
SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएँगी 44 पार्टियां, तमिलनाडु के सीएम स्टालिन की अध्यक्षता में फैसला
AIADMK और बीजेपी को इस बैठक में नहीं बुलाया गया। वहीं अभिनेता विजय की पार्टी TVK, जिसे आमंत्रण मिला था लेकिन उसने भाग नहीं लिया, ने SIR के खिलाफ कानूनी कदम उठाने के फैसले का समर्थन किया, हालांकि उसने DMK पर “इस मुद्दे को राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल करने” का आरोप लगाया।
रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बहुदलीय बैठक में भारत के चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया गया। बैठक में कहा गया कि यह कवायद “अलोकतांत्रिक” है और इससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं के अधिकार छीने जा सकते हैं।
कुल 44 राजनीतिक दलों ने बैठक में हिस्सा लिया, जिनमें स्वर्गीय अभिनेता-राजनेता विजयकांत की DMDK भी शामिल थी, जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। AIADMK और भाजपा को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया। वहीं अभिनेता विजय की तमिलगा वेत्रि कझगम (TVK), एस. रामदास की PMK और टीटीवी दिनाकरण की AMMK (जो हाल ही में NDA से अलग हुए) को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने हिस्सा नहीं लिया।
बैठक में पारित एक प्रस्ताव में दलों ने चुनाव आयोग से पुनरीक्षण प्रक्रिया रोकने की मांग की। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार में चल रहे इसी मुद्दे पर फैसला आने से पहले SIR कराना अनुचित है। प्रस्ताव में कहा गया —“SIR अस्वीकार्य है… इसे 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद, सभी खामियों को दूर करने और पर्याप्त समय देने के बाद ही किया जाना चाहिए।”
प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि चुनाव आयोग केंद्र की भाजपा सरकार की कठपुतली बन गया है और यह कवायद अल्पसंख्यकों और विपक्षी मतदाताओं के वोट अधिकार छीनने की दिशा में है। इसमें कहा गया,“इसमें कोई शक नहीं कि यह एकतरफा योजना लोकतंत्र को दफनाने और लोगों से उनके मताधिकार छीनने की साजिश है।”
DMK सरकार ने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर मानसून (4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच) के दौरान यह प्रक्रिया चलाने से ग्रामीण मतदाताओं और अधिकारियों के लिए मुश्किलें होंगी। प्रस्ताव में कहा गया,“यह कवायद मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाने के उद्देश्य से की जा रही प्रतीत होती है।”
विजय की पार्टी TVK, जिसने बैठक में भाग नहीं लिया, ने एक बयान जारी कर SIR के खिलाफ कानूनी कदम का समर्थन किया, लेकिन DMK पर राजनीतिक अवसरवाद का आरोप लगाया। बयान में कहा गया —“जब बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की अधिसूचना जारी हुई थी, तब हमने इसका विरोध किया था और चेताया था कि इसके पीछे छिपा उद्देश्य खतरनाक है। जैसा कि हमने कहा था, बिहार में लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए।”
TVK ने आगे कहा,“विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित कुछ खास मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए गए हैं… इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। फिर दूसरे चरण का आयोजन कैसे जायज ठहराया जा सकता है?”
TVK ने सवाल उठाया कि तमिलनाडु के 6.36 करोड़ मतदाताओं के नामों की जांच सिर्फ 30 दिनों में कैसे संभव है? पार्टी ने एकजुट विपक्ष के कदम का समर्थन करते हुए भी DMK पर “राजनीतिक पाखंड” का आरोप लगाया और कहा कि DMK इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए भुना रही है।
बयान में कहा गया,“SIR के खिलाफ सबसे पहले आवाज हमारी पार्टी ने उठाई थी। उस समय DMK कहां थी? क्या वह भाजपा के साथ अपने गुप्त संबंधों की वजह से खामोश थी?”
TVK ने यह भी पूछा कि DMK ने इस मुद्दे पर विधानसभा में प्रस्ताव क्यों नहीं लाया, जबकि केरल विधानसभा पहले ही SIR का विरोध कर चुकी है।
TVK ने कहा कि मौजूदा मतदाता सूची संशोधन प्रणाली को ही जारी रहना चाहिए और इसके लिए सात बिंदुओं की प्रक्रिया सूची जारी की —
1. त्रुटियों को निर्धारित फार्म के जरिए सुधारा जाए,
2. नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाएं,
3. मृत या फर्जी नाम हटाए जाएं,
4. आधार को उम्र और पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए,
5. मतगणना एजेंटों को मशीन-रीडेबल मतदाता सूची दी जाए,
6. अंतिम सूची ऑनलाइन प्रकाशित की जाए,
7. और सूची में खोज की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
DMK के प्रस्ताव में भी आधार सत्यापन और दस्तावेज़ स्पष्टता पर चिंता जताई गई, जिसमें कहा गया —“ऐसा लगता है कि असली मतदाताओं के नाम हटाने की योजना बनाई गई है।”

