
धनखड़ के इस्तीफे की वजहों पर इतना सस्पेंस क्यों बना है?
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही आज भी बाधित रही, बिहार SIR, पहलगाम हमला और उपराष्ट्रपति का अचानक इस्तीफा प्रमुख मुद्दे रहे। विपक्ष का प्रदर्शन जारी रहा
मंगलवार (22 जुलाई) को मानसून सत्र के दूसरे दिन की सारी चर्चा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे और उसके बाद आई राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित रही। सत्ताधारी भाजपा को छोड़कर लगभग सभी दलों ने इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, हालांकि इस पर कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई क्योंकि विपक्षी सांसदों ने बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR), हालिया पहलगाम आतंकी हमला और उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखा। दोनों सदन बुधवार सुबह 11 बजे फिर से मिलेंगे।
भाजपा धनखड़ के इस्तीफे से खुश?
जो सम्मानपूर्वक विदाई किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति को दी जाती है, वह भाजपा की ओर से इस बार नहीं दिखी। यह संकेत देता है कि सरकार शायद उनके जाने से असंतुष्ट नहीं है। मजेदार बात यह रही कि पिछले साल जिन विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे, वही अब उनकी तारीफ करते दिखे।
सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के राज्यसभा सांसदों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाए। कुछ सदस्यों ने कहा कि यह दस्तावेज भी उसी तरह के नोटिस के लिए था, जिससे यह ना लगे कि केवल विपक्ष ही इस कवायद के पीछे है। कुछ अन्य सांसदों ने कहा कि उन्होंने दस्तावेज पढ़े बिना ही उस पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे अटकलें लगने लगीं कि यह मामला भी धनखड़ से जुड़ा हो सकता है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने साफ कहा कि यह कवायद हाईकोर्ट के जज वर्मा को हटाने के नोटिस में एनडीए सांसदों को भी शामिल दिखाने के लिए की गई थी।
न्यायपालिका से टकराव?
कुछ जानकारों का मानना है कि पूर्व वरिष्ठ वकील रहे धनखड़ ने राज्यपाल बनने के बाद और उपराष्ट्रपति रहते हुए कई मौकों पर न्यायपालिका पर सवाल उठाए। वर्मा के खिलाफ चल रही कार्रवाई में जब यह संकेत मिला कि लोकसभा में यह प्रस्ताव आगे बढ़ाया जाएगा, तो संभव है कि धनखड़ खुद को किनारे महसूस करने लगे हों।
सरकार की नाराजगी का एक और संकेत सोमवार शाम 4:30 बजे हुई बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में मिला, जिसमें न तो राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा शामिल हुए और न ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू। यह बैठक खुद धनखड़ ने बुलाई थी क्योंकि इससे पहले की बैठक जिसमें नड्डा और रिजिजू मौजूद थे, कोई फैसला नहीं ले सकी थी।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने X पर पोस्ट कर कहा कि दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ, जिससे नड्डा और रिजिजू ने जानबूझकर बैठक से दूरी बनाई। उन्होंने कहा कि यह धनखड़ को अच्छा नहीं लगा।
नड्डा ने पत्रकारों को बताया कि वे दोनों सरकारी कार्यों में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा अध्यक्ष कार्यालय को इसकी सूचना दे दी थी।
कुछ भाजपा सांसदों ने यह भी आलोचना की कि धनखड़ ने राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ऑपरेशन सिंदूर पर तीखा हमला बोलने का मौका क्यों दिया, जबकि सत्तारूढ़ दल इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पहले से ही तैयार था।
मोदी की प्रतिक्रिया और सिब्बल की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर एक संक्षिप्त पोस्ट डाला और लिखा,“श्री जगदीप धनखड़ जी को विभिन्न भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति पद पर कार्य करना भी शामिल है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”
वहीं, विपक्षी सांसद और धनखड़ के लंबे समय से आलोचक रहे कपिल सिब्बल ने उन्हें राष्ट्रवादी और देशभक्त बताते हुए उनकी सराहना की। वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि अब समय है कि विपक्ष और सरकार मिलकर भारत की वैश्विक साख को मजबूत करें।
कई नेताओं का मानना है कि समय के साथ धनखड़ और सरकार के बीच मतभेद बढ़ते गए, लेकिन इस दूरी के असली कारण अभी साफ नहीं हैं।