
पहलगाम आतंकी हमला, इस दफा पाकिस्तान रेड लाइन पार कर गया
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में पाकिस्तान की तरफ हाल के दिनों में बयानबजी अधिक हुई है, जिसमें पाक सेना प्रमुख के भड़काऊ बयान भी शामिल हैं।
पहलगाम में हुआ आतंकी हमला घाटी में नागरिकों के खिलाफ हुए सबसे बड़े नरसंहारों में से एक है। यह 2000 के चित्रसिंहपोरा हत्याकांड के बाद सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है, जिसमें 36 सिखों को बेरहमी से गोलियों से भून दिया गया था। अब भारत सरकार हमले के दोषियों को सज़ा देने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
एक सूत्र ने द फेडरल को बताया, “यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे पास कौन-कौन से विकल्प हैं। द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) असल में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ही है। और शुरुआती जांच पाकिस्तान की संलिप्तता की ओर इशारा कर रही है क्योंकि TRF का कमांडर सैफुल्ला साजिद जट्ट वहीं से ऑपरेट करता है।”
पाकिस्तान से बढ़ी हलचल और बयानबाज़ी
दूसरे सूत्र के अनुसार हाल के दिनों में पाकिस्तान से आने वाली ‘चैटर’ यानी बातचीत में भारी वृद्धि देखी गई है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और आतंकी संगठनों द्वारा दिए गए उकसावे वाले बयानों पर भारत ने गंभीरता से ध्यान दिया है। अब आवश्यकता है कि यह स्पष्ट किया जाए कि सीमा पार से इन हमलावरों को कैसे दिशा-निर्देश दिए जा रहे थे। लेकिन एक बात साफ है — यह हमला बिना सज़ा के नहीं जाएगा।
भारत की प्रतिक्रिया: पहले भी दिखाया है साहस
18 सितंबर 2016 को उरी हमले के बाद भारत ने 29 सितंबर को एलओसी पार जाकर आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसी तरह 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हुए थे, और 12 दिन बाद भारत ने बालाकोट में आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राइक की थी।
सूत्रों का कहना है कि पहलगाम हमले के जवाब के लिए सशस्त्र बलों को विकल्प तैयार करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इनमें से कुछ विकल्प पहले से अभ्यास किए हुए हो सकते हैं। इस बार एक सटीक और परिस्थितियों के अनुरूप जवाब देने पर जोर दिया जा रहा है।
एनआईए कर रही है जांच
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को इस हमले की जांच सौंपी गई है। पुलवामा हमले की जांच की निगरानी कर चुके NIA के पूर्व प्रमुख वाईसी मोदी ने द फेडरल को बताया, “NIA एक पेशेवर एजेंसी है और अपने तय मापदंडों के अनुसार सबूत जुटाने का कार्य करती है।”
हमलावरों के स्केच जारी हो चुके हैं और जांचकर्ता अपनी कार्रवाई में जुट चुके हैं। चश्मदीदों से पूछताछ कर हमलावरों की पहचान और उनकी भाषा जैसी जानकारी इकट्ठा की जाएगी। फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से वैज्ञानिक साक्ष्य भी जुटाए जाएंगे। TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली है, और साइबर विशेषज्ञों की मदद से डिजिटल साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। लश्कर जैसे आतंकी संगठनों से सहानुभूति रखने वाले तत्वों पर भी निगरानी की जा रही है।
स्थानीय सहयोग की अहम भूमिका
वाईसी मोदी ने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों का सहयोग इस जांच में बेहद अहम होगा। उन्होंने कहा, “मुझे भरोसा है कि सभी एजेंसियां मिलकर इस जघन्य आतंकवादी हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाएंगी। वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के तहत भारत न तो भूलता है और न ही माफ करता है।”
सुनियोजित हमला, रणनीति के साथ हमला स्थल चुना गया
सूत्रों ने बताया कि हमला पूरी तरह योजनाबद्ध था और इसका पूर्वाभ्यास भी किया गया था। हमला जिस जगह पर हुआ — बैसारन का जंगल क्षेत्र — वह पर्यटकों में लोकप्रिय है लेकिन वाहन से वहां पहुँचना मुश्किल है। हमलावरों ने जानबूझकर ऐसा स्थान चुना ताकि सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में देरी हो।हमले के बाद हेलिकॉप्टर और ड्रोन की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
वैश्विक प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की जवाबदेही
दुनियाभर ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। 2016 और 2019 की कार्रवाइयों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के जवाबी कदमों को व्यापक रूप से उचित माना है। लेकिन अब भारत की खुफिया और जांच एजेंसियों को इस हमले में पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से उजागर करना होगा ताकि उसे वैश्विक मंच पर पूरी तरह से अलग-थलग किया जा सके।