चुनावी सुधार बहस को केंद्र की मंजूरी, संसद में गतिरोध खत्म होने के आसार
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चुनावी सुधार बहस को केंद्र की मंजूरी, संसद में गतिरोध खत्म होने के आसार

लोकसभा स्पीकर की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने X पर पोस्ट कर बताया कि 8 दिसंबर को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा और 9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर बहस आयोजित की जाएगी।


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लगातार दो दिनों तक लगभग पूर्ण ठप रही कार्यवाही के बाद संसद बुधवार (3 दिसंबर) से सामान्य कामकाज में लौटने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने आखिरकार विपक्ष की चुनावी सुधारों पर चर्चा की मांग स्वीकार कर ली है। स्रोतों के अनुसार, सरकार और विपक्षी सांसदों के बीच मंगलवार (2 दिसंबर) को हुई बैठक में यह सहमति बनी कि चुनावी सुधारों पर विस्तृत चर्चा 9 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। इस चर्चा में नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़े मुद्दे भी शामिल होंगे।

8 दिसंबर को ‘वंदे मातरम्’

लोकसभा स्पीकर की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने X पर पोस्ट कर बताया कि 8 दिसंबर को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा और 9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर बहस आयोजित की जाएगी। इससे पहले शीतकालीन सत्र के पहले दो दिनों में लोकसभा की कार्यवाही पूरी तरह बाधित रही, जबकि राज्यसभा में INDIA गठबंधन के सांसदों ने जोरदार विरोध और वॉकआउट किए। सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष और पक्ष के बीच गर्मागर्म बहस तब हुई, जब रिजिजू चुनावी सुधार पर चर्चा की निश्चित तारीख देने से पीछे हट गए।

डेरेक ओ’ब्रायन का हमला

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने राज्यसभा के सभापति को बताया कि विपक्ष केंद्र के खुले-खुले आश्वासन पर भरोसा नहीं कर सकता, क्योंकि SIR पर चर्चा का मुद्दा मानसून सत्र में भी अधर में छोड़ दिया गया था। मंगलवार को भी INDIA ब्लॉक के सांसदों ने राज्यसभा में इस बात पर जोर दिया कि सरकार को समयबद्ध तारीख देनी ही होगी। आखिरकार सर्वदलीय बैठक में यह तय हुआ कि 8 दिसंबर को ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा के बाद 9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर बहस होगी।

विपक्ष ने पहले ही दिखाई थी नरमी

द फेडरल ने 1 दिसंबर की अपनी रिपोर्ट में बताया था कि विपक्ष ने पहले ही सरकार के प्रति लचीलापन दिखाते हुए SIR को एकमात्र विषय न बनाने का निर्णय लिया था। सरकार का तर्क था कि SIR चुनाव आयोग का प्रशासनिक काम है, जिस पर सरकार जवाब नहीं दे सकती। आखिरकार यह तय हुआ कि बहस का दायरा बढ़ाकर ‘चुनावी सुधारों’ तक किया जाए, ताकि विपक्ष SIR से जुड़े मुद्दे भी उठा सके।

DMK सांसद का आरोप

DMK नेता तिरुची शिवा ने द फेडरल से कहा कि सरकार शुरुआत में ही निश्चित तारीख दे देती तो पहले दो दिनों का व्यवधान नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की कि विपक्ष ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा नहीं चाहता, जबकि विपक्ष सिर्फ SIR पर तत्काल चर्चा चाहता था, जिसका पहला चरण 16 दिसंबर तक पूरा होना है।

SIR और मतदाता सूची विवाद

चर्चा की तारीख तय होते ही अब नजरें इस पर हैं कि दोनों पक्ष अपने तर्क कैसे पेश करेंगे। विपक्ष बिहार में SIR के बाद कथित बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाए जाने और जोड़ने का मुद्दा उठाएगा। बिहार में 14 नवंबर को एनडीए भारी बहुमत से सत्ता में लौटा था। विपक्ष यह भी उठाएगा कि SIR के दौरान देशभर में 20 से अधिक BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) आत्महत्या कर चुके हैं, जिनके परिवारों ने काम के भारी दबाव और मानसिक उत्पीड़न को जिम्मेदार बताया।

कांग्रेस के अनुसार, राहुल गांधी महाराष्ट्र और कर्नाटक में “वोट चोरी” तथा हरियाणा में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का मुद्दा उठाने वाले हैं। समाजवादी पार्टी भी यूपी में मतदाता दमन और चुनावी कदाचार पर विस्तृत दस्तावेज पेश करने की तैयारी में है। टीएमसी और आप भी पश्चिम बंगाल व दिल्ली में मतदाता सूची में कथित छेड़छाड़ और मुसलमानों को “बांग्लादेशी या रोहिंग्या” बताकर उन्हें वोट से वंचित करने की कोशिश का मुद्दा प्रमुखता से उठाएंगी।

बिहार रिजल्ट से भाजपा मजबूत

सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व चर्चा को लेकर “निश्चिंत” है। एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में भारी मतदान और NDA की जीत इस बात का प्रमाण है कि चुनाव निष्पक्ष थे और विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं। भाजपा SIR पर विरोध को कांग्रेस के पुराने EVM वाले आरोपों जैसा “नाटक” बताकर पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष पर “ड्रामा करने” का आरोप लगा चुके हैं।

भाजपा को बढ़त की उम्मीद

भाजपा का मानना है कि ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा को चुनाव सुधार बहस से पहले रखना रणनीतिक रूप से लाभदायक है। पीएम मोदी इस चर्चा का जवाब देंगे और उनके भाषण में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विपक्ष पर तीखे हमले की संभावना है। चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान भाजपा विपक्ष के आरोपों को “बे-बुनियाद” और “हार से परेशान दलों की नौटंकी” बताकर खारिज करने की तैयारी में है। पार्टी इंदिरा गांधी की 1975 में चुनावी भ्रष्टाचार के कारण हुई अयोग्यता का मुद्दा भी उठा सकती है।

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