भारत का ‘सबसे बड़ा ड्रामेबाज़’: पीएम के आरोपों पर विपक्ष का पलटवार
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संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारत का ‘सबसे बड़ा ड्रामेबाज़’: पीएम के आरोपों पर विपक्ष का पलटवार

1 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री द्वारा विपक्ष पर हमला किए जाने के बाद ज़बरदस्त जुबानी जंग छिड़ गई।


शीतकालीन सत्र की शुरुआत (1 दिसंबर) के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाज़ी छिड़ गई। पीएम ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे संसद को या तो चुनाव की “वॉर्म-अप एरीना” बनाते हैं या फिर चुनावी हार की “निराशा निकालने की जगह”। इसके जवाब में कांग्रेस और अन्य दलों ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया।

शीतकालीन सत्र का पहला दिन : क्या हुआ?

प्रधानमंत्री के बयान के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस ने पलटवार करते हुए मोदी को “सबसे बड़ा ड्रामेबाज़” बताया और कहा कि विपक्ष पर आरोप लगाना “खालिस पाखंड” है।

टीएमसी समेत कई दलों ने भी पीएम की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी।

मोदी का हमला : ‘संसद ड्रामे की जगह नहीं’

दिन की शुरुआत में पीएम ने संसद परिसर के बाहर कहा कि सत्र को राजनीतिक ड्रामे का मंच नहीं, बल्कि सकारात्मक बहस और परिणाम देने वाली चर्चा का स्थान होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “संसद जिम्मेदारी का स्थान है, ड्रामा करने का नहीं… यह डिलीवरी की जगह है, डिस्टर्बेंस की नहीं।”

पीएम ने आरोप लगाया कि विपक्ष संसद की कार्यवाही में बाधा डालता है और राजनीति में सकारात्मकता लानी चाहिए।

SIR को लेकर पहले भी ठप रहा था सत्र

बीते मॉनसून सत्र में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के विरोध के चलते लगभग पूरा सत्र ठप रहा था। अब विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में जारी SIR पर चर्चा नहीं हुई तो शीतकालीन सत्र भी बाधित रहेगा।

मोदी ने कहा कि विपक्ष बिहार में अपनी चुनावी हार पचा नहीं पा रहा, “हार को व्यवधान का कारण नहीं बनाया जाना चाहिए और जीत अहंकार का कारण नहीं। पिछले एक दशक से विपक्ष का खेल अब जनता स्वीकार नहीं कर रही है।”

उन्होंने विपक्ष को “रणनीति बदलने” की सलाह भी दी।

विपक्ष का जवाब : ‘सब से बड़ा ड्रामेबाज़ PM खुद’

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर लिखा कि पीएम असली समस्याओं पर बोलने के बजाय फिर “ड्रामेबाज़ी” कर रहे हैं।

उन्होंने कहा,“पिछले 11 वर्षों से NDA सरकार ने संसदीय मर्यादा और व्यवस्था को लगातार कुचला है। अब BJP को ध्यान भटकाने का ड्रामा बंद कर संसद में वास्तविक मुद्दों पर बहस करनी चाहिए।”

खड़गे ने याद दिलाया कि मॉनसून सत्र में कई बिल बिना बहस या 15 मिनट से कम समय में पास कर दिए गए।

उन्होंने कहा कि कृषि कानून, GST, नागरिक सुरक्षा संहिता और अन्य बिलों को भी सरकार ने “धक्का देकर” पारित कराया था।

जयराम रमेश का हमला- ‘PM कभी संसद नहीं आते’

कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद जयराम रमेश ने कहा कि पीएम संसद में आते नहीं, विपक्ष से संवाद नहीं करते, लेकिन हर सत्र से पहले बाहर खड़े होकर “महान भाषण” दे देते हैं।

उनका बयान, “सबसे बड़ा ड्रामेबाज़ वही है। संसद नहीं चलती तो इसकी जिम्मेदारी PM की है, विपक्ष की नहीं।”

प्रियंका गांधी का जवाब

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “SIR, प्रदूषण जैसे मुद्दे लोकतंत्र के लिए बहुत बड़े विषय हैं। इन्हें उठाना ड्रामा नहीं। असली ड्रामा है—इन मुद्दों पर चर्चा की अनुमति न देना।”


टीएमसी का आरोप- ‘SIR पर बहस मांगना ड्रामा कैसे?’

टीएमसी के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि SIR प्रक्रिया में “लगभग 40 मौतें, जिनमें BLO भी शामिल हैं” हुईं, इसलिए इस मुद्दे पर औपचारिक बहस जरूरी है।

उन्होंने कहा, “जनता की आवाज उठाना अगर ड्रामा है, तो अगला चुनाव जवाब देगा।”

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