पहलगाम हमला: कैसे 237 दिन में NIA ने जोड़ी हर कड़ी, पूरी साजिश आई सामने
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पहलगाम हमला: कैसे 237 दिन में NIA ने जोड़ी हर कड़ी, पूरी साजिश आई सामने

बिना शुरुआती गिरफ्तारी के भी फोरेंसिक, टेक्नोलॉजी और जमीनी जांच से एजेंसी ने खोला पूरा नेटवर्क. 1000 से ज्यादा लोगों से की गयी पूछताछ. 58 रास्तों की तलाशी से मिली पहली सफलता.


Chargesheet On Pahalgam Attack : पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के लिए अब तक की सबसे जटिल चुनौतियों में से एक रही। 237 दिन की लगातार जांच के बाद एजेंसी ने 1,597 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें हमले से जुड़ी हर तकनीकी, फोरेंसिक और जमीनी कड़ी को विस्तार से जोड़ा गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जबकि हमलावर मौके से फरार हो गए थे।


शुरुआती असफलता और बिना गिरफ्तारी का दौर

हमले के बाद करीब दो महीने तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई। साजिश के तार सीमा पार जुड़े होने के कारण जांच बेहद मुश्किल थी। ऐसे में NIA ने गिरफ्तारी से पहले सबूतों की वैज्ञानिक और तकनीकी पुष्टि पर फोकस किया, ताकि केस अदालत में मजबूत रह सके।

फोरेंसिक और टेक्नोलॉजी से खुली परतें

NIA ने घटनास्थल से मिले कारतूस, गोलियों के खोल और खून के नमूनों की फोरेंसिक जांच करवाई।

डीएनए टेस्ट के लिए खून और बालों के सैंपल लिए गए

क्राइम सीन को डिजिटल तरीके से रीक्रिएट किया गया

पूरे इलाके की डिजिटल मैपिंग हुई

आसपास के CCTV फुटेज और मोबाइल डंप डेटा खंगाले गए

इन तकनीकी सबूतों ने एजेंसी को हमलावरों की मूवमेंट और भागने के रास्तों तक पहुंचाया।

हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ

जांच के दौरान NIA ने करीब 1,000 लोगों से पूछताछ की। इनमें स्थानीय लोग, फोटोग्राफर, होटल कर्मचारी, घोड़े-खच्चर वाले, जिप लाइन ऑपरेटर और पर्यटक शामिल थे।
चश्मदीदों से आतंकियों की भाषा, हुलिया और व्यवहार को समझा गया, जिससे यह साफ हुआ कि हमले में स्थानीय नागरिक शामिल नहीं थे।

58 रास्तों की तलाशी और पहली बड़ी सफलता

NIA को पता चला कि आतंकी सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके बाद सुरक्षा बलों के साथ मिलकर बैसरन घाटी से निकलने वाले 58 रास्तों पर सैकड़ों किलोमीटर तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
यहीं से जांच को पहली बड़ी सफलता मिली और बशीर और परवेज नाम के दो ओवर ग्राउंड वर्कर गिरफ्तार किए गए।

ओवर ग्राउंड वर्कर से खुला पूरा सच

जांच में सामने आया कि बशीर और परवेज जोठर, दोनों स्थानीय निवासी हैं।

21 अप्रैल की रात आतंकियों को हिल पार्क इलाके की एक झोपड़ी में ठहराया

22 जून को, यानी हमले के करीब दो महीने बाद, दोनों की गिरफ्तारी हुई

इन्हीं से पता चला कि हमले में सिर्फ तीन आतंकी शामिल थे

ऑपरेशन महादेव और हमलावरों का अंत

लगातार इनपुट मिलने के बाद सुरक्षा बलों को जानकारी मिली कि आतंकी दाचीगाम–हरवान के जंगलों में छिपे हैं।
इसके बाद ऑपरेशन महादेव शुरू हुआ, जो करीब 48 घंटे चला। इस ऑपरेशन में पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले तीनों आतंकी मारे गए।

बरामदगी से मजबूत हुआ केस

मारे गए आतंकियों के पास से AK-103 राइफलें, जिनसे मिले खोखे घटनास्थल से मेल खाते थे। पाकिस्तानी सरकारी दस्तावेज और वोटर आईडी सैटेलाइट फोन की माइक्रो-SD से बायोमेट्रिक और पारिवारिक जानकारी कराची में बनी चॉकलेट के रैपर, जिनका लॉट नंबर PoK से जुड़ा मिला। इन सबूतों ने जांच को निर्णायक मोड़ दिया।

अब आगे क्या?

NIA ने चार्जशीट में साफ किया है कि इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा और उसके मुखौटा संगठन TRF की पूरी भूमिका रही। एजेंसी संकेत दे चुकी है कि आने वाले समय में सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की जा सकती है, जिसमें साजिश की और परतें खुल सकती हैं।
237 दिन की इस जांच ने दिखा दिया कि तकनीक, फोरेंसिक और जमीनी इनपुट के सहारे कैसे एक जटिल आतंकी केस को अंजाम तक पहुंचाया गया।


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