
पहले इनकार फिर US की एंट्री, पाक के नूरखान बेस की तबाही से कनेक्शन?
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताते हुए भारतीय रक्षा बलों के बड़े अधिकारियों ने बताया था कि कि किस तरह से पाकिस्तान की नापाक हरकत का जवाब दिया गया।
India Pakistan Tension: सात मई की सुबह सुबह जानकारी आई कि भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है। उन 9 कैंप में बहावलपुर और मुरीदके शामिल था। ये दोनों केंद्र जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा से जुड़े थे। भारत ने इस अभियान का नाम ऑपरेशन सिंदूर दिया। ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन उसके अभियान तो तगड़ा झटका तब लगा जब भारत वायु सेना ने लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। यही नहीं उसके फाइटर प्लेन को गिरा दिया। जैकोबाबाद, रहीम यार खान, सरगोधा भोलारी, नूर खान को निशाना बनाया। सवाल यह है कि नूर खान की चर्चा क्यों हो रही है। अमेरिका क्यों डर गया और उसने अपनी तरफ से कोशिश की।
बता दें कि 9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान युद्ध से हमारा लेना देना नहीं है। दोनों देशों को अपने मुद्दों को सुलझाना चाहिए। लेकिन नूर खान एयरबेस पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी। दुनिया के बड़े देशों को लगा कि हालात नियंत्रण से बाहर जा सकते क्योंकि संघर्ष दो परमाणु संपन्न देशों में था। इन सबके बीच नूर खान एयरबेस को भारतीय वायुसेना ने तबाह कर दिया था।
10 मई की सुबह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर ब्रह्मोस, स्कैल्प और हैमर मिसाइलों से एक सटीक और निर्णायक हमला किया। यह एयरबेस, जिसे पहले चकला एयरबेस के नाम से जाना जाता था, रावलपिंडी में स्थित है और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से केवल 10 किलोमीटर दूर है। यही नहीं, यह बेस पाकिस्तान की वीआईपी मूवमेंट, टोही मिशन और लंबी दूरी की मिसाइल तैनाती का केंद्र है।
यह बेस पाकिस्तान की परमाणु कमान नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) और स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन (SPD) के मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो लगभग 170 परमाणु हथियारों के संचालन और सुरक्षा का जिम्मा संभालती है।
भारत का संदेश साफ था: अब कोई इलाका अछूता नहीं
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के हमले ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को चकमा दिया। एयरबेस का महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा नष्ट हो गया और इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब पाकिस्तान के परमाणु कमांड को ‘डिकैपिटेट’ करने की रणनीतिक क्षमता रखता है। अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि अगर भारत की ब्रह्मोस मिसाइलें 1-2 किमी और आगे बढ़तीं, तो परमाणु हथियारों के जखीरे में विस्फोट हो सकता था हालांकि इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई।
अमेरिका की हड़बड़ी और युद्ध टालने की कोशिश
हमले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। रिपोर्टों के अनुसार, पाक पीएम शहबाज शरीफ ने तुरंत NCA की बैठक बुलाई हालाँकि बाद में इसका खंडन किया गया। इस हमले ने अमेरिका में भी बेचैनी पैदा कर दी। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और तत्काल युद्धविराम (सीज़फायर) की अपील की।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत के बाद, 10 मई की शाम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर की घोषणा की। अमेरिका के तेज़ कूटनीतिक प्रयासों को कई विशेषज्ञों ने संभावित परमाणु युद्ध टालने में निर्णायक बताया।
ऑपरेशन सिंदूर की व्यापकता: सिर्फ नूर खान नहीं
नूर खान के अलावा भारत ने चकवाल के मुरीद, शोरकोट के रफीकी, रहीम यार खान और कई अन्य एयरबेसों को भी निशाना बनाया। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के अड्डों को भी नष्ट किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के अनुसार, इन हमलों में 100 से अधिक आतंकी मारे गए।
पाकिस्तान की जवाबी नाकामी और भारत की चेतावनी
पाकिस्तान ने हमले के जवाब में भारत पर 400 ड्रोन भेजे, लेकिन भारतीय वायुसेना की ‘आकाशतीर’ प्रणाली ने उन्हें विफल कर दिया। भारत की मिसाइलों के आगे पाकिस्तान का एयर डिफेंस तंत्र असहाय साबित हुआ। साथ ही भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने की चेतावनी देकर पाकिस्तान को आर्थिक दबाव में भी ला दिया।
परमाणु संतुलन का नया अध्याय
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास 172 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु वॉरहेड हैं। पाकिस्तान की ‘फर्स्ट यूज़’ नीति के मुकाबले भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति को अब रणनीतिक बढ़त मिलती दिख रही है। भारत ने यह संदेश दे दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वह पाकिस्तान के परमाणु ढांचे को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चेतावनी थी। यह पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश था अगर आतंकवाद राज्य नीति बना रहेगा, तो भारत उसे उसकी कीमत चुकाने को मजबूर करेगा। अब भारत की नीति स्पष्ट है कोई सीमा नहीं, कोई छूट नहीं।