
हाजी पीर दर्रा: अगर पाकिस्तान ने तोड़ा ताशकंद समझौता तो भारत को क्या मिलेगा?
Tashkent Agreement: भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित किया तो पाकिस्तान शिमला और ताशकंद समझौते रद्द करने की धमकी दे रहा है.
Pahalgam terror attack: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर बिगड़ गए हैं. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है और सीमा सुरक्षा बढ़ाने जैसे कई अहम कदम उठाए हैं. इसका असर पाकिस्तान पर साफ दिख रहा है — अब वह भी शिमला समझौता निलंबित करने और ताशकंद समझौता रद्द करने की बात कर रहा है।
क्या है ताशकंद समझौता?
ताशकंद समझौता 10 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान में हुआ था. यह 1965 की भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ की मध्यस्थता में हुआ. इसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान शामिल थे। इस समझौते के तहत भारत ने हाजी पीर दर्रा जैसे रणनीतिक स्थानों से पीछे हटने का फैसला किया. इसे आज भी भारत की एक बड़ी रणनीतिक भूल माना जाता है.
क्या है हाजी पीर दर्रा?
हाजी पीर दर्रा पीर पंजाल रेंज में स्थित है. यह जम्मू के पूंछ जिले को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के रावलकोट से जोड़ता है. इसकी ऊंचाई करीब 2,637 मीटर (8652 फीट) है. यह दर्रा पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ का मुख्य मार्ग रहा है. अगर भारत ने 1965 के युद्ध में जीते इस दर्रे को न लौटाया होता तो पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को काफी हद तक रोका जा सकता था.
27 अगस्त 1965 को मेजर रणजीत सिंह दयाल ने भारी बारिश और कठिन पहाड़ी रास्तों के बीच दर्रे की ओर चढ़ाई की. 28 अगस्त को भारत ने इस रणनीतिक दर्रे पर कब्जा कर लिया. 29 अगस्त को पाकिस्तान ने इसे फिर से हथियाने की कोशिश की. लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें पीछे धकेल दिया.
फिर क्यों लौटाया गया दर्रा?
1966 के ताशकंद समझौते में भारत ने 5 अगस्त 1965 से पहले की स्थिति को बहाल करने पर सहमति जताई. इसके तहत भारत को हाजी पीर दर्रा, सियालकोट, लाहौर और कश्मीर घाटी के उपजाऊ हिस्सों कुल 1920 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को लौटाने पड़े.
पाकिस्तान के समझौते से हटने के मायने
अगर पाकिस्तान ताशकंद समझौता तोड़ता है तो भारत के पास यह मौका हो सकता है कि वह दोबारा हाजी पीर दर्रा और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों पर दावा कर सके. यह भारत की सुरक्षा के लिहाज से अहम हो सकता है.