस इंटरव्यू में डॉ. कर्णाड ने भारत की सैन्य रणनीति, पाकिस्तान के साथ रिश्ते और कश्मीर में शांति की दिशा में आवश्यक कदमों पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।