kashmiri local guide nazakat with bjp leader arvind aggarwal
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आतंकियों की गोलीबारी के बीच पहलगाम के लोकल टूरिस्ट गाइड नजाकत (बाएँ) ने बीजेपी नेता अरविंद अग्रवाल (दाएं) की बेटी और उनके दोस्त के बेटे को सीने से लगाकर बचाया, फिर पत्नी को बचाया

BJP नेता के परिवार के लिए देवदूत बना कश्मीरी गाइड, आतंकी हमले से बचाया

पहलगाम में आतंकी हमले के वक्त छत्तीसगढ़ के BJP नेता अरविंद अग्रवाल को दूसरे लोगों ने खींचा। लेकिन उनकी पत्नी और 4 साल की बेटी को एक लोकल टूरिस्ट गाइड ने बचाया।


दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान मौजूद छत्तीसगढ़ भाजपा युवा मोर्चा के अरविंद अग्रवाल ने स्थानीय टूरिस्ट गाइड नज़ाकत अहमद शाह को अपनी पत्नी और चार साल की बेटी की जान बचाने वाला देवदूत बताया है। दुर्भाग्यवश, इस साहसिक घटना के दौरान नज़ाकत ने अपने चचेरे भाई सैयद आदिल हुसैन शाह (30) को खो दिया, जोकि घोड़े पर पर्यटकों को ले जाया करता था और एक आतंकी की बंदूक छीनने की कोशिश करते हुए शहीद हुआ।

हमले की भयावहता को याद करते हुए अग्रवाल ने मीडिया को बताया, “मैं तस्वीरें खींच रहा था और सब कुछ शांत था। मेरी पत्नी और बेटी थोड़ी दूरी पर थीं, और गाइड नज़ाकत उनके साथ मौजूद था, साथ में एक अन्य दंपति और उनका बच्चा भी थे।”

“फायरिंग शुरू होते ही नज़ाकत ने सभी से ज़मीन पर लेटने को कहा और मेरी बेटी और दोस्त के बेटे को सीने से लगाकर उनकी जान बचाई। फिर उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थान पर ले गया और उसके बाद मेरी पत्नी को बचाने के लिए वापस लौटा,” अग्रवाल ने कहा।

अग्रवाल ने बताया कि उन्हें लगभग एक घंटे तक अपनी पत्नी और बेटी की सुरक्षा को लेकर कुछ भी पता नहीं था। बाद में अस्पताल पहुंचने पर ही वह उनसे मिल सके। उन्होंने भावुक होकर कहा, “अगर नज़ाकत वहां न होता तो न जाने क्या होता... मेरी पत्नी के कपड़े तक फट गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें पहनने के लिए कपड़े दिए।”

जब जान पर खेल गया गाइड

मीडिया रिपोर्ट्स में नज़ाकत के हवाले से लिखा गया है, “हम ज़िपलाइन के पास खड़े थे, तभी करीब 20 मीटर की दूरी से फायरिंग शुरू हो गई। मैंने सबको ज़मीन पर लेटने को कहा और फिर बाड़ में एक खाली जगह देखकर बच्चों को उस दिशा में ले गया। इससे पहले कि आतंकी पास आ पाते,हम वहां से निकल गए।”

नजाकत ऋने आगे बताया, “बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के बाद मैं वापस लौटा और अग्रवाल जी की पत्नी को खोजा, जो डर के मारे किसी और दिशा में भाग गई थीं। लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर मैंने उन्हें पाया और अपनी कार में बैठाकर सुरक्षित श्रीनगर ले आया।”

इसी दौरान नजाकत को एक दर्दनाक फोन कॉल मिला, “पता चला कि मेरा भाई आदिल, जो घोड़े पर पर्यटकों को ले जाया करता था, इस हमले में मारा गया।”

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